चिरमिरी में विकास कार्यों पर एसईसीएल का "अमंगल साया"

छत्तीसगढ़ की कोयलांचल नगरी चिरमिरी में विकास पर उपेक्षा और अवरोध जारी है। योजनाएं साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड यानी एसईसीएल की आपत्तियों के चलते वर्षों से अधर में है।

author-image
Krishna Kumar Sikander
एडिट
New Update
SECLs ominous shadow on development work in Chirmiri the sootr
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

छत्तीसगढ़ की कोयलांचल नगरी चिरमिरी जिले का इकलौता नगर पालिक निगम क्षेत्र है। इसके बावजूद विकास के नाम पर उपेक्षा और अवरोध जारी है। यहां लगभग 2 करोड़ 75 लाख की लागत से प्रस्तावित मंगल भवन और 33 लाख की लागत से बनने वाली चौपाटी जैसी योजनाएं साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड यानी एसईसीएल की आपत्तियों के चलते वर्षों से अधर में है।

ये खबर भी पढ़ें... काशी से आया पंडित दे रहा था नरबलि...अफवाह फैली तो मचा हंगामा

विकास कार्यों पर साजिशन रोक

चिरमिरी में यह रुकावट योजनाबद्ध ढंग से डाली जा रही है। विकास कार्यों में जानबूझकर व्यवधान पैदा किया जा रहा है। चिरमिरी नगर निगम द्वारा पूर्ववर्ती कांग्रेस शासनकाल में डोमनहिल क्षेत्र में सर्वसुविधायुक्त मंगल भवन और हल्दीबाड़ी बड़े बाजार मुख्य मार्ग पर चौपाटी के निर्माण की योजना बनाई गई थी। लेकिन, जैसे ही निर्माण कार्य शुरू हुए एसईसीएल प्रबंधन ने संपदा न्यायालय के माध्यम से रोक लगवा दी।

ये खबर भी पढ़ें... नारायणपुर-कोंडागांव बॉर्डर पर नक्सली-पुलिस मुठभेड़, 2 नक्सली ढेर

एसईसीएल की भूमि और उसकी मनमानी

चिरमिरी शहर की बड़ी आबादी एसईसीएल की लीज भूमि पर बसी हैं। यही कारण है कि जब भी राज्य सरकार या स्थानीय निकाय कोई विकास कार्य प्रारंभ करती है तो एसईसीएल प्रबंधन उस पर अधिकार जताते हुए अड़चनें डाल देता है। नतीजा यह होता है कि जनता को बुनियादी सुविधाएं देने की योजनाएं अधूरी रह जाती हैं। चिंताजनक पहलू यह है कि इस मुद्दे पर जनप्रतिनिधि अब तक खामोश हैं। न पार्षद खुलकर इस विषय को उठा रहे हैं और न ही प्रदेश सरकार का कोई ठोस हस्तक्षेप सामने आया है।

ये खबर भी पढ़ें... Wakf Board को लगा 500 करोड़ का चूना... मोदी के नए कानून से हुआ खुलासा

जानबूझकर इन योजनाओं पर रोक 

पार्षद मोहम्मद शहाबुद्दीन बोले  ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार ने चिरमिरी के सर्वांगीण विकास का सपना देखा था। मंगल भवन और चौपाटी जैसे प्रोजेक्ट उसी कड़ी का हिस्सा थे। कुछ छुटभैया नेताओं और एसईसीएल प्रबंधन ने जानबूझकर इन योजनाओं पर रोक लगवाई। अब जब प्रदेश और केंद्र में ट्रिपल इंजन की सरकार है तो यहां रोको योजना और खुद की योजना चल रही है। रेलवे स्टेशन का पहुँच मार्ग हो या चौपाटी, सबकुछ ठप पड़ा है।"

ये खबर भी पढ़ें... शाहरुख खान को बड़ी राहत... नहीं चलेगा केस, कोर्ट ने खारिज की याचिका

बीजेपी ने एसईसीएल की मंशा पर उठाए सवाल  

भाजपा नेता प्रदीप सलूजा भी बोले ने भी एसईसीएल की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि मंगल भवन और चौपाटी जैसी योजनाएं जनहित में थीं। लेकिन, एसईसीएल प्रबंधन को न तो शहर के विकास से मतलब है और न ही जनता की सुविधाओं से। ये सिर्फ कोयले का दोहन और स्थानांतरण के फेर में लगे हैं। विकास उनके एजेंडे में है ही नहीं। 

न्यायालय का है स्थगन आदेश

चिरमिरी नगर निगम के कमिश्नर रामप्रसाद अचला ने बताया कि मंगल भवन का निर्माण संपदा न्यायालय के स्थगन आदेश के चलते रुका है। वहीं, चौपाटी को लेकर एसईसीएल की आपत्ति पर एमआईसी (म्युनिसिपल इम्प्रूवमेंट कमेटी) में चर्चा चल रही है। समिति के निर्णय के बाद ही कोई कार्यवाही संभव है।

दोनों योजनाओं पर लाखों रुपये खर्च

सरकारी आंकड़ों के अनुसार दोनों योजनाओं पर अब तक लाखों रुपये खर्च हो चुके हैं। निर्माण स्थल पर अधूरे ढांचे जर्जर हो रहे हैं और जनता केवल आश्वासनों के सहारे बैठी है। सवाल उठता है  कि जब सारी योजनाएं जनता के टैक्स से आती हैं, तो उनके हक की सुविधाएं इस तरह से क्यों रोकी जा रही हैं?

अब उम्मीद किससे?

क्या प्रदेश की सरकार इस विषय में ठोस हस्तक्षेप करेगी? क्या चुने गए विधायक और सांसद जनता की आवाज़ बनेंगे? और सबसे अहम — क्या एसईसीएल प्रबंधन शहर के विकास में सहयोग करेगा या यह “अमंगल साया” इसी तरह चिरमिरी की प्रगति को रोकता रहेगा?

 

Tags : SECL | Development | work | Chirmiri 

SECL Development work Chirmiri चिरमिरी विकास कार्य