न बाजे, न बारात.... 17 मिनट में संपन्न हुई तीन जोड़ों की शादी

नगर निगम चिरमिरी के पोड़ी क्षेत्र में एक अनोखा समारोह देखने को मिला। संत रामपाल महाराज के अनुयायियों द्वारा आयोजित यह समारोह न केवल परंपराओं को सादगी से निभाने की मिसाल बना, बल्कि समाज को यह संदेश भी दे गया कि विवाह एक पवित्र संस्कार है।

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Harrison Masih
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जहां आज के दौर में विवाह समारोह खर्च और दिखावे की प्रतिस्पर्धा बनते जा रहे हैं, वहीं नगर निगम चिरमिरी के पोड़ी क्षेत्र में एक अनोखा और प्रेरणादायक विवाह समारोह देखने को मिला। संत रामपाल महाराज के अनुयायियों द्वारा आयोजित यह समारोह न केवल परंपराओं को सादगी से निभाने की मिसाल बना, बल्कि समाज को यह संदेश भी दे गया कि विवाह एक पवित्र संस्कार है, न कि प्रदर्शन का आयोजन।

17 मिनट में हुए तीन विवाह 

इस कार्यक्रम की सबसे खास बात यह रही कि इसमें न बैंड-बाजा था, न बारात, न घोड़ी, और न ही खर्चीले भोज-भात या तामझाम। केवल गुरुवाणी और सच्चे भावों के माध्यम से 17 मिनट में तीन जोड़े वैवाहिक जीवन के बंधन में बंध गए। इन जोड़ों में बलरामपुर, सरगुजा और जशपुर से आए युवक-युवतियां शामिल थे, जिन्होंने बिना किसी दिखावे और दहेज के यह पवित्र बंधन स्वीकार किया।

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वधुओं का साहसिक संदेश

विवाह समारोह में वधू बनीं सुचित्रा और सुलेखा ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “आजकल की शादियां दिखावे और खर्च का माध्यम बन चुकी हैं। हम यह परंपरा बदलना चाहते हैं। हमारा उद्देश्य है कि समाज समझे कि विवाह एक जिम्मेदारी और संस्कार है, ना कि दिखावे की होड़।”

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परिवारों का समर्थन

कार्यक्रम में वधू और वर पक्ष के परिवार भी मौजूद रहे। उन्होंने इस सादे और दहेजमुक्त विवाह की खुले दिल से सराहना की। उन्होंने कहा कि यह पहल आज की पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा है और खासकर आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए बहुत बड़ी राहत साबित हो सकती है।

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समाज को संदेश

इस आयोजन ने यह साफ कर दिया कि विवाह रस्मों और खर्चों का बोझ नहीं होना चाहिए, बल्कि यह दो आत्माओं और परिवारों का पवित्र संगम है। बिना भारी खर्च के भी एक विवाह न सिर्फ सम्पन्न हो सकता है, बल्कि समाज के सामने एक नई सोच की शुरुआत भी रख सकता है।

इस आयोजन ने न केवल विवाह को सादगी से मनाने की मिसाल कायम की, बल्कि एक सामाजिक जागरूकता अभियान की तरह यह संदेश भी दे गया कि अगर सोच बदली जाए, तो परंपराएं भी बदली जा सकती हैं।

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FAQ

प्रश्न 1: इस शादी में सिर्फ 17 मिनट में कैसे पूरा हुआ विवाह समारोह?
उत्तर: इस विवाह समारोह में पारंपरिक तामझाम, बारात, मंडप और लंबी रस्मों को छोड़कर सिर्फ गुरुवाणी के माध्यम से सात वचन लिए गए। संत रामपाल महाराज के अनुयायियों की परंपरा के अनुसार विवाह को एक पवित्र और आध्यात्मिक संस्कार माना जाता है, ना कि दिखावे का माध्यम। इसी कारण पूरे कार्यक्रम को सादगी और श्रद्धा के साथ केवल 17 मिनट में संपन्न किया गया।
प्रश्न 2: क्या इस विवाह में दहेज लिया या दिया गया?
उत्तर: नहीं, इस विवाह कार्यक्रम की सबसे बड़ी खासियत यही थी कि यह पूरी तरह दहेज मुक्त था। दोनों पक्षों ने सामाजिक बंधनों और अनावश्यक खर्चों को नकारते हुए विवाह को एक बराबरी और सम्मान के रिश्ते के रूप में निभाया। यह पहल समाज में दहेज प्रथा के खिलाफ एक सशक्त संदेश देती है।
प्रश्न 3: क्या इस तरह की शादी कानूनी रूप से मान्य होती है?
उत्तर: हाँ, यदि विवाह आपसी सहमति, बालिग जोड़ों और गवाहों की उपस्थिति में संपन्न होता है, तो वह कानूनी रूप से वैध होता है। ऐसे विवाह को बाद में रेजिस्ट्रार कार्यालय में रजिस्टर कराकर कानूनी रूप दिया जा सकता है। संत रामपाल महाराज के अनुयायी विवाह के बाद इस प्रक्रिया का पालन करते हैं ताकि सामाजिक और कानूनी दोनों रूपों में विवाह मान्य हो।

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