तेंदूपत्ता घोटाला, 93 लाख के पत्तों की चोरी, जांच में लीपापोती, रसूखदारों को बचाने का आरोप

छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में वन विभाग के गोदाम से करीब 93.5 लाख रुपये के तेंदूपत्ते गायब होने का मामला सामने आया है। इस मामले में वन विभाग की जांच पर सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि इसमें कई महत्वपूर्ण जानकारियों को छिपाया गया है।

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Krishna Kumar Sikander
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Tendu leaf scam theft of leaves worth 93 lakhs the sootr
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छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में जीई रोड स्थित वन विभाग के गोदाम से करीब 93.5 लाख रुपये की कीमत के उच्च गुणवत्ता वाले तेंदूपत्ते के गायब होने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। इस मामले में वन विभाग की जांच रिपोर्ट पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि इसमें कई महत्वपूर्ण तथ्यों को छिपाने और रसूखदार ठेकेदारों को बचाने की कोशिश की गई है।

सूत्रों का दावा है कि बिना ट्रांजिट पास (टीपी) और जीएसटी बिल के हजारों बोरे तेंदूपत्ते को ट्रकों के जरिए अन्य राज्यों में भेजा गया, लेकिन जांच में इसकी कोई जानकारी नहीं दी गई। इस घोटाले ने न केवल वन विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं, बल्कि पुलिस की निष्क्रियता और रसूखदारों को संरक्षण देने की आशंका को भी उजागर किया है।

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क्या है तेंदूपत्ता घोटाला?

दो साल पहले, राजनांदगांव के जीई रोड पर स्थित वन विभाग के गोदाम से 2,669 बोरे उच्च गुणवत्ता वाले तेंदूपत्ते गायब कर दिए गए। इन पत्तों की अनुमानित कीमत 93.5 लाख रुपये थी। आरोप है कि ठेकेदारों ने अच्छे तेंदूपत्ते को हटाकर गोदाम में कचरा और निम्न गुणवत्ता वाली सामग्री भर दी, जिससे सरकार को भारी वित्तीय नुकसान हुआ।

वन विभाग की जांच में इस गड़बड़ी की पुष्टि तो हुई, लेकिन रिपोर्ट में कई महत्वपूर्ण सवालों के जवाब नहीं दिए गए। जैसे, तेंदूपत्ता कब, कैसे और कहां गायब किया गया? बिना ट्रांजिट पास के इसे कैसे अन्य राज्यों में भेजा गया? और इस पूरे खेल में शामिल रसूखदार ठेकेदारों और अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं हुई?

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जांच में लीपापोती के गंभीर आरोप

वन विभाग की जांच रिपोर्ट पर सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि इसमें कई तथ्यों को जानबूझकर छिपाया गया है। सूत्रों के अनुसार, रिपोर्ट में निम्नलिखित बिंदुओं का कोई जिक्र नहीं है।
गायब होने का समय और तरीका : 2,669 बोरे तेंदूपत्ते कब और कैसे गोदाम से गायब किए गए, इसकी कोई जानकारी नहीं दी गई।
ट्रांजिट पास की अनदेखी : तेंदूपत्ता एक राष्ट्रीयकृत वनोपज है, जिसका परिवहन बिना ट्रांजिट पास और जीएसटी बिल के अवैध है। फिर भी, कई ट्रकों के जरिए इसे अन्य राज्यों में भेजा गया। जांच में इसकी कोई पड़ताल नहीं की गई।
बैरियर चेकिंग में चूक : वन विभाग के बैरियर पर तेंदूपत्ते से भरे ट्रकों की जांच होती है। इतने बड़े पैमाने पर तेंदूपत्ते की चोरी कैसे संभव हुई? क्या बैरियर पर तैनात कर्मचारियों की मिलीभगत थी?
फर्जी बिलिंग : सूत्रों का दावा है कि एक ठेकेदार के बिल के जरिए ट्रांजिट पास जारी किया गया, लेकिन तेंदूपत्ता किसी अन्य ठेकेदार के लिए परिवहन किया गया। इस फर्जीवाड़े को जांच में शामिल नहीं किया गया।

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रसूखदारों को बचाने की कोशिश?

