छत्तीसगढ़ के जगदलपुर जिले के बस्तर में अब से 70 हजार साल पहले से एक मानव सभ्यता विकसित हुई थी। यह जानकारी क्षेत्रीय कार्यालय मानव विज्ञान सर्वेक्षण व शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय के एंथ्रोपोलॉजी विभाग ने पांच साल की अथक मेहनत से जुटाए हैं।
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इस खुलासे से बस्तर के प्रागैतिहासिक काल के अब तक के ज्ञात इतिहास में नया अध्याय जुड़ गया है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण प्रमाण केशकाल के उपरबेड़ी गांव की चट्टानों में मिल शैलचित्र हैं। टीम का कहना है कि इन शैलचित्र के सटीक काल निर्धारण के लिए कोई लैब नहीं होने से इसकी डेटिँग करवाना कठिन हो गया है।
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नदी किनारे मिले औजार और हथियार
शैलचित्र के सटीक काल निर्धारण के लिए अब लखनऊ तक फाइलें चल रहीं हैं। पता चला है कि नवंबर माह में इस खोजबीन का दूसरा चरण शुरू होगा, उसके बाद डेटिंग की प्रक्रिया शुरू हो पाएगी। शैलचित्र के अलावा शोधार्थियों ने अबूझमाड़, बीजापुर, सुकमा, बारसूर व दंतेवाड़ा से गुजरने वाली प्रमुख नदियों के आसपास पाषाणकालीन उपकरण तलाश लिए हैं।
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डेटिंग से निर्धारित होगा कालखंड
मानव विज्ञान सर्वेक्षण कार्यालय प्रमुख डॉ. पीयूष रंजन साहू ने कहा कि केशकाल के पास की पहाड़ी में जो शैलचित्र मिले हैं। इनमें सामूहिक शिकार, परिवार व हथेली के चित्र साफ नजर आ रहे हैं। यदि इनकी डेटिंग हो जाएगी तो सटीक काल निर्धारण हो पाएगा। छत्तीसगढ़ में ऐसी सुविधा नही होने से अब तक ऐसे शैलचित्र रहस्य ही बनकर रह गए हैं। चट्टानों की ओट में मिले इन शैलचित्र को मौसम व मानवीय दखलअंदाजी से नुकसान पहुंचने की आशंका भी है।
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