एक कुएं के सहारे 1700 लोग जी रहे... अब 15 दिन का ही पानी बचा है
छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले के जोबा गांव में पीने के पानी का गंभीर संकट गहराता जा रहा है। करीब 1700 ग्रामीणों की प्यास बुझाने वाला एकमात्र कुआं अब दम तोड़ने की कगार पर है।
छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले के जोबा गांव में पीने के पानी का गंभीर संकट गहराता जा रहा है। करीब 1700 ग्रामीणों की प्यास बुझाने वाला एकमात्र कुआं अब दम तोड़ने की कगार पर है। हर दिन सूरज उगने से पहले ही महिलाएं, बुजुर्ग और बच्चे खाली बर्तन लेकर लंबी दूरी तय करते हैं, ताकि थोड़ी-बहुत पानी की व्यवस्था की जा सके।
गांव की महिलाएं बताती हैं कि सुबह 6 बजे से पहले कुएं पर लाइन लगाना जरूरी है, वरना हाथ खाली लौटना पड़ता है। कुएं का पानी न केवल सीमित है, बल्कि अब गंदा और अस्वास्थ्यकर भी होता जा रहा है। गर्मी बढ़ने के साथ ही आशंका जताई जा रही है कि अगले 15 दिनों में कुआं पूरी तरह सूख जाएगा।
बांध पास, पानी दूर
गांव की सरपंच सुपन कश्यप ने बताया कि जोबा से सिर्फ 5 किलोमीटर दूर कोसारटेडा बांध स्थित है, जहां से पाइपलाइन के ज़रिए गांव तक पानी पहुंचाया जा सकता है। कई बार आवेदन और परियोजनाएं भेजी गईं, लेकिन आज तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। पूर्व जिला पंचायत सदस्य बालसिंग बघेल ने प्रशासन की उदासीनता पर सवाल उठाते हुए कहा, "कोसारटेडा बांध से पानी लाना पूरी तरह संभव है, लेकिन शायद जोबा गांव की आवाज़ सुनने वाला कोई नहीं है।"
ग्रामीण तिजुराम, रूप सिंह, खिलेद्री और तिलतमा जैसे लोग कहते हैं, "हमें रोज पानी की तलाश में निकलना पड़ता है। बच्चों की पढ़ाई छूटती है, बुजुर्गों की तबियत बिगड़ती है। कभी आसमान की तरफ देखते हैं कि बारिश होगी, तो कभी दूसरे गांवों से खाली डिब्बों में पानी लाते हैं।
जिला कोंडागांव के जोबा गांव में पानी की स्थिति कितनी गंभीर है?
जोबा गांव में पानी की स्थिति बेहद गंभीर है। करीब 1700 ग्रामीणों की प्यास बुझाने वाला केवल एक कुआं बचा है, जो गर्मी बढ़ने के साथ सिर्फ 15 दिनों तक ही पानी दे पाएगा। लोग हर दिन सुबह-सुबह लंबी दूरी तय कर गंदा पानी भरने को मजबूर हैं।
कोसारटेडा बांध से पानी की आपूर्ति क्यों नहीं हो पा रही है?
कोसारटेडा बांध जोबा गांव से सिर्फ 5 किलोमीटर दूर है, वहां से पाइपलाइन द्वारा पानी पहुंचाना संभव है। गांव की सरपंच सुपन कश्यप और पूर्व जनप्रतिनिधियों ने कई बार आवेदन दिए हैं, लेकिन प्रशासन ने अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।