सुरक्षा बलों से घिरे नक्सलियों के पास बचा एक माह का राशन-पानी

छत्तीसगढ़ और तेलंगाना सीमा पर करेंगुट्टा की पहाड़ी पर सुरक्षा बलों के जवानों ने नक्सलियों को चारों ओर से घेर रखा है। सुरक्षा बलों से घिरे नक्सलियों के पास अब करीब एक माह का राशन-पानी रह गया है। उनके समक्ष लड़ों या आत्मसमर्पण करों की स्थिति बन गई है। 

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Krishna Kumar Sikander
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Surrounded by security forces the Naxalites have only one month's ration and water left the sootr
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छत्तीसगढ़ और तेलंगाना सीमा पर करेंगुट्टा की पहाड़ी पर सुरक्षा बलों का नक्सलियों के विरुद्ध पांचवें दिन भी ऑपरेशन जारी रहा। सुरक्षा बलों के जवानों ने नक्सलियों को चारों ओर से घेर रखा है। साथ ही सुरक्षा बलों के जवान धीरे-धीरे आगे की ओर बढ़ रहे हैं। इस दौरान जवानों को पहाड़ी के एक जगह गुफा मिली। बताया जा रहा है कि गुफा में नक्सलियों की मौजूदगी के निशान मिले हैं। इस गुफा में करीब एक हजार लोग इकट‍्ठा हो सकते हैं। सूत्र बता रहे हैं कि सुरक्षा बलों से घिरे नक्सलियों के पास अब करीब एक माह का राशन-पानी रह गया है। उनके समक्ष लड़ों या आत्मसमर्पण करों की स्थिति बन गई है। 

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चुनौतीपूर्ण हालात के बाद डटे हुए हैं जवान

सुरक्षा बलों के अब तक के सबसे बड़े ऑपरेशन में करेंगुट्टा की पहाड़ी पर सेंट्रल कमेटी मेंबर (सीसीएम) माड़वी हिड़मा, दामोदर, बंडी प्रकाश, आजाद, चन्द्रान्ना जे सुजाता, कट्टाराम चन्द्र रेड्डी, विकल्प, विज्जो, उर्मिला, गंगा, मंगड्डू और अभय घिरे हुए हैं। इसके अलावा दंडकारण्य जोनल कमेटी (डीकेएसजेडसी) के पापाराव और देवा भी घिर गए हैं। ये सभी खुंखार नक्सली हैं और थिंक टैंक माने जाते हैं। पहाड़ी को घेर कर बैठे सुरक्षा बलों के जवानों ने नक्सलियों पर शिकंजा कस दिया है। यहां तैनात जवान विपरीत भौगोलिक परिस्थितियों, भीषण गर्मी और चुनौतीपूर्ण हालात के बाद डटे हुए हैं। हालांकि भीषण गर्मी के कारण करीब 45 जवान डिहाइड्रेशन का शिकार हो गए थे। उन जवानों को सेना के हेलीकॉप्टर से अस्पतालों में पहुंचाया गया था। साथ ही उनकी जगह बैकअप में दूसरे जवानों की बटालियन को भेजा गया। 

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कुछ दिनों में पड़ने लगेंगे खाने के लाले 

सूत्रों ने बताया कि करेंगुट्टा की पहाड़ी पर घिरे नक्सलियों के पास अब महज एक महीने का ही राशन बच गया है। नक्सलियों को पानी की किल्लत नहीं होगी। दरअसल, यहां बारह माह नाला पहाड़ी के उपर है, इसलिए पानी की कमी नहीं होगी। मगर, नक्सलियों की संख्या बहुत अधिक है। अगर ऐसे ही नक्सलियों पर शिकंजा कसता रहा तो कुछ दिनों में खाने के लाले पड़ने लगेंगे। इसका उन पर मानसिक और शारीरिक दबाव भी पड़ेगा। इस हालात में नक्सलियों के पास दो ही विकल्प है। पहला आत्मसमर्पण कर दे या फिर लड़ते हुए मारे जाएं। 

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नक्सलियों के एक ठिकाने तक पहुंचे जवान

बीजापुर-तेलंगाना की सीमा पर नक्सलियों के खिलाफ पांच दिनों से चल रहे ऑपरेशन में सुरक्षा बलों बड़ी कामयाबी मिली है। सुरक्षा बलों के जवान नक्सलियों के एक महत्वपूर्ण अड‍्डे तक पहुंचने में सफल रहे। यह अड‍्डा एक गुफा है। इस गुफा का आकार इतना बड़ा है कि एक साथ लगभग एक हजार लोग आराम से रह सकते हैं। इसी गुफा में एक बड़ा सा मैदान भी है।हालांकि जवानों के वहां पहुंचने से पहले नक्सलियों ने जगह बदल दी। उन जगह पर नक्सलियों के मौजूदगी के चिन्ह मिले हैं। 

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जगहों से रुक रुककर हो रही गोलीबारी 

नक्सलियों के विरुद्ध इस अभियान में इस समय 10 हजार जवान लगे हुए है। इस सबसे बड़े ऑपरेशन में राज्य, केन्द्र सरकार, पुलिस मुख्यालय, केंद्रीय अर्धसैनिक बलों, पड़ोसी राज्यों के सुरक्षा बल लगे हुए हैं। इसके अतिरिक्त बस्तर रेंज की डीआरजी, एसटीएफ, कोबरा, सीआरपीएफ, बीएसएफ, आईटीबीपी, सीएएफ, बस्तर फाइटर भी मोर्चे पर डटे हैं। नक्सलियों पर ड्रोन से नजर रखी जा रही है। इतना ही आवश्यकता पड़ने पर बैकअप में जवान और बटालियन भेजी जा रही है। इस समय अलग अलग जगहों से रुक रुककर गोलीबारी हो रही है। 

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