स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालयों की चमक फीकी, अव्यवस्थाएं, वेतन संकट और भर्ती में धांधली

छत्तीसगढ़ में शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के मेधावी छात्र-छात्राओं को बेहतर अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से 2020 में शुरू किए गए स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालय अब अपनी शुरुआती चमक खोते नजर आ रहे हैं।

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Krishna Kumar Sikander
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The shine of Swami Atmanand Utkrishta Vidyalayas has faded the sootr
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छत्तीसगढ़ में शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के मेधावी छात्र-छात्राओं को बेहतर अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से 2020 में शुरू किए गए स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालय अब अपनी शुरुआती चमक खोते नजर आ रहे हैं। सरकारी अनुदान की कमी, शिक्षकों को समय पर वेतन न मिलना, भर्ती प्रक्रिया में अनियमितताएं और स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव जैसी समस्याओं ने इन विद्यालयों की साख पर सवाल खड़े कर दिए हैं। हालात ऐसे हैं कि अगर समय रहते सुधार नहीं किए गए, तो इन स्कूलों का शैक्षणिक स्तर और लोकप्रियता दोनों प्रभावित हो सकते हैं।

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शिक्षकों और सुविधाओं पर संकट

स्वामी आत्मानंद विद्यालयों को सरकारी अनुदान मिलता है, लेकिन इसे खर्च करने की प्रक्रिया इतनी जटिल है कि स्कूलों का संचालन प्रभावित हो रहा है। किसी भी कार्य के लिए पहले अनुमोदन लेना पड़ता है, फिर काम पूरा होने के बाद बिल जमा करना होता है, और इसके बाद ही राशि आवंटित की जाती है। इस प्रक्रिया में देरी के कारण स्कूलों में साफ-सफाई, रखरखाव, और शैक्षणिक गतिविधियों के लिए जरूरी संसाधनों की कमी हो रही है। कई स्कूलों को शुरू हुए चार साल से ज्यादा समय बीत चुका है, लेकिन बुनियादी सुविधाएं जैसे सफाई, पुताई, और बिजली व्यवस्था तक दुरुस्त नहीं हो पाई हैं। परिणामस्वरूप, स्कूलों में अव्यवस्थाओं का अंबार लग गया है। शिक्षकों को भी कई महीनों तक वेतन नहीं मिल रहा, जिसके कारण वे इन स्कूलों में काम करने से कतराने लगे हैं। इससे शिक्षक-छात्र अनुपात भी प्रभावित हो रहा है, जो भविष्य में शैक्षणिक गुणवत्ता पर असर डाल सकता है।

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साफ-सफाई और बुनियादी सुविधाओं का अभाव

रायपुर सहित कई जिलों के स्वामी आत्मानंद विद्यालयों में साफ-सफाई की स्थिति चिंताजनक है। शौचालयों में नियमित सफाई का अभाव, डस्टबिन की कमी, और छात्राओं के लिए सैनेटरी पैड वेंडिंग मशीनों का खराब होना आम समस्याएं हैं। कई स्कूलों में सैनेटरी पैड इधर-उधर फेंके हुए मिलते हैं, जिससे स्वच्छता और स्वास्थ्य संबंधी जोखिम बढ़ रहे हैं। सफाई कर्मियों की कमी इस समस्या को अधिक गंभीर बना रही है। 

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घटती आवेदन संख्या, घट रहा भरोसा

स्वामी आत्मानंद विद्यालय शुरू होने के समय निजी स्कूलों के छात्रों ने भी इनमें दाखिले के लिए उत्साह दिखाया था। लेकिन अब स्थिति उलट है। इस साल बीपी तिवारी स्कूल में केवल 421 आवेदन आए, जबकि पिछले साल यह संख्या 700 के करीब थी। इसी तरह, आरडी तिवारी स्कूल में इस बार केवल 1500 आवेदन प्राप्त हुए। प्राचार्यों का कहना है कि अब अभिभावक और छात्र अपने नजदीकी आत्मानंद स्कूल को ही प्राथमिकता दे रहे हैं, जिससे आवेदनों की संख्या में कमी आई है। जानकारों का मानना है कि स्कूलों की संख्या बढ़ने और अव्यवस्थाओं के कारण अभिभावकों का भरोसा कम हुआ है।

