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छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले के घने जंगल अबूझमाड़ क्षेत्र में सुरक्षाबलों ने नक्सलियों के खिलाफ एक बड़े ऑपरेशन को अंजाम दिया है। इस मुठभेड़ में डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड (DRG) और सुरक्षाबलों के जवानों ने 27 नक्सलियों को ढेर कर दिया था। मारे गए नक्सलियों में नक्सल संगठन का पोलित ब्यूरो सदस्य, महासचिव और डेढ़ करोड़ का इनामी बसवा राजू भी है। इस ऑपरेशन को छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री विजय शर्मा ने सुरक्षाबलों की अब तक की सबसे बड़ी सफलताओं में से एक करार दिया है।
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सुरक्षाबलों को देखते नक्सलियों ने की फायरिंग
यह ऑपरेशन नारायणपुर, दंतेवाड़ा और बीजापुर जिलों की सीमा पर स्थित अबूझमाड़ के बोटेर क्षेत्र में हुआ। पुलिस को खुफिया जानकारी मिली थी कि नक्सलियों का शीर्ष नेता बसवा राजू अपने सहयोगियों के साथ इस इलाके में मौजूद है। इस सूचना के आधार पर DRG और अन्य सुरक्षाबल तड़के जंगल में दाखिल हुए। जैसे ही सुरक्षाबल बोटेर के करीब पहुंचे, नक्सलियों ने उन पर अचानक गोलीबारी शुरू कर दी। जवाबी कार्रवाई में सुरक्षाबलों ने भी मोर्चा संभाला और घंटों तक चली इस मुठभेड़ में 27 नक्सलियों को ढेर कर दिया गया। मुठभेड़ में सभी 27 नक्सलियों के शव और उनके हथियार बरामद किए गए। हालांकि, इस ऑपरेशन में DRG का एक जवान भी शहीद हो गया, जिसने अपनी जान की बाजी लगाकर इस मिशन को सफल बनाया। शहीद जवान की बहादुरी को सलाम करते हुए गृहमंत्री ने उनके परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की है।
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खराब मौसम ने बढ़ाई चुनौती
मुठभेड़ के बाद खराब मौसम के कारण शवों को जंगल से बाहर लाने में सुरक्षाबलों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। बारिश और खराब दृश्यता के बावजूद, जवानों ने हार नहीं मानी और गुरुवार को सभी 27 शवों को नारायणपुर जिला मुख्यालय रवाना कर दिया गया। इस दौरान सुरक्षाबलों ने न केवल शवों को बरामद किया, बल्कि नक्सलियों के पास से भारी मात्रा में गोला-बारूद और हथियार जब्त किया।
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बसवा राजू् नक्सलियों का कुख्यात चेहरा
बसवा राजू मुठभेड़ में मारे गिराए गए नक्सलियों में सबसे बड़ा नाम है। इस नक्सली कमांडर पर छत्तीसगढ़ और पड़ोसी राज्यों में कई बड़े हमलों की साजिश रचने का आरोप था। उसकी मौजूदगी की सूचना मिलने के बाद सुरक्षाबलों ने इस ऑपरेशन को अत्यंत सावधानी और रणनीति के साथ अंजाम दिया। बसवा राजू की मौत को नक्सली संगठन के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है, क्योंकि वह संगठन की रणनीति और गतिविधियों का प्रमुख संचालक था।
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गृहमंत्री ने सराहा सुरक्षाबलों का साहस
छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री विजय शर्मा ने इस ऑपरेशन को "नक्सलवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई में मील का पत्थर" बताया। उन्होंने कहा, "हमारे जवानों ने अभूतपूर्व साहस और समर्पण का परिचय दिया है। यह ऑपरेशन न केवल नक्सलियों के मनोबल को तोड़ेगा, बल्कि क्षेत्र में शांति और विकास के लिए नए रास्ते खोलेगा।" उन्होंने शहीद जवान को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उनका बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा।
अबूझमाड़ रहा नक्सलियों का गढ़
अबूझमाड़ का जंगल लंबे समय से नक्सलियों का सुरक्षित ठिकाना रहा है। यह क्षेत्र घने जंगलों, पहाड़ियों और दुर्गम रास्तों से भरा हुआ है, जो नक्सलियों के लिए छिपने और अपनी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए अनुकूल है। सुरक्षाबलों के लिए इस क्षेत्र में ऑपरेशन करना हमेशा चुनौतीपूर्ण रहा है, लेकिन इस बार की सफलता ने यह साबित कर दिया कि सही रणनीति और खुफिया जानकारी के साथ नक्सलियों के गढ़ में भी सेंध लगाई जा सकती है।
निगरानी और तलाशी अभियान तेज
इस ऑपरेशन के बाद सुरक्षाबलों ने अबूझमाड़ और आसपास के क्षेत्रों में अपनी निगरानी और तलाशी अभियान तेज कर दिए हैं। पुलिस और प्रशासन का मानना है कि इस सफलता से नक्सलियों का मनोबल टूटेगा और अन्य नक्सली आत्मसमर्पण के लिए प्रेरित हो सकते हैं। साथ ही, सरकार ने क्षेत्र में विकास कार्यों को गति देने की बात कही है ताकि स्थानीय आदिवासी समुदाय को मुख्यधारा में जोड़ा जा सके और नक्सलवाद की जड़ों को और कमजोर किया जा सके।
जीत की कीमत एक जवान का बलिदान
अबूझमाड़ में हुई इस मुठभेड़ ने एक बार फिर सुरक्षाबलों की ताकत और दृढ़ संकल्प को उजागर किया है। बसवा राजू जैसे कुख्यात नक्सली की मौत और 27 नक्सलियों के मारे जाने से नक्सल संगठन को गहरा नुकसान पहुंचा है। हालांकि, इस जीत की कीमत एक जवान के बलिदान से चुकानी पड़ी, जो सुरक्षाबलों की नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई में उनके त्याग और समर्पण को दर्शाता है। यह ऑपरेशन न केवल छत्तीसगढ़, बल्कि पूरे देश के लिए नक्सलवाद के खिलाफ एक मजबूत संदेश है।
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