पूरक पोषण आहार की बदली व्यवस्था, पहले की तुलना में मिलेगा अधिक प्रोटीन और कैलोरी

छत्तीसगढ़ में द सूत्र की खबर का बड़ा असर हुआ है, खबर के बाद अब छत्तीसगढ़ में रेडी टू ईट और गर्म भोजन का मेन्यू बदल दिया गयाहै। जिसमे रेडी टू ईट से साथ दलिया का भी प्रावधान किया गया है, जिससे पहले की तुलना में हितग्राहियों को अधिक प्रोटीन और कैलोरी मिल सके।

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VINAY VERMA
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The system of supplementary nutrition has changed, more protein and calories will be available than before the sootr
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छत्तीसगढ़ में द सूत्र की खबर का बड़ा असर हुआ है, खबर के बाद अब छत्तीसगढ़ में रेडी टू ईट और गर्म भोजन का मेन्यू बदल दिया गयाहै। जिसमे रेडी टू ईट से साथ दलिया का भी प्रावधान किया गया है, जिससे पहले की तुलना में हितग्राहियों को अधिक प्रोटीन और कैलोरी मिल सके। साथ मे गर्भवती, शिशुवती, गंभीर कुपोषित और सामान्य बच्चों के लिए अलग अलग डाइट और रेडी टू ईट की व्यवस्था की जा रही। महिला एवं बाल विकास विभाग के द सूत्र की खबर के 2 दिन बाद यह आदेश जारी कर दिया। 

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द सूत्र ने 11 जून को प्रसारित की थी खबर

बता दे की द सूत्र ने 11 जून को इस संबंध में खबर प्रसारित की थी। जिसमे बताया था कि छत्तीसगढ़ में रेडी टू ईट को लेकर मनमानी की जा रही है। सभी प्रकार के हितग्राहियों के लिए अलग अलग रंग के पैकेट तैयार किये जाते है। लेकिन सभी मे उत्पाद एक तरह का ही रहता है। यानी सामान्य बच्चे हो, गंभीर कुपोषित हो या गर्भवती, शिशुवती माता सभी को एक ही आहार मिल रहा था। इस समान आहार की बदौलत महिला एवं बाल विकास विभाग हितग्राहियों को सुपोषित करने का दावा कर रहा है, जबकि नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे रिपोर्ट-5 के मुताबिक छत्तीसगढ़ में 34% बच्चे अपनी आयु से कम लंबे हैं।

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इसके अलावा प्रदेश की महिलाओं पुरुषों और बच्चों में एनीमिया का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। इतना ही नहीं गंभीर कुपोषित, शिशुवती, गर्भवती महिलाओं को कितना आहार लेना है इसकी जानकारी न तो आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को है और न ही हितग्राहियों को... सब कुछ मनमर्जी चल रहा। इसके अलावा रेडी टू ईट में चीनी की मात्रा जरूरत से कहीं ज्यादा थी। चीनी की मात्रा ज्यादा होने का कारण रेडी टू ईट की लागत तो कम होती थी लेकिन यह हितग्राही के शरीर पर बड़ा नुकसान कर रहा है।

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द सूत्र ने इस गंभीर विषय पर विशेषज्ञ से चर्चा कर खबर बनाई। जिसके बाद छत्तीसगढ़ की महिला एवं बाल विकास विभाग ने अपनी गलती सुधारी है और पूरक पोषण आहार के संबंध में नई गाइडलाइन जारी की है। जिसमें नए मेन्यू के साथ प्रचार प्रसार की भी बात कही गई है। महिला एवं बाल विकास विभाग के अनुसार प्रदेश की सभी आंगनबाड़ियों  में 1 अगस्त से नए मेन्यू के तहत भोजन और रेडी टू ईट का दिया जाना है।

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यह है नए बदलाव

आंगनबाड़ी केद्रों में 6 माह से 3 वर्ष के मध्यम कुपोषित बच्चों को दिए जाने शक्ति आहार की मात्रा अब प्रतिदिन सवा सौ ग्राम की होगी। जिससे इन बच्चों को पहले की तुलना में प्रतिदिन अधिक प्रोटीन और कैलोरी मिलेगी। इसके अलावा इन्हें महीने में दो पैकेट पौष्टिक नमकीन दलिया भी देना होगा। 6 माह से 3 वर्ष की गंभीर कुपोषित बच्चों के लिए प्रतिदिन 200 ग्राम शक्ति आहार और 200 ग्राम दलिया के अनुसार पैकेट मुहैया करानी होगी। तीन माह से 6 वर्ष के सामान्य एवं मध्यम कुपोषित बच्चे और गंभीर कुपोषित बच्चों के लिए सप्ताह में तीन दिन शक्ति आहार का हलवा और पौष्टिक नमकीन का दलिया देना अनिवार्य होगा। इसके अलावा इन्हें सब्जी,दाल, चावल भी आंगनबाड़ी केंद्र में खिलाने होंगे। गर्भवती और शिशुवती महिलाओं को पहले की तुलना में ज्यादा कैलोरी और प्रोटीन डाइट देना अनिवार्य कर दिया गया है। इन्हें भी शक्ति आहार के साथ-साथ पौष्टिक नमकीन दलिया भी देना जरूरी है।

कार्यक्रम अधिकारियों को स्पष्ट आदेश

महिला एवं बाल विकास विभाग ने जिलों के कार्यक्रम अधिकारियों को स्पष्ट आदेश जारी करते हुए कहा है कि आहार के संबंध में व्यापक प्रचार प्रसार किया जाए। यानी किस हितग्राही को कितना आहार लेना है , इसका प्रचार प्रसार करना है। गांव वार्ड के प्रत्येक दीवारों पर लेखन कराया जाए। साथ में बच्चों को और विशेष तौर पर गंभीर कुपोषित बच्चों को आहार के बारे में सटीक परामर्श भी दिया जाए और उन्हें प्रोत्साहित किया जाए।

निरीक्षण और पर्यवेक्षण के लिए विकसित हो तंत्र

आंगनवाड़ी में सभी प्रकार के हितग्राहियों को पूरक पोषण आहार मिल सके, इसके लिए निरीक्षण और पर्यवेक्षण के लिए तंत्र विकसित किया जाए। विभाग में जिला कार्यक्रम अधिकारियों को यह चेतावनी दी है कि अगर इन मामलों में किसी तरह से लापरवाही की गई तो उसकी सारी जिम्मेदारी स्थानीय पर्यवेक्षक और जिला कार्यक्रम अधिकारी की होगी। और उन पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। साथ में विभाग ने यह भी कहा कि पूरक पोषण आहार और भोजन में चीनी और नमक की मात्रा कितनी डाली जा रही है इसका भी परीक्षण कर व्यवस्था बनाई जाए।

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