छत्तीसगढ़ में आत्मानंद स्कूलों की बढ़ती मांग के बावजूद, इन स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं की गंभीर कमी देखी जा रही है। राज्य के करीब 750 आत्मानंद स्कूल, जिनमें हिंदी और अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा दी जाती है। फंड की कमी के चलते चॉक, डस्टर, रजिस्टर, फिनाइल जैसी छोटी जरूरतों को भी पूरा नहीं कर पा रहे हैं।
स्कूलों के पास इस वर्ष की आकस्मिक व्यय निधि नहीं आई है, जबकि चार महीने से अधिक समय बीत चुका है। इस कारण साफ-सफाई जैसी बुनियादी चीजों पर भी असर पड़ा है।
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पैसे की कमी से जूझ रहा स्कूल
राजधानी सहित प्रदेशभर के स्कूलों ने इस समस्या के बारे में पहले ही शिक्षा विभाग को सूचित कर दिया था, जहां से जल्द ही फंड जारी करने का आश्वासन मिला था। हालांकि, अब तक इस दिशा में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। हर साल इन स्कूलों को आकस्मिक व्यय के लिए 5 लाख रुपये की राशि मिलती थी, जिससे वे अपनी छोटी-छोटी आवश्यकताएं पूरी करते थे।
अप्रैल-मई तक मिलने वाली यह राशि इस साल देरी से मिलने के कारण, आत्मानंद स्कूल पैसे की कमी से जूझ रहे हैं। यह स्थिति न केवल शिक्षकों के कामकाज पर असर डाल रही है, बल्कि छात्रों की पढ़ाई पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है।
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