छत्तीसगढ़ में शीर्ष नौकरशाहों का भविष्य दांव पर, CS और पूर्व DG के लिए पुनर्वास की जद्दोजहद

छत्तीसगढ़ के मुख्यसचिव अमिताभ जैन इस महीने की 30 तारीख को रिटायर हो जाएंगे, अगला मुख्यसचिव कौन होगा ? इसे लेकर भाजपा की राज्य सरकार के साथ केंद्र की सरकार भी माथापच्ची कर रही है। अभी तक तस्वीर साफ़ नहीं हुई है।

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Prafull Pare
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The future of top bureaucrats in Chhattisgarh is at stake the sootr
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छत्तीसगढ़ के मुख्यसचिव अमिताभ जैन इस महीने की 30 तारीख को रिटायर हो जाएंगे, अगला मुख्यसचिव कौन होगा ? इसे लेकर भाजपा की राज्य सरकार के साथ केंद्र की सरकार भी माथापच्ची कर रही है। अभी तक तस्वीर साफ़ नहीं हुई है। दिलचस्प बात यह है कि राज्य सरकार के हुक्मरानों को नए मुख्य सचिव की नियुक्ति से ज्यादा चिंता रिटायर हो रहे अमिताभ जैन के पुनर्वास की है। केवल मुख्य सचिव ही नहीं, तीन बार छह छह महीने का एक्सटेंशन लेकर रिटायर हुए पूर्व पुलिस महानिदेशक अशोक जुनेजा को लेकर भी सरकार फिक्रमंद है। पूर्व DG अशोक जुनेजा को राज्य का मुख्य निर्वाचन आयुक्त बनाने की खबर आ रही है। वहीं अमिताभ जैन को राज्य नीति (योजना) आयोग का उपाध्यक्ष का नए सिरे से सौंपा पद सौंपा जा सकता है, जिसका प्रभार फ़िलहाल उनके ही पास है। 

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नए CS को लेकर बनी हुई है उलझन 

राज्य सरकार को महज चार दिन के अंदर नए मुख्य सचिव का ऐलान करना है, लेकिन चयन प्रक्रिया अभी तक वरिष्ठ IAS अधिकारी रेणु पिल्लई, ऋचा शर्मा, अमित अग्रवाल, सुब्रत साहू और मनोज पिंगुआ के बीच उलझी हुई है। यह उलझन इसलिए भी है क्योंकि इस फैसले में केंद्र सरकार की सहमति सबसे ज्यादा जरूरी है। जिस नाम से राज्य सरकार सहमत है, उससे केंद्र सहमत नहीं है। जिस नाम में केंद्र की रूचि है, उसमें राज्य को दिक्कत है। इसी उहापोह के चलते मुख्य सचिव अमिताभ जैन को एक्सटेंशन देने की बात भी सामने आ रही है, क्योंकि सरकार पूर्व DG अशोक जुनेजा के मामले में ऐसा कर चुकी है वह भी दो बार।

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मुख्य सचिव का एक्सटेंशन प्रदेश भाजपा संगठन के एक बड़े और प्रभावशाली वर्ग को कतई गवारा नहीं है। भाजपा के एक प्रभावशाली नेता प्रधानमंत्री को इस विषय पर एक गोपनीय पत्र भी लिख चुके हैं, जिसमें उन्होंने मुख्यसचिव अमिताभ जैन को एक्सटेंशन न देने का आग्रह किया है। पत्र में जैन और जुनेजा को पुरानी भूपेश सरकार का निकटस्थ बताकर किसी भी प्रकार का पुनर्वास भी न किये जाने का निवेदन किया गया है। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे गए पत्र का कितना असर होगा यह तो समय बताएगा। फ़िलहाल छत्तीसगढ़ में मुख्य सचिव का चयन टेढ़ी खीर होता जा रहा है। वैसे भी मुख्य सचिव जैन के एक्सटेंशन की संभावनाएं बहुत क्षीण हैं क्योंकि इस सम्बन्ध में सरकार ने अभी कोई फाइल मूव नहीं की है।  

