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Photograph: (the sootr)
SUKMA.छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में मंगलवार 28 अक्टूबर को सुरक्षाबलों ने माओवादियों (नक्सलियों) की एक साजिश को नाकाम कर दिया है। सुकमा जिले के फुलबगड़ी इलाके में माओवादियों ने सड़क के किनारे लगभग 40 किलो का एक बड़ा IED बम (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) छिपाकर रखा था।
माओवादियों का मकसद सुरक्षाबलों को नुकसान पहुंचाना था, लेकिन सुरक्षाबलों ने समय रहते इस बम को खोज निकाला। इसे सुरक्षित तरीके से निष्क्रिय (डिफ्यूज) कर दिया गया। इस पूरी कार्रवाई में किसी को कोई नुकसान नहीं हुआ। सुरक्षाबलों की सटीक तैयारी और सजगता के चलते एक बड़ा हादसा टल गया।
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टीम वर्क से हुई माओवादियों की चाल फेल -
सुकमा जिले के फुलबगड़ी से बड़ेशेट्टी जाने वाले रास्ते पर बम मिला था। इसे ढूंढने और हटाने (निष्क्रिय करने) का काम जिला पुलिस बल और सीआरपीएफ (CRPF) की 159वीं बटालियन की टीम ने किया। इन जवानों ने उस पूरे इलाके में सख्ती से तलाशी अभियान (Searching) चलाया और रास्ते को पूरी तरह सुरक्षित कर दिया।
सुरक्षाबलों की इस कार्रवाई ने माओवादियों के खतरनाक इरादों को पूरी तरह से फेल कर दिया। IED बम को हटाने के दौरान बम विशेषज्ञों की टीम ने खास ध्यान रखा ताकि कोई भी हादसा न हो।
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तो हो सकता था बड़ा हादसा -
सुकमा जिले में 40 किलो वजनी बम जिस रास्ते पर बरामद किया गया है, उसी रास्ते से पुलिस और सीआरपीएफ की संयुक्त टीम गुजरने वाली थी। पुलिस बल और सीआरपीएफ का नियम है कि मूवमेंट से पहले रास्ते की जांच की जाती है। इसी जांच के दौरान यह छिपा हुआ बम बरामद हुआ था। टीम के साथ चलने वाले बम निरोधक दस्ते ने इस बम को डिफ्यूज किया।
40 किलो का IED बम बरामद करने की घटना को ऐसे समझें
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आईईडी (IED) बम क्या होता है और यह कितना खतरनाक है?
आईईडी बम एक ऐसा विस्फोटक डिवाइस होता है जिसे माओवादी, आतंकी समूह छिपाकर बनाते और इस्तेमाल करते हैं। इसका मुख्य मकसद सुरक्षाबलों या आम लोगों को चोट पहुंचाना होता है।
बनाना आसान: इन्हें बनाना आसान होता है और इन्हें किसी भी सड़क या जगह पर आसानी से छिपाया जा सकता है, इसलिए इन्हें ढूंढना बहुत मुश्किल होता है।
सामग्री: इन बमों में अलग-अलग तरह के विस्फोटक भरे जाते हैं। यह विस्फोटक किसी भी गाड़ी या इंसान को भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसलिए, सुरक्षाबलों के लिए ऐसे छिपे हुए बमों को ढूंढना और उन्हें बिना फटे (निष्क्रिय) करना बहुत ही मुश्किल और खतरनाक काम होता है।
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लगातार चल रहा है नक्सल विरोधी अभियान
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में लगातार नक्सल विरोधी अभियान चलाए जा रहे हैं। सुरक्षा बल लगातार प्रभावित क्षेत्रों में गश्त कर इनका सफाया करने में लगे हैं। पिछले एक महीने की बात की जाए तो पाँच सौ से अधिक नक्सलियों ने बड़े लीडरों के साथ आत्मसमर्पण किया है।
प्रदेश में नक्सल कैडर लगातार कमजोर हो रहा है। इसके बाद भी घने जंगलों में अभी भी नक्सली सक्रिय हैं। ये लगातार अपनी ताकत और संगठन को फिर से मज़बूत करने में लगे हैं।
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