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भर्ती में फर्जीवाड़ा, विश्वसनीयता पर सवाल

शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में भी स्वामी आत्मानंद विद्यालयों में भारी अनियमितताएं सामने आई हैं। प्रदेश की राजधानी रायपुर समेत जांजगीर-चांपा में बिना योग्यता या फर्जी डिग्री के आधार पर नियुक्तियां होने की शिकायतें मिली हैं। इन घटनाओं ने स्कूलों की विश्वसनीयता Sistine Chapelता पर सवाल उठा रहे हैं। शिक्षकों की कमी और भर्ती में गड़बड़ी के कारण स्कूलों का शैक्षणिक माहौल प्रभावित हो रहा है। 

शिक्षकों और अभिभावकों की नाराजगी

छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय शर्मा का कहना है कि स्वामी आत्मानंद विद्यालय योजना की शुरुआत बेहद सराहनीय थी, लेकिन रखरखाव और प्रबंधन में कमी के कारण यह अपनी दिशा खो रही है। उन्होंने स्कूलों के विकास और शैक्षणिक गतिविधियों पर ध्यान देने की जरूरत बताई। दूसरी ओर, सहायक जिला शिक्षा अधिकारी (एडीईओ) कलावती भगत ने माना कि फंड की कमी के कारण स्कूल में अव्यवस्थाएं पैदा हुई हैं। इसके बावजूद एडीईओ ने भरोसा दिलाया कि इन समस्याओं का समाधान शीघ्र कर लिया जाएगा। इससे छात्रों को बेहतर सुविधाएं मिल सकेगीं।

शैक्षणिक प्रदर्शन अभी संतोषजनक, लेकिन भविष्य अनिश्चित

फिलहाल स्वामी आत्मानंद विद्यालयों का शैक्षणिक प्रदर्शन संतोषजनक है, और परिणाम 94% से अधिक हैं। लेकिन शिक्षकों की कमी, वेतन में देरी, और बुनियादी सुविधाओं के अभाव के कारण यह प्रदर्शन भविष्य में प्रभावित हो सकता है। यदि समय रहते सुधारात्मक कदम नहीं उठाए गए, तो इन स्कूलों की गुणवत्ता और लोकप्रियता पर गहरा असर पड़ सकता है।

तत्काल सुधारों की जरूरत 

स्वामी आत्मानंद विद्यालयों को अपनी खोई हुई साख वापस पाने के लिए तत्काल सुधारों की जरूरत है। फंड आवंटन की प्रक्रिया को सरल करना, शिक्षकों को समय पर वेतन देना, भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता लाना, और बुनियादी सुविधाओं को दुरुस्त करना जैसे कदम उठाए जाने चाहिए। साथ ही, स्कूलों में साफ-सफाई और छात्राओं के लिए विशेष सुविधाओं पर ध्यान देना जरूरी है। यदि सरकार और प्रशासन इस दिशा में ठोस कदम उठाए, तो स्वामी आत्मानंद विद्यालय अपनी मूल दृष्टि को साकार कर सकते हैं और छत्तीसगढ़ की शिक्षा व्यवस्था में एक मिसाल बन सकते हैं।

संसाधनों की कमी बनी राह में बाधाएं 

स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालय योजना छत्तीसगढ़ के लिए एक महत्वाकांक्षी कदम था, लेकिन अव्यवस्थाओं और संसाधनों की कमी ने इसकी राह में बाधाएं खड़ी कर दी हैं। समय रहते सुधारों के बिना यह योजना अपनी चमक पूरी तरह खो सकती है। सरकार को चाहिए कि वह इस योजना को मजबूत करने के लिए तत्काल कदम उठाए, ताकि मेधावी छात्र-छात्राओं को बेहतर शिक्षा और अवसर मिल सकें।

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