भूपेश सरकार में हुए बुलेट प्रूफ जैकेट की खरीदी में घोटाले का मामला फिर गरमा गया है। यह मामला है जवानों की सुरक्षा से खिलवाड़ करने का। पुलिस हेडक्वार्टर ने नक्सली इलाकों में तैनात जवानों के लिए बुलेट प्रूफ जैकेट खरीदीं। लेकिन इस खरीदी में भी पीएचक्यू और सरकार में बैठे अधिकारियों ने घोटाला कर दिया। हैरानी की बात इसमें ये है कि बीजेपी सरकार को एक साल पूरा होने जा रहा है और इस घोटाले के गुनहगारों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।
सवाल है कि क्या गुनहगारों को सरकार बचा रही है। इस मामले ने राजनीति का पारा इसलिए बढ़ा दिया है क्योंकि बीजेपी के सीनियर लीडर ने गुपचुप तरीके से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी है। इस चिट्ठी में घोटाले से जुड़े सारे तथ्य दिए गए हैं। नाम न छापने की शर्त पर इन्होंने द सूत्र को यह चिट्ठी उपलब्ध कराई है। आइए आपको बताते हैँ क्या है ये पूरा घोटाला।
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जैकेट खरीदी में कई स्तरों पर गड़बड़ी
पीएचक्यू ने जवानों के लिए 13 करोड़ की जो बुलेट प्रूफ जैकेट खरीदी, उसमें कई स्तरों पर गड़बड़ी की गई। यहां तक कि आनन फानन में नियम तक बदल दिए गए। 2021 में जो टेंडर जारी हुआ उसके मुताबिक यह काम निर्माता कंपनी को दिया जाना था। जिस कंपनी को यह काम दिया गया उसने जो अपनी फैक्टरी का पता बताया वहां पर खाली प्लॉट पड़ा हुआ था। जो कार्पोरेट ऑफिस बताया गया वो बंद पड़ा था। कम्युनिकेशन के लिए जो पता दिया गया वो कृषि भूमि है। यही कारण है कि यह खरीदी सवालों के घेरे में है।
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ये है पूरा मामला
मामला 2020 का है। जवानों की सुरक्षा के लिए पुलिस मुख्यालय ने बुलेटप्रूफ जैकेट खरीदने टेंडर बुलाए। इस टेंडर में तीन कंपनियों ने भाग लिया। यहां तक तो सब ठीक था, लेकिन टेंडर की नियम शर्तों की वजह से तत्कालीन आईएएस अनिल टुटेजा की चहेती फर्म प्रगति डिफेंस सिस्टम प्रायवेट लिमिटेड बिलासपुर भाग नहीं ले पाई। इसके बाद शुरू हुई गड़बड़ी की कहानी।
इस टेंडर प्रक्रिया को निरस्त कर नियमों में बदलाव किया गया और फिर से टेंडर कॉल किए गए। इस बार इसमें अपात्र कंपनी प्रगति डिफेंस सिस्टम शामिल कर ली गई। आरोप यह भी है कि नियमों को पूरा करने के लिए इस कंपनी ने फर्जी दस्तावेज तैयार करवाए। इसमें पुलिस मुख्यालय की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। इस टेंडर प्रक्रिया में दिल्ली की जानी-मानी कंपनियों ने भाग लिया, लेकिन टेंडर मिला इस तरह का कभी कोई काम ना करने वाली प्रगति डिफेंस सिस्टम कंपनी को।
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अनिल टुटेजा ही मास्टर माइंड
इस पूरे घोटाले का मास्टर माइंड भूपेश सरकार में सबसे पावरफुल आईएएस अनिल टुटेजा था। अनिल टुटेजा को ही ईडी ने शराब घोटाले का किंगपिन बताया है। कंपनी ने जो बुलेट प्रूफ जैकेट के सैम्पल दिए वे परीक्षण के लिए हैदराबाद भेजे गए। ये सैम्पल बैलेस्टिक टेस्ट में फेल हो गए। दोबारा सैम्पल लिए गए जिन्हें पास कराया गया। वर्क आर्डर जारी करने के लिए फाइल तत्कालीन गृह मंत्री को भेजी गई।
गड़बड़ी की बू आने पर तत्कालीन गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू ने इसका अनुमोदन नहीं किया और फाइल वापस कर दी। आरोप है कि अनिल टुटेजा ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से हस्ताक्षर करवा लिए। कहा जा रहा है कि प्रगति डिफेंस ने जो बुलेट प्रूफ जैकिट सप्लाई की, वे पास हुए सैम्पल की नहीं थी। घटिया जैकिट सप्लाई कर जवानों की जान के साथ खिलवाड़ किया गया।।
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सरकार ने नहीं की कोई कार्रवाई
दिसंबर 2023 में बीजेपी की सरकार बनी। मार्च में यह मामला फिर उठा और जवानों के परिजनों ने जांच की मांग की। गृह मंत्री विजय शर्मा ने कहा कि जो जवानों की जान की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करेगा उसे कैसे छोड़ेंगे, लेकिन साथ में ये भी जोड़ देते हैं कि कोई ठोस प्रमाण देगा तो आगे कार्रवाई की जाएगी। लेकिन सरकार को एक साल में भी कोई प्रमाण नहीं मिला है और न ही इस मामले में कोई कार्रवाई की गई है। उस समय डीजीपी अशोक जुनैजा ही थे जिनको रिटायमेंट के बाद एक्सटेंशन दे दिया गया है।
यही कारण है कि बीजेपी के वरिष्ठ नेता ने फिर पीएम को चिट्ठी लिखकर यह आग्रह किया है कि इस पूरे मामले की जांच कराई जाए और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। सवाल यह है कि एक तरफ सरकार जवानों के बूते पर ही नक्सल फ्री स्टेट बनाना चाहती है तो दूसरी तरफ उन जवानों की सुरक्षा से खिलवाड़ करने वालों को बचा रही है। यह दोहरी पॉलिसी आखिर कैसे चलेगी।