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छत्तीसगढ़ के राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों का पारा इन दिनों खूब गर्म है। खुसफुस ये भी चल रही है कि सरकार के कई विभाग मंत्री नहीं उनके करीबी चला रहे हैं। सीएम सुशासन तिहार चला रहे हैं तो उनकी सरकार के कुछ विभाग ठेके पर चले गए हैं।
वहीं सीएम अपने एक सचिव से नाराज हो गए हैं। नाराजगी यहां तक है कि बातचीत ही बंद हो गई है। उनका पॉवर किसी और पर शिफ्ट हो गया है। सीएम से उनके सचिव को दूर करने के पीछे भी सीएम के करीबी अफसर ही हैं। ऐसी ही अनसुनी प्रशासनिक और राजनीतिक खबरों को जानने के लिए पढ़िए द सूत्र का साप्ताहिक कॉलम सिंहासन छत्तीसी।
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मंत्रीजी सरकार - करीबी असरदार
विष्णुदेव सरकार क्या ठेके पर चल रही है। यह हम नहीं कह रहे बल्कि राजनीतिक गलियारों से ही यह शब्द सुनाई दे रहे हैं। यह इसलिए क्योंकि पूरी सरकार तो नहीं लेकिन सरकार के कुछ अहम विभाग जरुर ठेके पर चले गए हैं। वैसे तो विभागों के मुखिया मंत्री होते हैं लेकिन हम जिन विभागों की बात कर रहे हैं उनकी कमान मुखिया के करीबियों के हाथों में हैं।
कोई सलाह देता है तो खींसे निपोरता है। छत्तीसगढ़ में 44 फीसदी फॉरेस्ट कवर है और यह विभाग एक आदिवासी,सक्रिय और अनुभवी मंत्री के पास है। वन और आदिवासी दोनों छत्तीसगढ़ के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। लेकिन इस विभाग की पतवार भाईसाब के करीबी के पास है। कब होना है,क्या होना है,कितना होना है यह सब वही करीबी महोदय तय करते हैं।
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दूसरा विभाग है कृषि। इस विभाग के मंत्री भी कैबिनेट के सबसे वरिष्ठ और अनुभवी नेता हैं। लेकिन यहां भी काम वीआईपी रोड पर बनी एक होटल के तीसरी मंजिल पर रहने वाले साहब करते हैं। यदि कोई काम लेकर जाता है तो वे कह दिया जाता है कि फलां होटल के तीसरी मंजिल पर चले जाइए। तीसरा विभाग है उद्योग विभाग।
अभी तो हमने एक-एक मूर्ति की बात की थी यहां तो त्रिमूर्ति का राज है साहब। त्रिमूर्ति का जलवा ऐसा है कि विभागीय मीटिंग में बिना कुछ होते हुए भी यह त्रिमूर्ति खींसे निपोरते हुए नजर आ जाती है। अब नेताजी के करीबी हैँ तो इनता हक तो इनका बनता ही है। सिर्फ मीटिंग में शामिल होना ही नहीं इनके हिसाब से कई फैसले भी होते हैं। हम तो बस इतना कहेंगे कि सीएम साहब जरा इधर भी थोड़ा ध्यान दे दीजिए तभी तो प्रदेश में असली सुशासन आ पाएगा।
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सीएम ने बनाई सचिव से दूरी
इन सीएम और उनके एक सचिव में अनबोला हो गया है। सीएम पिछले कुछ दिनों से इनसे बात नहीं कर रहे हैँ। जाहिर है सीएम की नाराजगी की वजह भी कुछ खास ही होगी। सीएम नाराज हैं तो इसका असर भी दिखाई देना चाहिए। तो यह असर नजर आया हाल ही में हुए एक प्रशासनिक बदलाव में। सीएम ने उनको एक अहम जगह से हटा दिया और वहां पर उनके ही मित्र को बैठा दिया।
इस अहम विभाग के मंत्री खुद मुख्यमंत्री हैं। अब इसका दूसरा असर भी दिखाई दे रहा है। पिछले कुछ दिनों से सीएम के हर कार्यक्रम उनके सचिवालय के सबसे बड़े अफसर दिखाई दे रहे हैं। इसका मतलब है कि सीएम का भरोसा अब इन साहब पर ज्यादा हो गया। सीएम इनसे अपनी योजनाओं और कार्यक्रमों को लेकर सलाह मशवरा भी खूब कर रहे हैं। भाई ये तो राजनीति की रपटीली राहें हैं जो तेज चला उसे सबसे पीछे पहुंचने में देर नहीं लगती।
एक बैच के पांच अय्यार, चला रहे पूरी सरकार
एक बैच के पांच अय्यार, यहां अय्यार से हमारा मतलब भारतीय सेवा के अफसरों से है। यानी एक बैच के पांच अफसर छत्तीसगढ़ में पूरी सरकार चला रहे हैं। इन पंच तत्वों में कुछ आईएएस हैं, कुछ आईपीएस तो कुछ राजनीति में। कुछ सीएम के करीबी हैं तो कुछ सीएम के करीबियों के करीबी। मंत्री से अफसर तक सभी कुछ इनके इर्द-गिर्द ही घूम रहा है।
सीएम के ये करीबी अफसर सीएम से उनको दूर करने लगे हैं जो इनके माफक नहीं हैं। इसका असर भी दिखाई दे रहा है। किसी से प्रभार छीन लिया गया तो किसी को प्रभार दे दिया गया। एक अफसर की छत्तीसगढ़ की अहम पोस्ट से दिल्ली में प्रतिनियुक्ति इनकी ही वजह से हुई है। जिस अफसर को यह की पोस्ट पर दी गई है वो भी इनकी ही मर्जी से। अब इनकी आंखों में वो खटक रहे हैं जो इनके ही बैच के एक नेताजी के करीबी माने जाते हैं। इन पर थोड़ा वार तो हो गया है थोड़ा अभी बाकी है।
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