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छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में स्थित पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय (रविवि) एक बार फिर अपनी लचर परीक्षा प्रणाली के कारण चर्चा में है। इस बार मामला किसी छात्र को गलती से फेल करने का नहीं, बल्कि उसे निर्धारित अंकों से अधिक नंबर देने का है। विश्वविद्यालय के लॉ डिपार्टमेंट में बीएएलएलबी के एक छात्र को 70 अंकों की परीक्षा में 74 अंक दे दिए गए। इस घटना ने विश्वविद्यालय की मूल्यांकन प्रणाली की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
यह मामला विश्वविद्यालय के अध्ययनशाला के अंतर्गत लॉ डिपार्टमेंट से सामने आया है। बीएएलएलबी के एक छात्र ने जब अपनी अंकसूची ऑनलाइन देखी, तो वह यह जानकर हैरान रह गया कि उसे 70 अंकों की परीक्षा में 74 अंक मिले हैं। हैरानी और संदेह के साथ छात्र ने इस मामले की शिकायत विश्वविद्यालय प्रशासन से की। शिकायत मिलने के बाद विश्वविद्यालय ने अपनी गलती स्वीकारी और इसे तत्काल सुधारने का दावा किया।
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विश्वविद्यालय का दावा, तकनीकी त्रुटि थी वजह
विश्वविद्यालय प्रबंधन ने इस मामले पर सफाई देते हुए कहा कि यह गलती एक तकनीकी त्रुटि के कारण हुई। प्रबंधन के अनुसार, परीक्षा परिणाम ऑनलाइन अपलोड करने के दौरान यह त्रुटि हुई, जिसके कारण अंकसूची में निर्धारित अंकों से अधिक अंक प्रदर्शित हो गए। विश्वविद्यालय ने यह भी स्पष्ट किया कि छात्रों की अंकसूची अभी प्रिंट नहीं की गई है और ऑनलाइन परिणाम में ही यह गलती सामने आई। छात्र की शिकायत के बाद उत्तरपुस्तिका की दोबारा जांच की गई, और वास्तविक अंकों के आधार पर परिणाम को सुधार लिया गया है।
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मूल्यांकन प्रणाली पर सवाल
यह पहली बार नहीं है जब रविवि की मूल्यांकन प्रणाली पर सवाल उठे हैं। इससे पहले भी गलत परिणाम, अंकों में त्रुटि और अन्य अनियमितताओं के मामले सामने आ चुके हैं। इस ताजा घटना ने एक बार फिर विश्वविद्यालय की कार्यप्रणाली और तकनीकी व्यवस्था की कमियों को उजागर किया है। छात्रों और अभिभावकों का कहना है कि इस तरह की लापरवाही से न केवल उनकी मेहनत पर सवाल उठता है, बल्कि विश्वविद्यालय की साख भी प्रभावित होती है।
छात्रों में असमंजस और असंतोष
इस घटना के बाद छात्रों में असमंजस और असंतोष का माहौल है। जिस छात्र को 74 अंक मिले, वह भी परिणाम देखकर हैरान था। उसने बताया कि शुरू में उसे लगा कि शायद कोई चमत्कार हुआ है, लेकिन जब उसने अन्य साथियों से चर्चा की, तो मामला संदिग्ध लगा। इसके बाद उसने तुरंत विश्वविद्यालय प्रशासन से संपर्क किया। छात्रों का कहना है कि इस तरह की गलतियां उनकी भविष्य की योजनाओं और विश्वास को प्रभावित करती हैं।
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विश्वविद्यालय का आश्वासन
विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए भविष्य में ऐसी गलतियों को रोकने के लिए कदम उठाने का आश्वासन दिया है। साथ ही, यह भी कहा गया कि तकनीकी त्रुटियों को दूर करने के लिए सिस्टम को और मजबूत किया जाएगा। हालांकि, इस तरह के बार-बार होने वाले मामलों ने विश्वविद्यालय की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगा दिए हैं।
दांव पर छात्रों का भविष्य
पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय का यह ताजा मामला न केवल तकनीकी खामियों को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि विश्वविद्यालय को अपनी मूल्यांकन प्रणाली को और पारदर्शी व विश्वसनीय बनाने की जरूरत है। छात्रों का भविष्य दांव पर है, और इस तरह की लापरवाही उनकी मेहनत और विश्वास को ठेस पहुंचा सकती है। अब देखना यह है कि विश्वविद्यालय इस मामले से सबक लेता है या नहीं।
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