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छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर को अभनपुर से जोड़ने वाला एक्सप्रेस-वे रेलवे स्टेशन और हवाई अड्डे को आपस में जोड़ता है। यह एक्सप्रेस-वे अब रसूखदारों की मनमानी का अड्डा बनता जा रहा है। एक्सप्रेस-वे के किनारे दुकानों और कॉम्प्लेक्स के मेन गेट खोलने की अनुमति मिलने की खबरें सामने आ रही हैं। यह विधानसभा में पारित एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव के खिलाफ है। इस प्रस्ताव में स्पष्ट रूप से कहा गया था कि एक्सप्रेस-वे की ओर किसी भी बिल्डिंग या दुकान का शटर या मेन गेट नहीं खोला जाएगा। बावजूद इसके, प्रभावशाली लोग न केवल नियमों को ताक पर रख रहे हैं, बल्कि प्रशासन की नाक के नीचे बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण भी कर रहे हैं।
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हिंगलाज कॉम्प्लेक्स में नियमों की खुलेआम धज्जियां
अभनपुर से रायपुर की ओर आने वाली सड़क पर एक भव्य हिंगलाज कॉम्प्लेक्स बनकर तैयार हो चुका है। इस कॉम्प्लेक्स के मालिक ने एक्सप्रेस-वे के दोनों ओर निर्माण कार्य किया है। सड़क से सटे हिस्से में छह दुकानें बनाई गई हैं, जिनके ऊपर आवासीय मकान भी हैं। ये दुकानें और मेन गेट सीधे एक्सप्रेस-वे की ओर खुलते हैं, जो विधानसभा के प्रस्ताव का स्पष्ट उल्लंघन है। सवाल यह उठता है कि जब इस कॉम्प्लेक्स का निर्माण चल रहा था, तो क्या नगर निगम के अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं थी? या फिर, जैसा कि स्थानीय लोग आरोप लगा रहे हैं, रसूखदारों ने रिश्वत के जरिए अधिकारियों की आंखें बंद कर दीं?
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प्रशासन की लापरवाही से ग्रील काटी, नियम तोड़े
एक्सप्रेस-वे के किनारे प्रशासन ने अवैध निर्माण और अनधिकृत प्रवेश को रोकने के लिए ग्रील (जालियां) लगवाई थीं, लेकिन रसूखदारों ने इन ग्रील को भी काट डाला और अपने हिसाब से निर्माण शुरू कर दिया। यह स्थिति न केवल प्रशासन की लापरवाही को दर्शाती है, बल्कि यह भी सवाल उठाती है कि क्या प्रभावशाली लोगों के सामने नियम-कानून बौने हो जाते हैं?
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रायपुर से अभनपुर की ओर भी निर्माण की तैयारी
रायपुर से अभनपुर जाने वाले एक्सप्रेस-वे पर भी रसूखदारों ने भव्य निर्माण की तैयारियां शुरू कर दी हैं। एक बिल्डर ने अपने प्लॉट में मुरूम डालकर समतलीकरण कर लिया है और मजदूरों के लिए अस्थायी क्वार्टर बना दिए हैं। धीरे-धीरे यहां भी निर्माण कार्य शुरू हो रहा है। यह निर्माण भी एक्सप्रेस-वे की ओर मेन गेट या शटर खोलने की मंशा से किया जा रहा है, जो नियमों के खिलाफ है।
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बढ़ेगा हादसों का खतरा
विशेषज्ञों का कहना है कि एक्सप्रेस-वे पर कॉलोनियों और घरों के दरवाजे खोलने से न केवल यातायात बाधित होगा, बल्कि जाम की स्थिति भी पैदा होगी। इससे दुर्घटनाओं का खतरा भी बढ़ेगा। एक्सप्रेस-वे का उद्देश्य तेज और सुगम यातायात सुनिश्चित करना है, लेकिन अवैध निर्माण और अनधिकृत मेन गेट इस मकसद को ही नाकाम कर रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस तरह की मनमानी से आम जनता को रोजमर्रा की परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।
रामाग्रीन सिटी हाउसिंग प्रोजेक्ट का मामला
पिछले साल अक्टूबर में भी एक समान मामला सामने आया था, जब अमलीडीह में रामाग्रीन सिटी हाउसिंग प्रोजेक्ट के बिल्डर राजेश अग्रवाल ने एक्सप्रेस-वे के बीचोबीच एक विशालकाय प्रवेश द्वार बनवाया था। इस निर्माण ने भी नियमों के उल्लंघन का सवाल खड़ा किया था। यह मामला सोशल मीडिया पर वायरल हुआ और स्थानीय लोगों ने इसे लेकर RTI (सूचना का अधिकार) के तहत जानकारी मांगी थी।
प्रशासन की चुप्पी और भ्रष्टाचार के आरोप
स्थानीय लोग और सामाजिक कार्यकर्ता प्रशासन की चुप्पी पर सवाल उठा रहे हैं। उनका कहना है कि बिना नगर निगम की अनुमति के इतने बड़े पैमाने पर निर्माण संभव नहीं है। कुछ लोगों ने तो यह भी आरोप लगाया है कि प्रभावशाली बिल्डरों और अधिकारियों के बीच सांठगांठ है, जिसके चलते नियमों को ताक पर रखा जा रहा है।
विधानसभा प्रस्ताव की अनदेखी
विधानसभा में पारित प्रस्ताव को नजरअंदाज करना न केवल नियमों का उल्लंघन है, बल्कि यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया का भी अपमान है। इस प्रस्ताव का मकसद एक्सप्रेस-वे को सुरक्षित और सुगम बनाए रखना था, लेकिन रसूखदारों की मनमानी के आगे यह प्रस्ताव बेअसर साबित हो रहा है।
यह है समाधान
कड़ी कार्रवाई : नगर निगम और प्रशासन को अवैध निर्माण के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए। नियम तोड़ने वालों पर भारी जुर्माना और निर्माण को ध्वस्त करने की कार्रवाई होनी चाहिए।
पारदर्शिता : निर्माण अनुमतियों की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जाए, ताकि भ्रष्टाचार पर लगाम लगे।
जन जागरूकता : स्थानीय लोगों को नियमों के बारे में जागरूक किया जाए और उन्हें अवैध निर्माण की शिकायत दर्ज करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए।
निगरानी : एक्सप्रेस-वे पर नियमित निगरानी के लिए एक विशेष टास्क फोर्स गठित की जाए, जो अवैध निर्माण को रोकने में सक्षम हो।
प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल
रायपुर-अभनपुर एक्सप्रेस-वे पर हो रहे अवैध निर्माण और नियमों के उल्लंघन ने प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। रसूखदारों की मनमानी और अधिकारियों की कथित मिलीभगत से न केवल नियम-कानून कमजोर हो रहे हैं, बल्कि आम जनता के लिए भी परेशानियां बढ़ रही हैं। अगर प्रशासन समय रहते सख्त कदम नहीं उठाता, तो यह एक्सप्रेस-वे अपनी उपयोगिता खो सकता है और दुर्घटनाओं का कारण बन सकता है। यह समय है कि नगर निगम और राज्य सरकार इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करें और विधानसभा के प्रस्ताव को सख्ती से लागू करें।
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