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मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर जिले के सुदूर वनांचल में स्थित सिंगरौली आदिम जाति सेवा सहकारी समिति में उस वक्त हड़कंप मच गया जब सैकड़ों किसान खाद और बीज की किल्लत से परेशान होकर समिति कार्यालय के बाहर इकट्ठा हुए और जोरदार प्रदर्शन करने लगे।
धान की रोपाई के मौसम में खाद की आवश्यकता के बावजूद वितरण नहीं होने से नाराज किसानों ने समिति प्रबंधक रमाकांत पांडेय पर गंभीर आरोप लगाए और उन्हें तत्काल हटाने की मांग की।
क्या है पूरा मामला?
किसानों का कहना है कि समिति के गोदाम में पर्याप्त मात्रा में खाद मौजूद है, इसके बावजूद उन्हें घंटों कतार में खड़े रहने के बाद भी खाद नहीं मिल रही। समिति प्रबंधक की मनमानी, टालमटोल और बहानों की वजह से उनका खेती कार्य ठप हो रहा है।
इस बीच प्रदर्शन की सूचना मिलते ही भरतपुर तहसीलदार, खाद्य निरीक्षक, वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी और जनप्रतिनिधि मौके पर पहुंचे और गोदाम की जांच करवाई गई। जांच में 90 बोरी इफ्को खाद कम पाई गई।
अधिकारियों के सामने कबूलनामा
प्रबंधक रमाकांत पांडेय ने पूछताछ में माना कि यह खाद ग्राम डोम्हरा और सिंगरौली के तीन बड़े किसानों को अग्रिम रूप से दी गई है। हालांकि मौके पर अधिकारियों ने पंचनामा तैयार करते हुए जांच की बात कही और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन दिया।
प्रबंधक पर पुराने आरोप भी उभरे सामने
प्रदर्शन कर रहे किसानों ने बताया कि रमाकांत पांडेय जब कोटाडोल सहकारी समिति में पदस्थ थे, तब भी उनके खिलाफ किसानों के नाम पर फर्जी ऋण निकालने, व्यापारियों का धान किसानों के नाम पर खरीदने, और अन्य वित्तीय अनियमितताओं के गंभीर आरोप लगे थे।
इन मामलों में कोटाडोल थाना और जिला प्रशासन को कई बार शिकायतें दी गई थीं, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
किसानों का फूटा गुस्सा, हटाने की उठी मांग
प्रदर्शन के दौरान किसान विशेषण प्रसाद गुप्ता, सुंदरलाल, देवेंद्र कुमार सिंह, रामदुलारे बैगा, कलावती, उर्मिला, समेत दर्जनों किसानों ने एक सुर में प्रबंधक को हटाने की मांग की। उनका कहना है कि बार-बार आने-जाने और कतार में लगने से उनका कीमती समय बर्बाद हो रहा है, जिससे धान की रोपाई प्रभावित हो रही है।
प्रबंधक का बचाव
रमाकांत पांडेय ने सफाई में कहा कि 90 बोरी खाद किसानों की अग्रिम मांग पर वितरित की गई और इसमें कोई अनियमितता नहीं है। लेकिन किसानों और जनप्रतिनिधियों की नाराजगी को देखते हुए जिला प्रशासन इस मामले की जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की तैयारी में है।
शासन की योजनाओं की पोल खुली
इस घटना ने कृषि और किसान हितैषी योजनाओं की जमीनी हकीकत को उजागर कर दिया है। यदि सहकारी समितियों में ही किसानों को समय पर खाद और बीज नहीं मिलेगा, तो सरकार की योजनाएं केवल कागज़ी दावे बनकर रह जाएंगी।
क्या होंगे परिणाम?
सिंगरौली सहकारी समिति में हुए इस हंगामे ने शासन-प्रशासन को एक बार फिर सोचने पर मजबूर कर दिया है। यदि समय रहते दोषियों पर सख्त कार्रवाई नहीं की गई तो किसानों का आक्रोश और भी बढ़ सकता है। अब किसानों को सिर्फ आश्वासन नहीं, ठोस कार्रवाई चाहिए।
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