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मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के गृह जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराई हुई है। बाकि प्रदेश में क्या हाल होगा, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। सीएम साय के गृह जिले यानी जशपुर के किसी भी अस्पताल में बताया जा रहा है कि महिला सर्जन नहीं है। इसका असर सीधे- जनसंख्या नियंत्रकण प्रोग्राम यानी नसबंदी पर पड़ रहा है। सीएम के गृह जिले में एक तरह से नसबंदी होना ही बंद हो गई है।
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पांच महीने में पहले रिलीव हुए डॉक्टर, नया कोई आया नहीं
जानकारी के अनुसार कई डॉक्टरों का ट्रांसफर कर उन्हें पांच महीने पहले जशपुर जिला अस्पताल से रिलीव कर दिया गया था। इनके बदले में सरकार ने 7 विशेषज्ञ डॉक्टरों की पोस्टिंग यहां पर की है, लेकिन इनमें से किसी भी डॉक्टर ने ज्वॉइनिंग नहीं दी है। नतीजा ये हो रहा है कि जिला अस्पताल में ही विशेषज्ञ डॉक्टरों के पद खाली हैं। विशेषज्ञ डॉक्टर्स न होने का असर परिवार नियोजन कार्यक्रम पर भी पड़ रहा है। यहां पर महिला नसबंदी एक तरह से बंद ही हो गई है। यही हाल कमोबेश पुरुष नसबंदी का भी है।
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नसबंदी शिविर ही नहीं लगाए जा सके
जानकारी के अनुसार जशपुर जिले के पत्थलगांव सिविल अस्पताल और जशपुर जिला अस्पताल में नवंबर-दिसंबर माह में परिवार नियोजन शिविर आयोजित किए जाते हैं। इनमें महिलाओं की नसबंदी शिविर का भी आयोजन होता है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से साल 2024 में महिला नसंबदी के लिए लक्ष्य तय किया गया था। बताया जा रहा है कि मितानिनों ने लक्ष्य के अनुरूप नसबंदी के लिए महिलाओं को राजी भी करा लिया था, लेकिन नसबंदी शिविर का आयोजन ही नहीं हो पाया। इसकी मुख्य वजह जिले के किसी भी अस्पताल में महिला सर्जन का ना होना था।
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1389 से गिरकर 12 रह गई नसबंदी केस की संख्या
जानकारी के अनुसार सालभर में सिर्फ 12 महिलाओं की नसबंदी हो सकी। इसके पहले साल 2023 में 1389 महिलाओं की नसबंदी हुई थी।
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साल | पुरुष नसबंदी केस |
2022 | 14 |
2023 | 26 |
2024 | 08 |
साल | महिला नसबंदी केस |
2022 | 266 |
2023 | 1363 |
2024 | 12 |
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