सूत्रों का कहना है कि इस घोटाले में कुछ बड़े ठेकेदारों और वन विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत थी। तेंदूपत्ते को अन्य राज्यों में डंप करने के लिए फर्जी बिल और ट्रांजिट पास का इस्तेमाल किया गया। इसके बावजूद, वन विभाग ने अपनी जांच में इन रसूखदारों के नाम उजागर नहीं किए।

जांच रिपोर्ट को सतही रखकर मामले को दबाने की कोशिश की गई। यही नहीं, पुलिस ने भी इस मामले में गंभीरता नहीं दिखाई। हालांकि ठेकेदारों और कुछ अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है, लेकिन बिना टीपी और जीएसटी बिल के तेंदूपत्ते के परिवहन की जांच शुरू नहीं हुई।

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कैसे हुआ घोटाला?

मामले का समय : दो साल पहले, 2023 में गोदाम से तेंदूपत्ता गायब किया गया।
मात्रा और कीमत : 2,669 बोरे उच्च गुणवत्ता वाले तेंदूपत्ते, जिनकी कीमत 93.5 लाख रुपये थी।
फर्जीवाड़े का तरीका : अच्छे तेंदूपत्ते को हटाकर गोदाम में कचरा और निम्न गुणवत्ता वाली सामग्री डंप की गई।
ठेकेदारों की भूमिका : कुछ रसूखदार ठेकेदारों ने फर्जी बिल और ट्रांजिट पास के जरिए तेंदूपत्ते को अन्य राज्यों में भेजा।
जांच में खामियां : वन विभाग की जांच में तथ्यों को छिपाया गया, और मस्टररोल या परिवहन का कोई स्पष्ट रिकॉर्ड नहीं दिया गया।

पुलिस और प्रशासन की निष्क्रियता

जांच रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने ठेकेदारों और कुछ अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ FIR तो दर्ज की, लेकिन मामले की तह तक जाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। सूत्रों का कहना है कि रसूखदार ठेकेदारों को बचाने के लिए पुलिस भी दबाव में काम कर रही है। तेंदूपत्ते को बिना जीएसटी बिल और फॉरेस्ट परमिट के डंप करने की जांच अब तक शुरू नहीं हुई है। यह सवाल भी उठ रहा है कि वन विभाग के बैरियर पर तैनात कर्मचारी इतने बड़े पैमाने पर चोरी को कैसे नजरअंदाज कर सकते हैं?

तेंदूपत्ते का महत्व और नुकसान

तेंदूपत्ता छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था और ग्रामीण आजीविका के लिए महत्वपूर्ण है। यह एक राष्ट्रीयकृत वनोपज है, जिसके संग्रहण और परिवहन पर सख्त नियम लागू हैं। तेंदूपत्ते की चोरी न केवल सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाती है, बल्कि उन आदिवासी और ग्रामीण समुदायों को भी प्रभावित करती है, जो इसके संग्रहण से अपनी आजीविका चलाते हैं। इस घोटाले से सरकार को 93.5 लाख रुपये का नुकसान हुआ, और यह राशि केवल एक गोदाम तक सीमित है। यदि पूरे जिले या राज्य में ऐसी अनियमितताओं की जांच हो, तो नुकसान का आंकड़ा और बड़ा हो सकता है।

जांच की मांग और जनता की नाराजगी

स्थानीय लोगों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस मामले में निष्पक्ष और उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। उनका कहना है कि तेंदूपत्ते की चोरी और फर्जीवाड़े में शामिल रसूखदार ठेकेदारों और अधिकारियों को बख्शा जा रहा है। जांच में लीपापोती और पुलिस की निष्क्रियता ने लोगों का भरोसा तोड़ा है। सामाजिक कार्यकर्ताओं ने यह भी मांग की है कि तेंदूपत्ते के परिवहन और भंडारण की प्रक्रिया को और पारदर्शी किया जाए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।

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