क्षेत्रीय संतुलन में उलझा विष्णु कैबिनेट का विस्तार

विष्णु कैबिनेट का विस्तार सीनियर विधायकों के पेंच और क्षेत्रीय संतुलन में उलझ कर रह गया है। पार्टी के अंदर इस बात की चर्चा है कि मंत्रिमंडल का विस्तार दो हिस्सों में किया जा सकता है।

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Kanak Durga Jha
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Vishnu cabinet expansion entangled in regional balance

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विष्णु कैबिनेट का विस्तार सीनियर विधायकों के पेंच और क्षेत्रीय संतुलन में उलझ कर रह गया है। पार्टी के अंदर इस बात की चर्चा है कि मंत्रिमंडल का विस्तार दो हिस्सों में किया जा सकता है। सीएम विष्णुदेव साय हरियाणा की तर्ज पर छत्तीसगढ़ में भी एक मंत्री पद का इजाफा करने जा रहे हैं।

सूत्रों की मानें तो अब दो मंत्री नहीं बल्कि तीन मंत्री कैबिनेट में शामिल किए जाएंगे। उलझन सुलझाने के लिए कैबिनेट विस्तार दो पार्ट में होने के आसार हैं। एक पार्ट निकाय चुनाव से पहले तो दूसरे पार्ट में विस्तार निकाय चुनाव के बाद होगा। आखिर ऐसा क्यों हो रहा है आइए आपको बताते हैं।   

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हरियाणा की तर्ज पर बनेंगे 13 मंत्री

छत्तीसगढ़ में भी हरियाणा की तर्ज पर 13 मंत्री बनाए जाएंगे। यानी सीएम समेत पूरा मंत्रिमंडल 14 सदस्यों का होगा। अभी तक छत्तीसगढ़ में 12 मंत्री बनाने की ही परंपरा थी लेकिन अब इस परंपरा को बदला जा रहा है। नियमों के मुताबिक कुल विधानसभा सदस्यों का 15 फीसदी सीएम और उनका मंत्रिमंडल होता है। छत्तीसगढ़ में विधायकों की कुल संख्या 90 है। इस हिसाब से 15 फीसदी 13.5 होता है। इसी आधार पर अभी तक छत्तीसगढ़ में सीएम की कैबिनेट में 12 मंत्री बनते रहे हैं।

इस तरह कुल संख्या 13 हो जाती है। हरियाणा में भी 90 विधायक हैं और वहां के सीएम समेत मंत्रिमंडल के सदस्यों की संख्या 14 है। इसी फॉर्मूले को छत्तीसगढ़ में लागू किया जा रहा है। यहां पर भी सीएम समेत मंत्रियों की संख्या 14 करने की तैयारी है। इसमें संवैधानिक संकट कोई नहीं है। छत्तीसगढ़ में अभी 10 मंत्री हैं। इस तरह तीन और मंत्रियों को कैबिनेट में शामिल करने की गुंजाइश हो गई है। 

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दो पार्ट में मंत्रिमंडल विस्तार

 
बीजेपी के अंदरखाने में चर्चा है कि इस बार मंत्रिमंडल का विस्तार दो हिस्सों में किया जाए। एक विस्तार निकाय चुनाव के पहले और दूसरा विस्तार निकाय चुनाव के बाद। अब कैबिनेट में तीन मंत्री बनाने की तैयारी की जा रही है तो पहले हिस्से में सिर्फ एक नए चेहरे को शामिल किया जा सकता है।

चूंकि सीनियर विधायकों को मंत्री बनाने में ये उलझन है कि किसे छोड़ें किसे बनाए,यह बड़ा अहम मसला हो गया है। इसलिए इस उलझन को निकाय चुनाव के बाद ही सुलझाया जाएगा। पहले हिस्से में एक नए और युवा चेहरे को मंत्री बनाया जा सकता है और दूसरे विस्तार में दो मंत्रियों को ड्रॉप कर चार नए मंत्री शपथ ले सकते हैं। इनमें एक या दो सीनियर एमएलए भी हो सकते हैं। हालांकि इसमें क्षेत्रीय संतुलन भी देखा जाएगा।

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दावेदार और क्षेत्रीय संतुलन का समीकरण

गजेंद्र यादव : गजेंद्र यादव दुर्ग संभाग से आते हैं। दुर्ग संभाग से अभी एक ही मंत्री है इसलिए एक और मंत्री लिया जा सकता है। यादव समाज की संख्या और प्रभाव को देखते हुए युवा चेहरे के रुप में गजेंद्र यादव मंत्री बन सकते हैं। यादव को कैबिनेट विस्तार के पहले भाग में मंत्री बनाया जा सकता है। 

अमर अग्रवाल : पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल के नाम की भी चर्चा है। लेकिन बिलासपुर संभाग से डिप्टी सीएम अरुण साव,वित्त मंत्री ओपी चौधरी और केंद्रीय मंत्री तेाखन साहू आते हैं। इसलिए अमर अग्रवाल के कैबनेट में आने में दिक्कत हो सकती है। 

राजेश मूणत : राजेश मूणत भी मंत्री पद के दावेदार हैं। जातिगत और क्षेत्रीय आधार पर उनको मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है। रायपुर संभाग से एक ही मंत्री हैं। इसलिए इस संभाग से एक और मंत्री की जगह बनाई जा सकती है।

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अजय चंद्राकर : चंद्राकर भी सीनियर एमएलए हैं और मंत्री पद के दावेदार हैं। यह भी रायपुर संभाग में आते हैं। यदि अजय चंद्राकर को कैबिनेट में शामिल किया जाएगा तो फिर रायपुर संभाग के एक मंत्री को ड्रॉप किया जा सकता है। 

किरण सिंह देव : बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंह देव को भी कैबिनेट में शामिल किए जाने की चर्चा है। किरण देव बस्तर संभाग से आते हैं। क्षेत्रीय आधार पर बस्तर से एक और मंत्री बनाया जाना है। यहां से एक मंत्री केदार कश्यप ही कैबिनेट में शामिल हैं जबकि बस्तर से इस बार बीजेपी को बंपर कामयाबी हासिल हुई है। यही कारण है किरण देव को भी मंत्री बनाया जा सकता है।  

सीनियरों की भर्ती निकाय चुनाव बाद

यही कैबिनेट विस्तार में सबसे बड़ी उलझन है। अमर अग्रवाल,राजेश मूणत और अजय चंद्राकर में किसको शामिल किया जाए और किसको शामिल न किया जाए, यह संगठन के सामने सबसे बड़ा सवाल है। यदि केंद्रीय संगठन ने नए चेहरों को शामिल करने के लिए कह दिया तो फिर प्रदेश बीजेपी को कोई दिक्कत नहीं होगी। वहीं कोई एक नाम केंद्रीय नेतृत्व की तरफ से भी आ सकता है। यह नाम भी चौंकाने वाला हो सकता है।

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