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रायपुर : आरएसएस लंबे समय से आदिवासियों के बीच काम करता रहा है। लेकिन पिछले कुछ साल से संघ का पूरा फोकस आदिवासियों पर हो गया है। आदिवासियों में पैठ बढ़ाने के लिए संघ की नजर अब दूसरे दलों के आदिवासी नेताओं पर है। खासतौर पर संघ की चिंता आदिवासी क्षेत्रों में चल रहे धर्मांतरण को लेकर है। इसके लिए संघ ने नई रणनीति पर काम करना शुरु किया है। इसकी शुरुआत छत्तीसगढ़ के बस्तर से हुई है। छत्तीसगढ़ के बस्तर के दिग्गज आदिवासी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम को पांच जून को महाराष्ट्र के नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के मुख्यालय में आयोजित होने वाले एक महत्वपूर्ण समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है। इस अप्रत्याशित घटनाक्रम ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है और कुछ नेता इसे संघ द्वारा आदिवासियों तक पहुंच बनाने की कवायद मान रहे हैं।
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संघ की आदिवासी राजनीति
पिछले कुछ साल में राजनीतिक नेतृत्व में आदिवासी नेताओं को तरजीह दी गई है। बीजेपी शासित छत्तीसगढ़ में आदिवासी मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय हैं। तो ओडिशा में मोहन माझी आदिवासी मुख्यमंत्री हैं। इसके अलावा, भारत की राष्ट्रपति ओडिशा की पूर्व बीजेपी नेता द्रौपदी मुर्मू हैं जो आदिवासी वर्ग से आती हैं। पूर्व कांग्रेस नेता अरविंद नेताम, इंदिरा गांधी और पी वी नरसिम्हा राव की केंद्र सरकार में मंत्री रह चुके हैं। उन्होंने 2023 में छत्तीसगढ़ कांग्रेस नेतृत्व के साथ अपने मतभेदों के कारण पार्टी छोड़ दी और अपनी नई पार्टी, हमार राज पार्टी का गठन किया, जो बस्तर के विभिन्न आदिवासी समूहों के सामाजिक मंच सर्व आदिवासी समाज की राजनीतिक शाखा है।
बस्तर में नेताम का असर
नेताम को भले ही गुजरे जमाने के नेता के रुप में देखा जाता हो लेकिन उनकी नई पार्टी का बस्तर में खासा असर है। उनकी पार्टी ने बस्तर में 2023 का विधानसभा चुनाव लड़ा और बस्तर और सरगुजा के आदिवासी इलाकों में कांग्रेस को भारी नुकसान पहुंचाया। सत्तारूढ़ बीजेपी ने पिछले विधानसभा चुनाव में बस्तर और सरगुजा के आदिवासी इलाकों में 12 में से नौ सीटें और सरगुजा में 14 में से 14 सीटें जीतकर कांग्रेस को इस क्षेत्र से पूरी तरह सफाया कर दिया था। नेताम को पांच जून को नागपुर स्थित संघ मुख्यालय में होने वाले आरएसएस के कार्यकर्ता विकास वर्ग-द्वितीय समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया गया है।
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संघ के बड़े आयोजन के चीफ गेस्ट
नेताम ने द सूत्र से बातचीत में कहा कि वे संघ से वैचारिक रुप से कभी सहमत नहीं थे। लेकिन संघ ने उनको बुलाया तो यह सौभाग्य की बात है। नेताम ने धर्मांतरण और औद्योगिकीकरण को लेकर चिंता जाहिर की। आरएसएस मुख्यालय में आयोजित होने वाले दो समारोह, एक दशहरा पर स्थापना दिवस पर और दूसरा हर साल आयोजित होने वाला संघ के प्रशिक्षित स्वयंसेवकों का दीक्षांत समारोह, आरएसएस के महत्वपूर्ण कार्यक्रम माने जाते हैं। इन दोनों समारोहों में आमतौर पर देश के प्रतिष्ठित व्यक्तियों को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया जाता है। आरएसएस पृष्ठभूमि वाले एक वरिष्ठ विचारक ने कहा कि नेताम के लिए आरएसएस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होना एक दुर्लभ सौभाग्य है। संघ सूत्रों ने इसे आरएसएस नेतृत्व द्वारा आदिवासी संपर्क अभ्यास बताया, खासकर ऐसे समय में जब सात जिलों वाले बस्तर संभाग में धर्म परिवर्तन के मुद्दे पर लगभग पूरे क्षेत्र में तनाव देखा जा रहा है। हिंदू संगठनों ने ईसाई मिशनरियों पर बस्तर में आदिवासियों का धर्म परिवर्तन करने का आरोप लगाया है, जिससे उनके बीच तनाव पैदा हो गया है।
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