साहब के लाट साहब बनने की चर्चा, बीजेपी ने क्यों किया गैरों पर करम, अपनों पर सितम और क्या है कैबिनेट विस्तार का अडानी कनेक्शन

छत्तीसगढ़ की राजनीति और प्रशासन से जुड़ी ऐसी ही अनसुनी खबरों को जानने के लिए 'द सूत्र' का साप्ताहिक कॉलम 'सिंहासन छत्तीसी' पढ़ने की सलाह दी गई है।

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Arun Tiwari
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Discussion of sahab becoming laat sahab the sootr
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रायपुर : संगठन की टीम बनने के बाद अब विष्णु कैबिनेट का विस्तार भी हो गया। इसके बाद सियासी गलियारों से इन दो विषय की चर्चा खत्म हो गई हो ऐसा नहीं है। अब तो चर्चाओं का बाजार और गर्म हो गया है। छत्तीसगढ़ में संवैधानिक पद पर बैठे एक बड़े नेता के लाट साहब बनने की चर्चा जोरों पर है।

वहीं कैबिनेट विस्तार में गैरों पर करम,अपनों पर सितम होने से पार्टी के अंदर नाराजगी पैदा हो गई है। आखिर इस कैबिनेट का अडानी कनेक्शन क्या है। छत्तीसगढ़ के राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों की ऐसी ही अनसुनी खबरों के लिए पढ़िए द सूत्र का साप्ताहिक कॉलम सिंहासन छत्तीसी। 

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लाट साहब की सियासी खिचड़ी 

छत्तीसगढ़ में इन दिनों बड़े जोरों से सियासी खिचड़ी पक रही है। क्या साहब लाट साहब बनने जा रहे हैं। यह सवाल राजनीतिक गलियारों में बड़ी तेजी से घूम रहा है। एक तरफ प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर कयास लग रहे थे तो दूसरी तरफ साहब की पीएम के साथ फोटो खिंच रही थी। चर्चा ये है कि इन साहब को राजभवन में बैठाने की तैयारी चल रही है। सूत्र बताते हैं कि वो राजभवन महाराष्ट्र का हो सकता है। ये बात कितनी सच है ये तो अलग बात है लेकिन ये बात बिल्कुल सही है कि साहब के कद के हिसाब सूबे में कोई पद है भी नहीं। यह साहब इन दिनों प्रदेश के बड़े संवैधानिक पद को संभाल रहे हैं और इनके पास बड़ा सियासी अनुभव भी है। 

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गैरों पर करम,अपनों पर सितम

पहले संगठन ने कर दिया दूर,अब कैबिनेट विस्तार ने किए सपने चकनाचूर। इन दो सूचियों के आने से बीजेपी के अंदर घमासान के हालात बने हुए हैं। इसके पीछे कई कारण हैं। कैबिनेट विस्तार से दूर किए गए सीनियर नेता पूछ रहे हैं कि आखिर उनमें क्या कमी है और इनमें क्या खास बात है। सवाल तो ये भी पूछा जा रहा है कि गैरों पर करम,अपनों पर सितम क्यों किया गया। इन तीन मंत्रियों में दो वे नेता हैं जो कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए हैं। वे बीजेपी में शामिल हुए तो उनको टिकट दे दिया गया। चुनाव जीते तो अब उनको मंत्री बना दिया गया। इस बात से कुछ लोग बहुत खफा हैं। उनको लगता है कि इनकी वजह से ही उनको मंत्री नहीं बनाया गया। एक सीनियर नेताजी इस विस्तार के दो दिन पहले बहुत लाइम लाइट में आए। वे राजभवन भी गए। ऐसा लगा कि उनकी कुर्सी पक्की है। लेकिन सूत्र कहते हैं कि उनको तो यह कहकर शांत कराया गया कि उनको जल्द ही किसी बड़ी कुर्सी पर बैठाया जाएगा। 

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कैबिनेट विस्तार का अडानी कनेक्शन

इस कैबिनेट विस्तार का एक और बड़ा कनेक्शन है। ये कनेक्शन है अडानी कनेक्शन। यह बात हम नहीं कह रहे बल्कि बीजेपी के अंदरखाने के जानकार ही यह बता रहे हैं। अब अडानी साहब का बीजेपी के अंदर कितना दखल और कितना वजन है यह तो सभी जानते हैं। बीजेपी के अंदर इस बात की चर्चा बड़े जोरों पर है कि एक मंत्री तो सिर्फ इसलिए बनाए गए हैं ताकि वे अडानी की टेक केयर कर सकें। उनको जहां भी दिक्कतें आ रहीं हों उनको साम,दाम,दंड,भेद से सुलझाएं। थोड़ा मनाकर,थोड़ा मानकर तो थोड़ा आंख दिखाकर उनके प्रोजेक्ट क्लियर करा सकें। अब यह सब अकेले विधायक बनने से तो संभव नहीं है। अब मंत्रीजी को देखना है कि वे जनभावनाओं के खिलाफ कैसे सब फिट कराते हैं।

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अब परफॉर्मेंस की परीक्षा  

सीएम के मंत्रिमंडल विस्तार में फिलहाल किसी को हटाया नहीं गया है। लेकिन सीएम ने विभाग लेकर यह जता दिया है कि अब सबकी परफॉर्मेंस की परीक्षा है। जाहिर है संकेत यही था कि जो परफॉर्म करेगा वही कैबिनेट में रहेगा। इस बार तीन मंत्रियों से उनके विभाग लिए गए हैं। एक मंत्री का विभाग सीएम ने अपने पास रखा है तो एक मंत्री का विभाग डिप्टी सीएम को दिया गया है। एक डिप्टी सीएम का विभाग लेकर नए मंत्री को दिया गया है। जिस तरह से कैबिनेट का विस्तार हुआ है उससे यह साफ पता चलता है कि दिल्ली ने अब सीएम को फ्री हैंड दे दिया है। इसलिए जरा संभलकर कहीं इस बार विभाग लेने की जगह अगली बार कुर्सी ही न चली जाए। सीएम ने यह कह दिया है कि परफॉर्म तो करना पड़ेगा वरना बहुत से लोग इस कतार में शामिल हैं।

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