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गरियाबंद। केंद्र सरकार और राज्य सरकार की ओर से पिछड़े जनजातीय इलाकों के उत्थान के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं चला रही हैं। लेकिन ठेकेदारों और प्रशासनिक लापरवाही की वजह से इन योजनाओं का लाभ जरूरतमंदों को नहीं मिल रहा है। गरियाबंद जिले में प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महाभियान के तहत बन रहे पुल और सड़क अधर में लटके हैं।
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स्थानीय लोगों को हो रही दिक्कत
पुल और सड़क का निर्माण पूरा नहीं होने से बारिश के मौसम में स्थानीय निवासियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इस पुल का निर्माण 95 करोड़ 24 लाख रुपए की लागत से होगा। पुल के अधूरे पड़ने होने की वजह से छात्र-छात्राएं स्कूल नहीं पहुंच पा रहे हैं। साथ ही स्थानीय लोगों को आवाजाही करने में भी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।
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16 महीने से अटका है काम
प्रधानमंत्री जनजातीय न्याय महाभियान के तहत आदिवासी बहुल मैनपुर ब्लॉक में कमार जनजाति की बस्ती तक पक्की सड़क और पुल निर्माण मार्च 2025 तक पूरा किया जाना था। लेकिन ठेकेदार की लापरवाही से 16 महीने बीत जाने के बाद भी यह काम अधूरा पड़ा है। कुरूद की कंपनी मैसर्स पवार कंस्ट्रक्शन के पास पुल और सड़क निर्माण का ठेका है। इस काम में पुलिया की नींव तो डाल दी गई, लेकिन स्लैब ढलाई नहीं की गई। जिससे ग्रामीणों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
डायवर्जन मार्ग पर भरा कीचड़
बुर्जाबहाल गांव से कमार बस्ती को जोड़ने वाली इस सड़क का काम अधूरा होने की वजह से करीब 300 जनजातीय ग्रामीणों को रोजमर्रा के काम करने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि निर्माण कार्य से पहले लोग किसी तरह रास्ता पार कर लेते थे, लेकिन अब हालात और खराब हो गए हैं। बरसात में स्कूल के बच्चे, मरीज और किसान पंचायत मुख्यालय तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। साथ ही पुलिया के आस-पास निर्माण सामग्री पड़ी होने की वजह से डायवर्जन मार्ग भी कीचड़ से भर गया है।
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ठेकेदार पर धमकाने का आरोप
ग्रामीणों का आरोप है कि अगर वो निर्माण कार्य अधूरा होने का मुद्दा उठाते हुए सवाल करते हैं, तो ठेकेदार का मैनेजर उन्हें खुले तौर पर धमकी देते हुए कहता है हम मंत्री के आदमी हैं, जहां शिकायत करना है कर लो। जानकारी के मुताबिक कंस्ट्रक्शन कंपनी पूर्व पंचायत मंत्री के करीबी की बताई जा रही है।
योजनाओं की मॉनिटरिंग फेल
केंद्र सरकार की ओर से चलाई जा रही सुपोषित जनजातीय न्याय योजना के तहत गरियाबंद जिले में 19 जनजातीय बस्तियों को जोड़ने के लिए करोड़ों रुपये की लागत से सड़क निर्माण कराया जा रहा है। जिसकी मॉनिटरिंग की जवाबदेही जिला प्रशासन की है, जो उसमें पूरी तरह से फेल नजर आ रहा है। करीब महीने भर पहले सांसद और विधायक की मौजूदगी में दिशा कमेटी की बैठक में लापरवाही सामने आई थी। जिसके बाद तीन विभागीय प्रमुखों की संयुक्त कमेटी बनाई गई थी, लेकिन अब तक इसकी भी कोई रिपोर्ट नहीं आई।
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इंजीनियर ने दी ये दलील
PMGSY के एक्जीक्यूटिव इंजीनियर अभिषेक पाटकर ने इस मामले में सफाई देते हुए कहा कि, सड़क निर्माण के काम को नई तकनीकी ‘टेरा ज्वाइंट’ से मजबूत किया जाना है। जिसकी मंजूरी के लिए प्रकरण दिल्ली भेजा गया है। उन्होंने यह भी कहा कि बारिश में परेशानी न हो, इसके लिए पुल का निर्माण जल्द पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं।
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