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छत्तीसगढ़ में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अफसरों की भारी कमी ने सरकारी कामकाज को प्रभावित करना शुरू कर दिया है। राज्य में आईएएस के कुल 202 स्वीकृत पदों में से 43 पद रिक्त हैं, जिसके चलते कई अफसरों को एक साथ 5 से 6 विभागों की जिम्मेदारी संभालनी पड़ रही है। यह स्थिति राज्य निर्माण के समय से ही बनी हुई है, क्योंकि स्वीकृत पदों के मुकाबले कभी भी पर्याप्त अफसर उपलब्ध नहीं रहे।
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कैडर की स्थिति और केंद्रीय प्रतिनियुक्ति का रुझान
छत्तीसगढ़ कैडर में 141 पद सीधी भर्ती और 61 पद राज्य प्रशासनिक सेवा (एसएएस), गैर-एसएएस से पदोन्नति या चयन के जरिए भरे जाते हैं। वर्तमान में केवल 159 आईएएस अफसर कार्यरत हैं। कई अफसर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति को प्राथमिकता देते हैं, जिससे राज्य में अफसरों की कमी और गहरा रही है। वर्तमान में 15 अफसर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं, जिनमें अमित अग्रवाल, निधि छिब्बर, गौरव द्विवेदी जैसे नाम शामिल हैं। प्रत्येक राज्य के लिए केंद्रीय प्रतिनियुक्ति का कोटा निर्धारित होता है, फिर भी यह रुझान राज्य के प्रशासन को प्रभावित कर रहा है।
मुख्य सचिव की सेवानिवृत्ति से बढ़ेगी चुनौती
प्रदेश के मुख्य सचिव अमिताभ जैन 30 जून 2025 को सेवानिवृत्त होने वाले हैं, जिससे एक और महत्वपूर्ण पद रिक्त हो जाएगा। इस कमी का असर नीति निर्माण और प्रशासनिक कार्यों पर साफ दिखाई दे रहा है।
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राज्य प्रशासनिक सेवा में भी रिक्तियां
आईएएस के अलावा राज्य प्रशासनिक सेवा (एसएएस) में भी स्थिति चिंताजनक है। कुल 490 स्वीकृत पदों में से 51 पद खाली हैं। इनमें अधिसमय वेतनमान के 15, वरिष्ठ प्रवर श्रेणी के 29, प्रवर श्रेणी के 88, वरिष्ठ श्रेणी के 123 और कनिष्ठ श्रेणी के 235 पद शामिल हैं।
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दागी अफसरों का मामला
अफसरों की कमी के बीच एक और गंभीर मुद्दा सामने आया है। प्रदेश में 27 आईएएस अफसरों के खिलाफ आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) में 11 मामले दर्ज हैं। एक मामले में प्रारंभिक जांच हुई है, जबकि 31 शिकायतें पंजीकृत हैं। ये शिकायतें आम जनता के साथ-साथ कांग्रेस और भाजपा नेताओं ने भी दर्ज कराई हैं।
प्रशासन पर बढ़ता दबाव
अफसरों की कमी और अतिरिक्त जिम्मेदारियों के कारण प्रशासनिक दक्षता पर सवाल उठ रहे हैं। विशेषज्ञों का अभाव नीति कार्यान्वयन और जन कल्याणकारी योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करने में बाधा बन रहा है। सरकार के समक्ष इस संकट से निपटने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
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