 

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क्या बन रही संभावनाएं 

देखा जाए तो वरिष्ठता के आधार पर रेणु पिल्लई, ऋचा शर्मा और सुब्रत साहू का नाम सबसे ऊपर है, लेकिन राज्य की सरकार मनोज पिंगुआ को मुख्य सचिव बनाने की हिमायत कर रही है। बताते हैं कि पिंगुआ दिल्ली में केंद्रीय मंत्री अमित शाह से मिल भी चुके हैं। केंद्रीय मंत्री अमित शाह दो दिन पूर्व छत्तीसगढ़ के प्रवास पर आये थे तो मनोज पिंगुआ ने उनकी अगवानी भी की, जिससे संकेत मिल रहा है कि उनके नाम पर सहमति बनाने की पुरजोर कोशिश जारी है। अगर केंद्र ने महिला को प्राथमिकता दी तो रेणु पिल्लई बाजी मार सकती हैं। रेणु पिल्लई के पति संजय पिल्लई हाल ही में रिटायर हुए 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। रेनू पिल्लई के पिता भी आंध्र प्रदेश कैडर के आईएएस अधिकारी रहे हैं। उनके पुत्र ओडिशा कैडर के आईएएस हैं। पुत्री छत्तीसगढ़ कैडर की आईपीएस हैं। रेणु पिल्लई की एक स्वच्छ, ईमानदार और तेज तर्रार अधिकारी की छवि है।

 

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वहीं दूसरी तरफ 1992 बैच के आईएएस सुब्रत साहू भी अपना ओडिशा कनेक्शन भिड़ाने में लगे हैं। सुब्रत साहू ओडिशा के रहने वाले हैं और उनके पिता भी आईएएस अधिकारी थे। केंद्र में मंत्री और ओडिशा के भाजपा नेता धर्मेंद्र प्रधान का नाम उनके साथ जोड़ा जा रहा है। यानी मामला किसी भी करवट बैठ सकता है। सवाल फिर वही कि नए मुख्य सचिव की नियुक्ति के बाद अमिताभ जैन को क्या मिलेगा? इसकी चिंता अमिताभ जैन से ज्यादा सरकार को है। सूत्र बता रहे हैं कि अमिताभ जैन की भी सूचना आयोग में दिलचस्पी है। राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष पद का प्रभार तो अभी भी उनके ही पास है। लेकिन वे इस पद पर बने रहने के इच्छुक नहीं हैं।

एक खबर यह भी है कि पूर्व DG अशोक जुनेजा को मुख्य सूचना आयुक्त बनाया जा सकता है। इसमें अभी समय लग सकता है, क्योंकि वर्तमान में उच्च न्यायालय ने सूचना आयुक्त के तीन उम्मीदवारों की आपत्ति के बाद आयोग में नियुक्ति पर रोक लगा दी है। बताया जा रहा है कि आपत्ति जताने वालों को याचिका वापस लेने के लिए मनाने का प्रयास हो रहा है। यदि ऐसा हुआ तो जल्द ही सूचना आयोग में नियुक्तियों का रास्ता भी साफ़ हो जायेगा। ऐसा होते ही अशोक जुनेजा ही इस पद के प्रबल दावेदार होंगे। जुनेजा की प्रबल दावेदारी के पक्ष में यह कहा जा रहा है कि जुनेजा रिटायर होने के बाद दिल्ली में शिफ्ट हो चुके थे और भाजपा के एक बड़े नेता के आश्वासन के बाद ही उन्होंने इस पद की दावेदारी की और साक्षात्कार दिया, लेकिन राज्य के भाजपा नेताओं के कड़े विरोध के बाद उनका रास्ता भी आसान नहीं है। एक बात यह भी गौर करने लायक होगी कि प्रदेश भाजपा नेताओं के लिखे पत्र को केंद्र की तवज्जो मिली तो जैन और जुनेजा को तो निराशा मिलेगी साथ ही सुब्रत साहू के सीएस बनने के प्रयासों को भी झटका लग सकता है।

 

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