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त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। उसके कोर वोट बैंक वाली सीटें उसके हाथ से निकल गई हैं। प्रदेश के 33 जिलाें में आरक्षित सीटों में से कांग्रेस के खाते में एक भी सीट नहीं आई है। दरअसल, गांवों में कांग्रेस का बड़ा जनाधार माना जाता है। यही वजह है कि पिछले चुनाव में 25-30 प्रतिशत जिला पंचायत अध्यक्ष विपक्ष पार्टी के होते थे।
आदिवासी और अनुसूचित जनजाति की सीटों पर हमेशा कांग्रेस प्रत्याशियों का ही कब्जा होता था। इस बार 13 आदिवासी सीटों में से 10 जगह बीजेपी के अध्यक्ष बन चुके हैं। बाकी मनेंद्रगढ़-चिरमिरी और जशपुर में बीजेपी की जीत तय बताई जा रही है। बाकी एक सुकमा आदिवासी सीट ही फंसी हुई है। 4 अनुसूचित जनजाति सीट दुर्ग, बिलासपुर, गरियाबंद और जांजगीर भी बीजेपी जीत चुकी है।
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पिछले चुनाव में 27 जिलों में से 23 जिले कांग्रेस ने जीते थे
छत्तीसगढ़ के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी पार्टी को इतनी बड़ी जीत मिली। पिछले चुनाव में 27 जिलों में से 23 जिले Congress ने जीते थे, बाकी बीजेपी जीती थी। वहीं 149 जनपद पंचायत में भी 129 जगह बीजेपी के अध्यक्ष चुने जा चुके हैं। बचे 17 में से भी 8 बीजेपी ही जीतती नजर आ रही है। उल्लेखनीय है कि 12 मार्च तक गांव सरकार बनकर तैयार हो जाएगी।
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आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू
छत्तीसगढ़ के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में बुरी तरह साफ होने के बाद कांग्रेस ने बीजेपी पर बड़ा आरोप लगाया है। पीसीसी चीफ दीपक बैज का कहना है कि कांग्रेस के जिला पंचायत सदस्य बहुमत में जीतकर आए थे, लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों के दबाव में चुनाव प्रभावित किया जा रहा है। बैज का कहना है कि 18 से अधिक जिलों में चुनाव प्रभावित किया गया है। पीसीसी चीफ का दावा है कि 18 जिलों में कांग्रेस के अध्यक्ष बन रहे थे, लेकिन बीजेपी ने सभी जगह खरीद फरोख्त कर अपना अध्यक्ष बना लिया।
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कांग्रेस के इस आरोप पर बीजेपी ने पलटवार किया है। छत्तीसगढ़ पंचायत चुनाव प्रभारी सौरभ सिंह का कहना है कि अगर कांग्रेस के सदस्य बिक रहे हैं तो वह कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है। जांजगीर में जीते हुए कैंडिडेट वोट देने ही नहीं आए, बीजेपी ने तो उन्हें मना नहीं किया था। सिंह ने सवाल करते हुए कहा कि Congress के निष्ठावान कार्यकर्ता बिक क्यों रहे हैं। इसका अर्थ है कि अब उन्हें Congress की आइडियोलॉजी पर विश्वास नहीं रहा। हालांकि, उनका कहना है कि बीजेपी के पास इतना बहुमत है कि किसी को खरीदने की जरूरत नहीं है।
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