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स्कूल शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचारी अफसरों पर कारवाई करना तो दूर उन्हें पदोन्नत कर रहा है। और तो और सबूत मिटाने के लिए स्कूल शिक्षा विभाग संचालनालय से फाइल ही गायब कर दी गई। दरअसल मामला साल 2016 का है। इस दौरान राजीव गांधी शिक्षा मिशन से टीवी और कम्प्यूटर खरीद कर स्कूलों में लगवाना था। जिससे छत्तीसगढ़ के स्कूलों में छात्रों के लिए स्मार्ट क्लास का निर्माण हो सके। लेकिन अधिकारियों ने एलईडी टीवी और कम्प्यूटर की सप्लाई के बिना ही 7 करोड़ रुपए 24 लाख 400 रुपए सरकारी खाते से निकाल लिए।
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एंटी करप्शन ब्यूरो में हुई शिकायत
इस आर्थिक अनियमितता की शिकायत जब एंटी करप्शन ब्यूरो में हुई तो भ्रष्टाचारी अधिकारियों ने खरीदी के लिए बनाई गई मूल फाइल ही गायब कर दी गई। लेकिन इस दौरान विभाग के ही कुछ लोगों ने इन दस्तावेजों की फोटो कॉपी करवा कर रख ली थी। जिसके आधार पर एंटी करप्शन ब्यूरो में शिकायत कर दी गई। इसके आधार पर एसीबी ने मामले की जांच तो शुरु कर दी है लेकिन उन्हें कार्रवाई के लिए पुख्ता दस्तावेज यानि विभाग के द्वारा साइन किए हुए पेपर चाहिए। जिसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जा सके।
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फोटो कॉपी पेपर्स को सत्यापित नहीं किया
8 साल बीतने के बाद भी स्कूल शिक्षा विभाग ने एसीबी द्वारा दिए गए फोटो कॉपी पेपर्स को सत्यापित नहीं किया। आरोपी और स्कूल शिक्षा विभाग के उप संचालक आशुतोष चावरे का कहना है कि मामला बहुत पुराना है इसलिए उन्हें अब कुछ भी याद नहीं.. जबकि एसीबी आईजी अमरेश मिश्रा का मामले की जांच में तेजी लाने की बात कर रहे हैं। उनका कहना है कि प्रकरण पुराना है इस कारण से जांच करवा लेते हैं, उसके बाद उसमें आगे की कार्रवाई करवाएंगे।
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एसीबी बार-बार लिख रहा पत्र
एससीबी में शिकायत के 8 साल बीत चुके हैं। जिसके आधार पर एसीबी ने मामले की जांच शुरु कर दी है। इस दौरान एसीबी ने दस्तावेजों के सत्यापन के लिए कई बार स्कूल शिक्षा विभाग को लेटर भेजा। एसीबी के अधिकारियों ने 5 बार संचालनालय के चक्कर भी लगा लिया है। लेकिन स्कूल शिक्षा विभाग ने न तो एसीबी को दस्तावेजों को सत्यापन ही किया और न ही लेटर का जवाब ही दिया। जिसके कारण आज तक भ्रष्ट अधिकारियेां के खिलाफ अपराध दर्ज नहीं को सका। उल्टा इन्हें प्रमोशन भी दे दिया गया।
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एक आरोपी अधिकारी हो चुका है रिटायर
बिना सप्लाई के 7 करोड़ 24 लाख 400 रुपए होने मामले में 8 साल बाद भी जांच पूरी नहंी हो सकी है। जबकि मामला विधानसभा में भी उठ चुका है। इसमें स्कूल शिक्षा विभाग के 3 अधिकारी मुख्य आरोपी बताया जा रहा है जिसमें तत्कालीन संयुक्त संचालक आशुतोष चावरे, तत्काली सहायक संचालक पी रमेश और बजरंग प्रजापति हैं। जानबूझकर की जा रही देरी के कारण पी रमेश रिटायट भी हो चुके।
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