शिक्षक ने 426 बच्चों के भोजन में मिलाई फिनाइल, अधीक्षक की सजगता से टला बड़ा हादसा

छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के छिंदगढ़ विकासखंड में स्थित पाकेला पोटाकेबिन आवासीय विद्यालय में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। यहाँ, 21 अगस्त 2025 की रात को, एक शिक्षक पर आरोप है कि उसने 426 बच्चों के खाने में फिनाइल की गोलियां मिलाने की कोशिश की।

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Krishna Kumar Sikander
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छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के छिंदगढ़ विकासखंड अंतर्गत पाकेला पोटाकेबिन आवासीय विद्यालय से एक सनसनीखेज और दिल दहलाने वाली घटना सामने आई है। यहां 426 स्कूली बच्चों के भोजन में कथित तौर पर एक शिक्षक द्वारा फिनाइल की गोलियां मिलाने की कोशिश की गई। यह घटना 21 अगस्त 2025 की रात की है, जब भोजन में असामान्य बदबू ने अधीक्षक और बच्चों की सतर्कता को जगा दिया।

अधीक्षक की त्वरित कार्रवाई ने भोजन को नष्ट कर सैकड़ों मासूमों की जान बचा ली, वरना एक बड़ा हादसा हो सकता था। इस मामले में आरोपी शिक्षक पर बदले की भावना से यह खतरनाक कदम उठाने का आरोप है, जिसके खिलाफ जिला प्रशासन ने कठोर कार्रवाई शुरू कर दी है।

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इस तरह समाने आई घटना

21 अगस्त की रात पाकेला पोटाकेबिन विद्यालय में 426 बच्चों के लिए रात का भोजन तैयार किया गया था। भोजन में करीब 48 किलो बीन्स की सब्जी बनाई गई थी। रात के भोजन से पहले, जैसा कि प्रक्रिया है, सहायक अधीक्षक और अनुदेशकों ने भोजन का स्वाद चखना शुरू किया। इस दौरान उन्हें सब्जी से तेज फिनाइल जैसी गंध महसूस हुई।

यह गंध इतनी तीव्र थी कि अधीक्षक दुजाल पटेल को तुरंत शक हुआ। उन्होंने बिना देर किए भोजन की जांच की और पाया कि इसमें फिनाइल की गोलियां मिलाई गई थीं। अगर समय रहते यह बदबू न पकड़ी जाती, तो सैकड़ों बच्चों की जान खतरे में पड़ सकती थी। इस घटना ने न केवल स्कूल प्रशासन को हिलाकर रख दिया, बल्कि पूरे क्षेत्र में हड़कंप मचा दिया।

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शिक्षक पर गंभीर आरोप

संभावना है कि शिक्षक ने व्यक्तिगत रंजिश और बदले की भावना से यह कदम उठाया। बताया जाता है कि धनंजय साहू पर पहले भी बच्चों के साथ मारपीट और अमानवीय व्यवहार के आरोप लग चुके हैं। इन शिकायतों के बाद उसे दूसरी जगह अटैच किया गया था, लेकिन बाद में फिर से पाकेला पोटाकेबिन में नियुक्त कर दिया गया। इस घटना के बाद जिला प्रशासन ने शिक्षक के कमरे को सील कर दिया है और उससे पूछताछ शुरू कर दी गई है।

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जिला प्रशासन की त्वरित कार्रवाई

मामले की गंभीरता को देखते हुए सुकमा कलेक्टर देवेश कुमार ध्रुव ने तत्काल एक तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की। इस समिति में शामिल हैं। एसडीएम सूरज कश्यप, डीएमसी उमाशंकर तिवारी और एपीसी आशीष राम। जांच समिति ने मौके पर पहुंचकर प्रारंभिक जांच शुरू की और स्कूल के कर्मचारियों, बच्चों, और अन्य संबंधित व्यक्तियों के बयान दर्ज किए।

कलेक्टर ध्रुव ने स्पष्ट किया कि इस मामले को अत्यंत गंभीरता से लिया जा रहा है। उन्होंने कहा, “बच्चों की सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। दो दिनों के भीतर जांच समिति की रिपोर्ट आने के बाद दोषियों के खिलाफ सख्त कानूनी और दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।” जिला प्रशासन ने यह भी सुनिश्चित किया है कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों, इसके लिए स्कूलों और छात्रावासों में भोजन की गुणवत्ता और सुरक्षा की नियमित जांच की जाए।

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प्रशासन की शुरुआती चुप्पी और जन दबाव

सूत्रों के अनुसार, इस घटना को शुरू में प्रशासन द्वारा दबाने की कोशिश की गई थी। लेकिन स्थानीय आदिवासी समाज, जनप्रतिनिधियों, और अभिभावकों के दबाव के बाद मामला सार्वजनिक हुआ। पूर्व जनपद पंचायत उपाध्यक्ष और विधायक प्रतिनिधि नाजिम खान ने इस घटना की कड़ी निंदा की और कहा, “यह बच्चों की जिंदगी से खिलवाड़ है। ऐसे शिक्षक पर सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। जिम्मेदार विभागों की लापरवाही से ऐसी घटनाएं सामने आती हैं।” 

छात्रावासों की सुरक्षा पर सवाल

इस घटना ने सुकमा जिले ही नहीं, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ में स्कूलों और छात्रावासों की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अभिभावकों में आक्रोश और चिंता है कि अगर समय रहते भोजन की जांच न होती, तो सैकड़ों परिवारों को अपूरणीय क्षति का सामना करना पड़ सकता था। स्थानीय लोगों ने मांग की है कि स्कूलों और छात्रावासों में भोजन की नियमित जांच के लिए सख्त प्रोटोकॉल लागू किए जाएं और दोषियों को ऐसी सजा दी जाए, जो भविष्य में उदाहरण बने।

सुकमा में शिक्षा और सुरक्षा की स्थिति

सुकमा जिला, जो नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में से एक है, पहले से ही शिक्षा और बुनियादी सुविधाओं के लिए चुनौतियों का सामना कर रहा है। हाल के वर्षों में छत्तीसगढ़ सरकार ने मुख्यमंत्री शाला गुणवत्ता कार्यक्रम और युक्तियुक्तकरण नीति के तहत स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए कदम उठाए हैं।

इस तरह की घटनाएं इन प्रयासों पर सवाल उठाती हैं। विकासखंड शिक्षा अधिकारी सुखराम देवांगन के अनुसार, सुकमा में 246 शासकीय विद्यालय हैं, जिनमें 181 प्राथमिक और 65 माध्यमिक स्कूल शामिल हैं। लेकिन कुछ स्कूलों में शिक्षकों की कमी और इस तरह की लापरवाही शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती है।

भविष्य की कार्रवाई और अपेक्षाएं

जिला प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर दोषी शिक्षक और अन्य जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए स्कूलों में भोजन की गुणवत्ता और सुरक्षा की जांच के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए जा सकते हैं। अभिभावकों और स्थानीय समाज ने मांग की है कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए स्कूलों में सीसीटीवी कैमरे, नियमित निरीक्षण, और सख्त निगरानी व्यवस्था लागू की जाए।

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