सीतानदी-उदंती टाइगर रिजर्व में ढाई साल बाद बाघ की वापसी

छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में स्थित सीतानदी-उदंती टाइगर रिजर्व में लंबे समय बाद बाघ की मौजूदगी ने वन विभाग को उत्साहित कर दिया है। ढाई साल के अंतराल के बाद, अरसीकन्हार रेंज में लगे ट्रैप कैमरे ने बाघ की तस्वीर कैद की।

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Krishna Kumar Sikander
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छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में स्थित सीतानदी-उदंती टाइगर रिजर्व में लंबे समय बाद बाघ की मौजूदगी ने वन विभाग को उत्साहित कर दिया है। ढाई साल के अंतराल के बाद, अरसीकन्हार रेंज में लगे ट्रैप कैमरे ने शनिवार रात को बाघ की तस्वीर कैद की। इसके बाद रविवार शाम को बाघ को बैल का शिकार करते हुए भी कैमरे में रिकॉर्ड किया गया। 

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आठ दिन की मेहनत लाई रंग

टाइगर रिजर्व के डीएफओ वरुण जैन ने बताया कि बाघ के पदचिन्ह पहले ही मिल चुके थे, लेकिन 100 ट्रैप कैमरों के बावजूद उसकी तस्वीर नहीं मिल पा रही थी। आठ दिन की कड़ी मशक्कत के बाद आखिरकार बाघ की मौजूदगी की पुष्टि हो गई। अब यह पता लगाने के लिए कि बाघ किस राज्य से आया है, उसकी तस्वीरें देहरादून के वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया भेजी जा रही हैं। 

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अनुकूल वातावरण ने की बाघ की वापसी

पिछले ढाई साल से इस टाइगर रिजर्व में बाघ के कोई निशान नहीं मिले थे। इससे पहले 2019 में मध्यप्रदेश और 2022 में तेलंगाना से महाराष्ट्र होते हुए बाघ यहां पहुंचे थे। वन विभाग के प्रयासों से अभ्यारण्य का 1852 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र वन्यजीवों के लिए अनुकूल बनाया गया है। पिछले डेढ़ साल में बफर जोन के 700 हेक्टेयर जंगल से 250 अतिक्रमणकारियों को हटाया गया। साथ ही, ओडिशा के नुआपड़ा और नवरंगपुर जिलों में सक्रिय शिकारी गिरोहों के खिलाफ एंटी-पोचिंग टीम ने कई ऑपरेशन चलाए। 

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पानी की व्यवस्था से बदला जंगल का माहौल

गर्मियों में कोर जोन के घने जंगलों में 8 बड़े तालाबों को सोलर पंप से पानी से भर दिया गया। इसके अलावा, बाघ कॉरिडोर में 1000 से ज्यादा झिरिया बनाए गए। इन प्रयासों से बाघ और अन्य वन्यजीवों को अनुकूल माहौल मिला, जिसके परिणामस्वरूप उनकी मौजूदगी बढ़ी है। 

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मानव-वन्यजीव संघर्ष में कमी

सीतानदी-उदंती अभ्यारण्य के कोर जोन में 51 और बफर जोन में 59 गांव हैं। तौरेंगा और अरसीकन्हार रेंज को वन्यजीवों के लिए सुरक्षित माना जाता है। वन्यजीवों की संख्या में इजाफा हो रहा है। वन विभाग की मेहनत और बेहतर प्रबंधन से सीतानदी-उदंती टाइगर रिजर्व फिर से वन्यजीवों का पनाहगाह बनता जा रहा है।

 

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