जिनके संग नक्सलियों ने खेली खून की होली, वो बना रहे अब हर्बल गुलाल

कांकेर में इस होली त्योहार पर लोगों को प्राकृतिक रंगों का विकल्प मिलेगा। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन 'बिहान' के अंतर्गत महिला स्व-सहायता समूहों ने हर्बल गुलाल तैयार किया है।

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Kanak Durga Jha
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Those with whom Naxals played Holi blood now making herbal gulaal the sootr
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कांकेर में इस होली त्योहार पर लोगों को प्राकृतिक रंगों का विकल्प मिलेगा। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन 'बिहान' के अंतर्गत महिला स्व-सहायता समूहों ने हर्बल गुलाल तैयार किया है। यह गुलाल पुराना बस स्टैंड के पास स्थित सी-मार्ट और कलेक्टर कार्यालय परिसर में बेचा जा रहा है।

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इस हर्बल गुलाल में पूरी तरह प्राकृतिक सामग्री का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें पालक, धनिया पत्ती, पलाश फूल, गेंदा फूल, हल्दी, मेहंदी पत्ती, धंवई फूल, चुकंदर, सिंदूर बीज और अरारोट का आटा शामिल है। महिलाओं ने इस साल करीब 40 हजार रुपए के गुलाल की बिक्री की है।

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बस्तर की महिलाओं ने तैयार किया गुलाल

जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी हरेश मंडावी के मुताबिक, कलेक्टर निलेश कुमार महादेव क्षीरसागर के मार्गदर्शन में यह पहल की गई है। कांकेर, दुर्गूकोंदल, नरहरपुर और भानुप्रतापपुर विकासखंड के 6 महिला स्व-सहायता समूहों की 45 सदस्य इस काम में जुटी हैं। यह पहल न केवल पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है, बल्कि महिलाओं को रोजगार का अवसर भी प्रदान कर रही है। समूह द्वारा तैयार किए गए उत्पाद की शुद्धता और विश्वसनीयता 100 प्रतिशत है।

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त्वचा में नही होगा कोई साइड इफैक्ट

जिला पंचायत सीईओ ने बताया कि पिछले साल से जिले में बिहान योजना से जुड़े समूहों द्वारा हर्बल गुलाल बनाया जा रहा है, यह केमिकल फ्री होने के कारण इस गुलाल को काफी पसंद किया जा रहा है। इससे त्वचा में किसी भी प्रकार का साईड इफेक्ट नहीं होता है। भानुप्रतापपुर की भारती साहू, धनेश्वरी दुग्गा और विकासखंड कांकेर के ग्राम सिंगारभाट की शोभा प्रसाद द्वारा हर साल हर्बल गुलाल बनाया जाता है। समूह सदस्यों द्वारा इस साल कुल 287 किलोग्राम हर्बल गुलाल उत्पादित किया गया।

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