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रायपुर : छत्तीसगढ़ में एक बार फिर राम वन गमन पथ बदलने जा रहा है। यह तीसरी बार है जब राम वन गमन पथ का नक्शा बदला जा रहा है। यह नक्शा तब बदला जा रहा है जब इस पथ पर 81 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। राम पथ के निर्माण का जिम्मा पर्यटन विभाग के पास है। विभाग ने राष्ट्रीय और स्थानीय शोधकर्ताओं से नए सिरे जानकारी जुटाई है। इसमें उन स्थानों को प्राथमिकता दी जाएगी जिन पर अधिकांश विद्वानों की सहमति होगी।
बीजेपी नेता कहते हैं कि कांग्रेस सरकार ने पैसा कमाने के लिए अपने हिसाब से मार्ग तय किया था। राम वन गमन पथ मार्ग सही बने, इसलिए बीजेपी शासन में समिति की ओर से किए गए सर्वे के आधार पर ही इसे आगे बढ़ाया जाएगा। यानी साफ है कि सभी राजनीतिक दल राम को अपने अपने चश्मे से देखते हैं। और छत्तीसगढ़ में यही हो रहा है।
राम के रास्ते पर राजनीति
देश में धर्म के साथ राजनीति के भी राम हैं। बीजेपी की राजनीति तो भगवान श्रीराम से ही शुरु हुई है। राम ने अपने वनवास के दौरान सबसे ज्यादा समय छत्तीसगढ़ में गुजारा है। यही नहीं छत्तीसगढ़ में ही उनकी मां कौशल्या का मायका यानी भगवान राम का ननिहाल है। यही कारण है कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति के साथ साथ राजनीति में भी राम का प्रभाव ज्यादा है। छत्तीसगढ़ में तो राम को भांचा यानी भांजा माना जाता है। यहां पर राजनीति के हिसाब से सबके अपने-अपने राम हैं। छत्तीसगढ़ में राजनीतिक दल राम वन गमन पथ यानी राम के रास्ते को अपने हिसाब से तय कर रहे हैं।
यहां पर राम वन गमन पथ पर एक बार फिर बदलाव होने जा रहा है। यह तीसरा मौका है जब कि राम वन गमन पथ का नक्शा बदला जा रहा है। पहली बार तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह ने राम वन गमन पथ का नक्शा तैयार करवाया था। जब तक इस पर काम शुरु होता तब तक प्रदेश में सरकार बदल गई। सत्ता कांग्रेस को मिली और सीएम बने भूपेश बघेल। भूपेश बघेल ने अपने हिसाब से राम वन पथ गमन के निर्माण की योजना तैयार की और उस पर 81 करोड़ रुपए खर्च भी किए गए।
इससे पहले की काम पूरा होता प्रदेश में बीजेपी की विष्णु सरकार आ गई। अब विष्णु सरकार फिर से राम वन गमन पथ का नक्शा बदलने जा रही है। इसका जिम्मा पर्यटन विभाग को सौंपा गया है। पर्यटन विभाग ने राष्ट्रीय और स्थानीय शोधकर्ता और विद्वानों से नए सिरे से जानकारी जुटाई है। अब इस जानकारी के हिसाब से उन स्थानों को प्राथमिकता दी जाएगी जिन पर अधिकांश विद्वानों की सहमति होगी।
पर्यटन विभाग के अधिकारी कहते हैं कि शोधकर्ताओं और स्थानीय विद्वानों द्वारा श्रीराम वन गमन पथ से जुड़े स्थानों पर व्यापक शोध किया गया है। जिन स्थानों को कामन प्लेस के रुप में पहचाना गया है उनको आधार बनाकर सरकार को प्रस्ताव भेजा जा रहा है। वहीं पहले से स्वीकृत पड़े अधूरे कामों को प्राथमिकता से पूरा किया जाएगा।
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भूपेश ने बनाई थी 162 करोड़ की योजना
