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छत्तीसगढ़ में भारत माला परियोजना में हुए घोटाले की तह तक ईओडब्ल्यू अब तक नहीं पहुंच नहीं पाई है। ईओडब्ल्यू की प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि किसानों की जमीनों को बैक डेट में टुकड़ों में बांटा गया था। परियोजना की अधिसूचना जारी होने के बाद जमीनों को छोटे टुकड़े में बांटकर उनके परिवार के अन्य सदस्यों के नाम पर चढ़ाए गए थे। इसके कारण जमीन अधिग्रहण के लिए दी जाने वाली मुआवजा राशि कई गुना अधिक हो गई।
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घोटाले के 12 आरोपियों में 8 फरार
भारतमाला प्रोजेक्ट घोटाले में ईओडब्ल्यू ने अभनपुर तहसील क्षेत्र के तत्कालीन एसडीएम निर्भय साहू, तहसीलदार शशिकांत कर्रे, राजस्व निरीक्षक रोशनलाल वर्मा, पटवारी दिनेश पटेल के अतिरिक्त गोबरानवापारा के तत्कालीन पटवारी नायकबांधा जीतेंद्र लहरे, पटवारी बसंती घृतलहरे, लेखराम पटेल के अलावा नायब तहसीलदार लखेश्वर प्रसाद किरण के विरुद्ध मामला दर्ज किया है। इन आरोपियों के फरार होने के कारण घोटाले की जांच अटकी गई है। हालांकि इसी मामले में हरमीत सलूजा, केदार तिवारी, विजय जैन और उमा तिवारी को गिरफ्तार किया जा चुका है। ईओडब्ल्यू चारों को रिमांड पर लेकर पूछताछ भी कर चुकी है, लेकिन घोटाला की जड़ तक पहुंच नहीं पाई। घोटाला शुरु कैसे और कहां से हुआ, इसका खुलासा तब होगा, जब फरार निलंबित अधिकारी और कर्मचारी पकड़े जाएंगे और उनसे पूछताछ होगी।
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प्रोजेक्ट का नक्शा लीक हुआ
भारतमाला प्रोजेक्ट का नक्शा एनएचएआई ने तैयार किया था। इसी नक्शा के आधार पर उन किसानों को जमीनों का मुआवजा दिया जाना था, जिनकी जमीनें अधिग्रहित की गई। माना जा रहा है कि अधिसूचना जारी होने से पहले अगर प्रोजेक्ट का नक्शा लीक हुआ है। अब यह नक्शा एनएचएआई से लीक हुआ या किसी ने अन्य ने साजिशन लीक किया? यह सवाल बना हुआ है। मगर, जिस पैमाने पर घोटाला हुआ, उससे लगता है कि नक्शा लीक किया गया था या कराया गया। यह भी अनुमान है कि अगर कराया गया तो घोटाले में एनएचएआई के कुछ अफसरों भी शामिल हो सकते हैं।
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बैक डेट पर हुए जमीन के टूकड़े
परियोजना की अधिसूचना जारी होने के बाद प्रभावित किसानों की जमीनों को बैक डेट पर छोटे-छोटे टुकड़े में बांटा गया। इसके बाद किसान के परिवार के अन्य सदस्यों के नाम पर चढ़ा दिया गया। नतीजा यह हुआ कि जमीन अधिग्रहण के रूप में कई गुना अधिक मुआवजा राशि का वितरण किया गया। ईओडब्ल्यू जांच रिपोर्ट में भी इसका उल्लेख है। हालांकि यह भी हो सकता है कि अधिसूचना जारी होने के पहले ही बटांकन कर दिया गया हो। अगर ऐसा हुआ तो भी इससे इनकार नहीं किया जा सकता है कि प्रोजेक्ट का नक्शा लीक हुआ है। इसका फायदा निलंबित किए गए आरोपी अधिकारी और कर्मचारियों की मिलीभगत से भू-माफिया ने फायदा उठाया। यह बात भी सामने आई है कि मुआवजा राशि सीधे किसानों के बैंक खातों में भेजी गई। इसके बाद सभी के खातों से ऊपर के मिले लाखों-करोड़ों रुपये निकाल लिए गए। ये रुपये किसने और कैसे निकाले, इसकी भी जांच की जा रही है।
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48 करोड़ के घोटाले के आरोप
भारतमाला परियोजन में 48 करोड़ का घोटाला किए जाने का आरोप है। इस मामले में ईओडब्ल्यू एसीबी की टीम ने पांच लोगों को पकड़ा है। उनसे पूछताछ में 14 और नाम सामने आए हैं। इनमें राजस्व विभाग के कर्मचारी और अधिकारियों से लेकर जमीन दलाल के नाम भी हैं। इन सभी को ईओडब्लू, एसीबी नोटिस जारी कर पूछताछ के लिए तलब कर सकती है। इनमें अधिकांश आरोपी जगदलपुर, गरियाबंद और धमतरी जिले के हैं। माना जा रहा है कि जांच और पूछताछ के बाद घोटाले की रकम कई गुना बढ़ सकती है और जांच का दायरा भी बढ़ सकता है।
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