जिला शिक्षाधिकारी कार्यालय में तबादला आदेश लेकर दो शिक्षिकाएं जॉइनिंग देने पहुंची थीं। जांच में दोनों का आदेश फर्जी निकल गया। इसके बाद डीईओ ने आदेश निरस्त कर दिया। इसके खिलाफ दोनों ने हाई कोर्ट में याचिका लगाई थी। आदेश फर्जी होने पर जानकारी देने पर दोनों ने पूर्व स्कूल में जॉइन करने समय देने की मांग की।
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जांजगीर-चांपा में पदस्थ शिक्षिका ज्योति दुबे और सूरजपुर में पदस्थ शिक्षिका श्रुति साहू कुछ दिनों पहले तबादला आदेश लेकर जिला शिक्षाधिकारी कार्यालय पहुंची थी। आदेश फर्जी मिलने पर बिलासपुर के डीईओ ने पिछले माह आदेश जारी कर दोनों का तबादला आदेश निरस्त कर पूर्व कार्यालय में उपस्थित होने के लिए कहा।
साथ ही दोनों का रिलीविंग ऑर्डर भी जारी कर दिया गया। इसके खिलाफ दोनों ने अलग- अलग याचिकाएं लगाई थीं। इसमें बिलासपुर के डीईओ द्वारा जारी आदेश को रद्द करने की मांग की गई। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की तरफ से बताया गया कि दोनों का स्थानांतरण आदेश फर्जी पाया गया। इसलिए उसे रद्द कर रिलीव कर दिया गया।
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इस पर दोनों शिक्षिकाओं ने पूर्व स्थान पर जॉइन करने के लिए कम से कम 10 दिनों का समय देने का अनुरोध किया था। राज्य सरकार की तरफ से पैरवी कर रहे वकील ने इस पर आपत्ति नहीं जताई। जस्टिस राधाकिशन अग्रवाल की सिंगल बेंच ने मामले की परिस्थितियों और दलीलों को देखते हुए दोनों को रिलीव नहीं करने की स्थिति में 10 दिन का समय दिया है।
अवर सचिव ने दर्ज कराई एफआईआर
स्कूल शिक्षा विभाग के अवर सचिव के फर्जी हस्ताक्षर कर अलग अलग जिलों में आधा दर्जन शिक्षकों के ट्रांसफर करने का मामला आया है। विभाग के अवर सचिव आरपी वर्मा ने इसकी लिखित में शिकायत रायपुर के राखी थाने में दर्ज कराई है। मामले में अज्ञात के खिलाफ एफआईआर है।
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फर्जीवाड़ा का ऐसे ऐसे हुआ संदेह
स्कूल शिक्षा विभाग के अवर सचिव के नाम से फर्जी तबादला सूची जारी करने की कॉपी संबंधित स्कूलों को मिली। ट्रांसफर आदेश एक मार्च को जारी किया गया था। एक मार्च शनिवार की छुट्टी होने की वजह से आदेश को लेकर शंका हुई। इसके बाद आदेश की पुष्टि करने मंत्रालय में फोन किया गया तो ट्रांसफर आदेश फर्जी पाया गया। अब इसका खुलासा पुलिस की पड़ताल में होगा कि आदेश फर्जी था या नाहीं।
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ट्रांसफर आदेश में यह है
शिक्षकों की फर्जी ट्रांसफर आदेश जारी किया गया है वह हूबहू सरकारी आदेश कॉपी की तरह है। आदेश कापी में क्रमांक एफ3-27/2025/20 और आगामी आदेश तक पदस्थ करने का उल्लेख है। शिक्षकों के स्थानांतरण का आधार प्रशासनिक बताया गया है।
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