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रायपुर : छत्तीसगढ़ के एक मेडिकल कॉलेज ने बड़ा अजब-गजब कारनामा किया है। जरा आप सोचिए कि किसी मशीन को सुधरवाने में आप कितना पैसा खर्च करेंगे। जाहिर है आप मशीन की कीमत से ज्यादा पैसा तो खर्च नहीं ही करेंगे। यह एक सामान्य सी बात है। लेकिन छत्तीसगढ़ में एक मेडिकल कॉलेज ऐसा भी है जिसके प्रबंधन ने मशीनों की मरम्मत कराने में उनकी कीमत से 100 गुना ज्यादा पैसे खर्च कर दिए। ये मेडिकल उपकरण अभी भी बंद पड़े हैं। है न कमाल की बात। आपको बता दें कि ये मशीने छत्तीसगढ़ के लिहाज से बहुत जरुरी हैं क्योंकि इनसे उन बीमारियों की जांच होती है जिनमें छत्तीसगढ़ अव्वल नंबर पर है। और जिन पर प्रधानमंत्री मोदी का सबसे ज्यादा फोकस है। क्या है पूरा मसला,आइए आपको बताते हैं।
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10 लाख की मशीन - 10 करोड़ की रिपेयरिंग
सरकार का जगदलपुर में बना बलिराम कश्यप स्मृति चिकित्सालय यानी मेडिकल कॉलेज में पिछले तीन सालों में बड़ा कारनामा हुआ। यहां पर तीन सालों में मशीनों की कीमत से 100 गुना ज्यादा पैसे उनको सुधरवाने में खर्च कर दिए। यह जानकारी द सूत्र की पड़ताल में सामने आई है। हमने जब पता किया कि इन मशीनों को सुधरवाने में अब तक कितना पैसा खर्च किया गया और वर्तमान में इनकी स्थिति क्या है। तब यह जानकारी सामने आई जो हैरान करने वाली थी। मेडिकल कॉलेज में ये मशीनें खून की जांच के लिए हैं। इनकी कीमत करीब 10-12 लाख रुपए है। इन मशीनों की रिपेयरिंग कराने में मेडिकल कॉलेज को तीन साल में 10 करोड़ रुपए मिले। यानि ये फंड नई मशीनें खरीदने के लिए नहीं बल्कि उनको ठीक करवाने के लिए दिया गया था। मेडिकल कॉलेज के हिसाब में यह राशि खर्च होना बताई गई। फिर भी ये मशीनें अभी बंद ही बताई जा रही हैं।
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ये मशीनें इस तारीख से खराब
ऑटोमेटेड इलेक्ट्रोफोरोसिस - 5 अगस्त 2023
फुल्ली ऑटो एनालाइजर - 10 जनवरी 2023
ब्लड सेल काउंटर - 16 जनवरी 2025
पीएम केयर ऑक्सीजन प्लॉट - 25 जुलाई 2024
बैकमैन काल्टर - 1 जुलाई 2013
सेमी ऑटो एनालाइजर - 1 अप्रैल 2020
ऑटोमेटेड हिस्टोकाइनेटिक टिश्यू प्रोसेसर - 2018
सीबीसी मशीन - 2019
सिसमैक्स कार्पोरेशन - 2023
सीबीसी मशीन - 2024
सेमीऑटोमेटिक ब्लड एनालाइजर - 2023
पोर्टेबल ट्यूब - 2024
ऑटोक्लैब - 2023
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इन मशीनों की मरम्मत में इतने पैसे खर्च
2021-22 - 2 करोड़ 77 लाख
2022- 23 - 3 करोड़ 46 लाख
2023 - 24 - 3 करोड़ 52 लाख
खून से जुड़ी जानलेवा बीमारियां
यह मेडिकल उपकरण खून की जांच के लिए हैं। छत्तीसगढ़ आदिवासी राज्य माना जाता है। आदिवासियों में कुछ बीमारियां सबसे ज्यादा पाई जाती हैं। इनमें सिकल सेल, एनीमिया और थैलीसीमिया है। जानकारी के अनुसार छत्तीसगढ़ में सिकल सेल 20 फीसदी और एनीमिया 47 फीसदी महिलाओं में है। इनके साथ ही यहां पर थैलीसीमिया भी है। यह बीमारी जानलेवा मानी जाती हैं। इन बीमारियों का पता खून की जांच से ही चलता है जबकि मेडिकल कॉलेज में तो यही मशीनें खराब पड़ी हुई हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन बीमारियों को मिटाने के लिए खासतौर पर फोकस किया है। इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर योजनाएं चलाई जा रही हैं जिनमें बड़ा फंड खर्च हो रहा है।
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50 लाख में नहीं मिटा सीपेज
इस मेडिकल कॉलेज का एक और कमाल बताते हैं। इसी कॉलेज के अस्पताल के भवन की मरम्मत के लिए भी तीन साल में 50 लाख रुपए का फंड आ चुका है। लेकिन अभी भी यहां ड्रेनेज सिस्टम ठीक नहीं है, टॉयलेट की समस्या है, सभी वॉर्डों और विभागों और ओपीडी ब्लॉक में सीपेज की समस्या है।
भवन मरम्मत में इतने पैसे खर्च :
2021-22 - 22 लाख
2022- 23 - 20 लाख
2023 - 24 - 12 लाख
यह पूरी स्थिति देखकर तो यही कहा जा सकता है कि ये सरकारी सिस्टम है। जितने का घोड़ा नहीं होता उतने का कोड़ा खरीद लिया जाता है। आखिर इन पैसों से ही सिस्टम में बैठे लोगों की जेब भरती है।
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