छत्तीसगढ़ के मुंगेली जिले में समग्र शिक्षा योजना के तहत भारी वित्तीय लापरवाही सामने आई है। शैक्षणिक सत्र 2025-26 के लिए शासन द्वारा दी गई 1.24 करोड़ रुपये की आहरण सीमा को जिला स्तर पर समय पर स्कूलों और संस्थाओं तक नहीं पहुंचाया गया। नतीजतन, राज्य परियोजना कार्यालय, रायपुर ने यह राशि वापस ले ली। इस लापरवाही से जिले के स्कूलों, ब्लॉक रिसोर्स सेंटर (बीआरसी), और कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (केजीबीवी) में संचालन ठप हो गया है।
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कर्मचारियों और छात्रों की मुश्किलें
इस चूक का सबसे ज्यादा असर कर्मचारियों और छात्राओं पर पड़ा है। बीआरसी और केजीबीवी में कार्यरत कर्मचारियों को अप्रैल, मई और जून 2025 का वेतन नहीं मिला, जिससे वे आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं। केजीबीवी सरगांव, शारदा, और चातरखार जैसे छात्रावासों में अधीक्षिकाएं छात्राओं के लिए भोजन, बिजली, स्टेशनरी और सैनिटरी सुविधाएं तक नहीं जुटा पा रही हैं। कई स्कूलों को शाला अनुदान न मिलने से शैक्षणिक गतिविधियां और स्कूल प्रबंधन प्रभावित हुआ है।
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अधिकारियों पर गाज
इस लापरवाही के लिए कलेक्टर एवं जिला मिशन संचालक, समग्र शिक्षा, मुंगेली ने तत्कालीन डीएमसी (वर्तमान एडीपीओ) अजय नाथ और जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) सी.के. घृतलहरे को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। दोनों को तीन दिन में जवाब देने को कहा गया है, अन्यथा अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।
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क्यों बिगड़े हालात?
सूत्रों के मुताबिक, कलेक्टर ने कई नस्तियों को समय पर मंजूरी दे दी थी, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों ने फंड हस्तांतरण में जानबूझकर देरी की या लापरवाही बरती। इससे न केवल शासन की योजनाएं प्रभावित हुईं, बल्कि जिले की साख को भी ठेस पहुंची। इस स्थिति ने स्कूलों और छात्रावासों में अव्यवस्था पैदा कर दी।
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प्रशासन के लिए चुनौती बना मामला
यह मामला अब प्रशासन के लिए चुनौती बन गया है। सवाल उठ रहे हैं कि क्या उच्च अधिकारी इस लापरवाही पर सख्त कदम उठाएंगे? साथ ही, भविष्य में ऐसी गड़बड़ियों को रोकने के लिए जिला प्रशासन कोई ठोस तंत्र बनाएगा या नहीं, यह देखना बाकी है। फिलहाल, स्कूलों और छात्रावासों में हड़कंप मचा हुआ है, और कर्मचारी व छात्राएं इस लापरवाही की कीमत चुका रहे हैं।
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