तत्कालीन सीएम भूपेश बघेल ने 7 अक्टूबर, 2021 को भगवान श्रीराम के वनवास काल से जुड़े स्थलों को विकसित करने की योजना का शुभारंभ किया था। इसकी शुरुआत माता कौशल्या की नगरी चंदखुरी से की गई। राम वन गमन पथ के विकास के लिए 162 करोड़ रुपए का प्रस्ताव बनाया गया। इससे करीब 2260 किमी क्षेत्र कार्य होने थे। भूपेश बघेल की सरकार के समय राम वन वन गमन पथ पर 81 करोड़ रुपए का काम भी हो चुका है। हालांकि कई जगह काम अधूरा पड़ा है।
परियोजना के तहत सीतामढ़ी हरचौका (कोरिया), रामगढ़ (सरगुजा), शिवरीनारायण (जांजगीर-चांपा), तुरतुरिया (बलौदाबाज़ार), चंदखुरी (रायपुर), राजिम (गरियाबंद), सिहावा सप्तऋषि आश्रम (धमतरी), जगदलपुर (बस्तर) और रामाराम (सुकमा) में काम कराया गया। नए नक्शे में भी ये स्थान शामिल हैं। कांग्रेस सरकार ने राम वन गमन पथ से जुड़ी जगहों के साथ 75 जगहों को चिन्हित किया था। इसे नए पर्यटन सर्किट के रूप में विकसित करना था। पहले चरण में नौ जगहों पर काम शुरु किया गया। इसमें उत्तरी छत्तीसगढ़ में कोरिया से लेकर दक्षिण में सुकमा तक शामिल है।
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मध्यप्रदेश के बाद छत्तीसगढ़ आए राम
वाल्मीकि रामायण के अनुसार श्री राम वनवास काल में अयोध्या से विभिन्न पवित्र नदियों से होकर दंडकारण्य पहुंचे। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, चित्रकूट के बाद भगवान राम छत्तीसगढ़ आए। दण्डकारण में छत्तीसगढ का भू-भाग भी समाहित था। छत्तीसगढ़ उन दिनों दक्षिण कौशल कहलाता था। इसे उत्तर से दक्षिण भाग को जोड़ने वाला दक्षिणापथ भी कहा जाता है। वाल्मीकि रामायण में इसका उल्लेख है।
शोध से यह तथ्य सामने आया है कि प्रभु राम पहली बार कोरिया जिले के सीतामढ़ी हरचौका पहुंचे थे। इसके बाद कोंटा, बस्तर तक करीब 1100 किमी की यात्रा की। चंदखुरी भी रामायण से छत्तीसगढ़ को सीधे जोड़ता है। रामायण के बालकांड के सर्ग 13 श्लोक 26 में चंदखुरी का जिक्र मिलता है। तब इसका नाम चंद्रखुरी हुआ करता था, जो बाद में चंदखुरी हो गया। रामायण के मुताबिक कौशल के राजा भानुमंत की पुत्री का नाम भानुमति था। उनका विवाह राजा दशरथ से हुआ। कौशल क्षेत्र की राजकुमारी होनी की वजह से उनका नाम कौशल्या पड़ा।
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राम वन गमन पथ योजना में भ्रष्टाचार के आरोप
बीजेपी ने राम वन गमन पथ योजना में भ्रष्टाचार आरोप लगाए हैं। इन आरोंपों के बाद सरकार ने बीजेपी विधायक और पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई और भूपेश सरकार में राम वन गमन पथ पर हुई कार्यों की जांच का जिम्मा सौंपा। हालांकि यह जांच अभी तक शुरु नहीं हो पाई है। इसके अलावा सरकार चंद्रखुरी में लगी भगवान राम की 51 फीट उंची प्रतिमा को भी बदलने जा रही है। नई प्रतिमा ग्वालियर में तैयार हो रही है। जल्द ही पुरानी प्रतिमा के स्थान पर नई प्रतिमा लगाई जाएगी।
Ram Van Gaman Marg | Ram Van Gaman Path