रायपुर (अरुण तिवारी) : छत्तीसगढ़ की विष्णु सरकार ने अपनी ही बिजली कंपनी की कमर तोड़ दी है। बिजली कंपनी जितने घाटे में है उसमें आधे से ज्यादा सरकार पर बकाया है। इसका सीधा असर आम आदमी पर पड़ सकता है। सरकार के 45 विभागों ने बिजली के बिल नहीं चुकाए हैं। इन विभागों पर ढाई हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की बिजली बिल की देनदारी है। सरकार अपने ही विभागों से बिल वसूल नहीं कर पा रही है। बिजली कंपनियों ने घाटे की भरपाई के लिए टैरिफ बढ़ाने की मांग की है। यदि यही हाल रहा तो आम आदमी की जेब पर बिजली के बिल का बोझ बढ़ सकता है। वहीं सरकार केंद्र से मांगकर बिजली के इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्च कर रही है।
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सरकार का बिल भरेगी जनता
प्रदेश भर के 65 लाख बिजली उपभोक्ताओं को महंगी बिजली का झटका लग सकता है। राज्य पावर कंपनी ने बिजली नियामक आयोग में नए सत्र के लिए लगाई गई याचिका में 45 सौ करोड़ का घाटा बताया है। उसे पूरा करने के लिए नया टैरिफ लागू करने की सिफारिश की है।पावर कंपनी ने पिछले साल जून में 2024-25 सत्र का टैरिफ तय किया था। पावर कंपनी ने बीते साल भी नए सत्र में फायदा और पुराना अंतर बताया था। इसे आयोग ने तय किया। इसी के साथ प्रदेश सरकार ने एक हजार करोड़ अपनी तरफ से दिए थे, ऐसे में उपभोक्ताओं को कम झटका लगा। सत्र में लगभग हर वर्ग की बिजली 20 से 25 पैसे यूनिट बढ़ी थी। पॉवर कंपनी के घाटे की सबसे बड़ी वजह सरकार ही है। सरकार के 45 विभागों पर ही ढाई हजार करोड़ से ज्यादा का बिल बकाया है। यानी बिजली कंपनी जितने घाटे में है उसमें आधे से ज्यादा तो सरकार के पास ही बिजली बिल बकाया है। अब सरकार का बिल जनता से भरवाने की तैयारी है। बिजली कंपनी ने घाटा पूरा करने के लिए ही टैरिफ बढ़ाने की मांग की है।
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सबसे बड़े बकायादार नगरीय प्रशासन और ग्रामीण विकास
सरकार के 45 विभागों पर बिजली बिल का बकाया है। इनमें सबसे बड़े बकायादार नगरीय प्रशासन और पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग हैं। इन दोनों पर ही दो हजार करोड़ का बिल बकाया है। नगरीय प्रशासन पर 1500 से ज्यादा और पंचायत एवं ग्रामीण विकास पर करीब 600 करोड़ बकाया हैं। इनके अलावा पीएचई,चिकित्सा शिक्षा,स्कूल शिक्षा और गृह विभाग पर भी बड़ी राशि बकाया है। सीएम विष्णुदेव साय कहते हैँ कि बकाया राशि की वसूली के लिए विभागों और उनके कार्यालयों से लगातार पत्राचार और संपर्क किया जा रहा है। कनेक्शन काटने के नोटिस भी भेजे जा रहे हैं। यदि बिल जमा नहीं हुआ तो बिजली कनेक्शन काटा जाएगा। आइए आपको बताते हैँ कि बड़े बकायादार सरकारी विभाग।
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बिजली के कुछ बड़े बकायादार सरकारी विभाग
नगरीय निकाय - 1548 करोड़ रुपए
पंचायत एवं ग्रामीण - 592 करोड़ रुपए
पीएचई - 87 करोड़ रुपए
चिकित्सा शिक्षा - 79 करोड़ रुपए
स्कूल शिक्षा - 78 करोड़ रुपए
गृह - 34 करोड़ रुपए
जल संसाधन - 28 करोड़ रुपए
महिला एवं बाल विकास - 24 करोड़ रुपए
आदिम जाति एवं अल्पसंख्यक कल्याण - 18 करोड़ रुपए
आवास एवं पर्यावरण - 15 करोड़
लोक निर्माण - 13 करोड़
राजस्व - 12 करोड़ रुपए
वन - 12 करोड़ रुपए
कौशल विकास एवं रोजगार - 4 करोड़ रुपए
विधि विधायी - 3 करोड़ रुपए
कुल बकायादार सरकारी विभाग- 45
कुल बकाया राशि - 2577 करोड़ रुपए
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तीन साल में बिजली के इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्च
पिछले तीन साल में बिजली के इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्च करने के लिए भी राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से फंड मांगा है। इसी फंड के सहारे प्रदेश में बिजली पर काम हुआ है। इन सालों में कुल 14 सौ करोड़ से ज्यादा का खर्च किया गया है जिसमें 500 करोड़ से ज्यादा की राशि केंद्र सरकार ने दी है।
यह रहा हिसाब-किताब
केंद्र सरकार से मिले - 511 करोड़ रुपए
राज्य सरकार से मिले - 179 करोड़ रुपए
विद्युत वितरण कंपनी मद - 766 करोड़ रुपए
कुल खर्च - 1457 करोड़ रुपए
यदि सरकारी विभागों ने यह बिल जमा नहीं किया तो आम आदमी को जोर का झटका जोर से ही लगने वाला है।
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