साय सरकार का प्रशासनिक मास्टरस्ट्रोक, काम करने वालों को इनाम, लापरवाहों को होगा नुकसान!

छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार ने हाल ही में किए गए प्रशासनिक फेरबदल के जरिए प्रशासन में कसावट और कार्यकुशलता को बढ़ावा देने का जरूरी कदम उठाया है।

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Sourabh Bhatnagar
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छत्तीसगढ़ सरकार ने प्रशासनिक व्यवस्था में बड़ा बदलाव करते हुए 41 IAS अधिकारियों का तबादला किया है। राज्य के 11 जिलों के कलेक्टरों को बदला गया है और कई अफसरों को अतिरिक्त जिम्मेदारियां भी सौंपी गई हैं। बता दें कि लंबे समय बाद राज्य में इस तरह के तबादले हुए हैं।  

इस बड़े बदलाव के जरिए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने साफ मैसेज दिया है कि अब लापरवाही और सुस्त कार्यशैली को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस फेरबदल को सिर्फ अफसरों के तबादलों तक सीमित नहीं रखा गया, बल्कि यह सुशासन (Good Governance) और जवाबदेही (Accountability) की दिशा में एक जरूरी कदम माना जा रहा है। 

राजस्व के मामले में सरकार का विशेष ध्यान

राजस्व प्रकरणों के निपटारे में हो रही लापरवाही को देखते हुए सरकार ने दो अतिरिक्त राजस्व आयुक्तों की नियुक्ति की है। यह कदम इस उद्देश्य से उठाया गया है ताकि राजस्व मामलों का शीघ्र निराकरण हो सके और बेहतर प्रशासनिक नियंत्रण सुनिश्चित किया जा सके। 

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काम नहीं तो कुर्सी नहीं

सरकार ने अपने प्रशासनिक फेरबदल के दौरान उन अधिकारियों को सम्मानित किया है जिन्होंने अपने क्षेत्रों में अच्छा काम किया है। इन अधिकारियों को अब और बड़ी जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं, जिससे यह साफ संदेश मिलता है कि अच्छे कार्यों का इनाम मिलता है। वहीं, जिन अधिकारियों का प्रदर्शन निराशाजनक रहा या जिनके खिलाफ शिकायतें थीं, उन्हें कम प्रभावशाली पदों पर भेजा गया। यह कदम यह स्पष्ट करता है कि यदि किसी अधिकारी ने काम नहीं किया तो उनकी कुर्सी नहीं रहेगी।

प्रमोटी IAS अफसरों को अहम जिम्मेदारियां

सिर्फ सीनियरिटी का ध्यान न रखते हुए, प्रमोटी IAS अफसरों को भी उनके काम  के आधार पर अहम जिम्मेदारियां दी गई हैं। यह बदलाव यह दर्शाता है कि कार्यकुशलता (efficiency) अब सीनियरिटी से ज्यादा जरूरी होगी। इससे यह भी संकेत मिलता है कि सरकार अब केवल वरिष्ठता के बजाय कार्य करने की क्षमता को महत्व देती है।

लापरवाह अफसरों को चेतावनी

इस फेरबदल में उन अधिकारियों को चेतावनी दी गई है, जो लापरवाही या नकरात्मक कार्यप्रणाली के लिए जाने जाते थे। ऐसे अधिकारियों को कम महत्वपूर्ण पदों पर स्थानांतरित कर दिया गया है। यह सरकार का कड़ा संदेश है कि केवल वे ही अधिकारी प्रशासन में बने रहेंगे जो ईमानदारी, निष्ठा और जनसेवा को सर्वोपरि मानते हैं।

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विभागीय सिस्टम में बदलाव 

अब विभागीय प्रमुखों को केवल एक सचिव को रिपोर्ट करना होगा, जिससे विभागीय तालमेल (coordination) बेहतर होगा और निर्णय प्रक्रिया में तेज़ी आएगी। यह बदलाव प्रशासनिक कार्यों की गति को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण कदम है, जो न केवल समय की बचत करेगा, बल्कि पारदर्शिता भी सुनिश्चित करेगा।

साय सरकार की नीति: रिजल्ट दो, वरना हटो

विष्णुदेव साय सरकार ने इस प्रशासनिक फेरबदल के माध्यम से एक स्पष्ट संदेश दिया है कि जो जनकल्याण के लिए काम नहीं करेगा, वह सरकार की प्राथमिकता से बाहर होगा। सरकार ने यह निर्णय लिया है कि तेज कार्यप्रणाली, जनता के साथ संवाद और ईमानदारी ही अब आगे बढ़ने का रास्ता है। यह बदलाव अधिकारियों को काम करने के लिए प्रेरित करेगा और साथ ही यह भी दिखाएगा कि सुशासन के प्रति सरकार का दृष्टिकोण कितना सख्त है।

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किसको कहां भेजा एक नजर में समझें

दंतेवाड़ा, रायगढ़ और सारंगढ़ के बदले गए कलेक्टर

तबादला सूची के अनुसार कुणाल दूदावत को दंतेवाड़ा का नया कलेक्टर नियुक्त किया गया है। इसी तरह मयंक चतुर्वेदी अब रायगढ़ जिले के कलेक्टर होंगे। सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले की जिम्मेदारी संजय कन्नौजे को सौंपी गई है।

कोंडागांव, मुंगेली और खैरागढ़ में नई तैनाती

नूपुर राशि पन्ना को कोंडागांव का कलेक्टर बनाया गया है, जबकि कुंदन कुमार को मुंगेली जिले की कमान दी गई है। इंद्रजीत चंद्रावल को खैरागढ़-छुईखदान-गंडई जिले का नया कलेक्टर नियुक्त किया गया है।

बिलासपुर, बालोद और जांजगीर में भी बदलाव

बिलासपुर जिले के नए कलेक्टर संजय अग्रवाल होंगे। दिव्या उमेश मिश्रा को बालोद जिले की जिम्मेदारी दी गई है, वहीं जन्मेजय महोबे को जांजगीर का कलेक्टर बनाया गया है। राजनांदगांव जिले की कमान अब सर्वेश्वर भुरे के हाथों में होगी।

पूर्व कलेक्टरों को मिली नई जिम्मेदारी

बिलासपुर के पूर्व कलेक्टर अवनीश कुमार शरण को अब गृह निर्माण मंडल का आयुक्त बनाया गया है। रायगढ़ के पूर्व कलेक्टर कार्तिकेय गोयल को खाद्य नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण विभाग का संचालक नियुक्त किया गया है। वहीं, धर्मेश साहू जो पहले सारंगढ़ के कलेक्टर थे, अब पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के विशेष सचिव होंगे। गरियाबंद के कलेक्टर दीपक अग्रवाल को खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग का नियंत्रक बनाया गया है।

यहां देखें पूरी लिस्ट

FAQ

1. साय सरकार ने प्रशासनिक फेरबदल क्यों किया है?
साय सरकार ने यह फेरबदल बेहतर प्रशासन और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए किया है। इसमें कार्यकुशलता पर जोर दिया गया है और लापरवाही पर सख्त सजा दी गई है।
2. राजस्व मामलों में सुधार के लिए साय सरकार ने क्या कदम उठाए हैं?
सरकार ने राजस्व प्रकरणों के शीघ्र समाधान के लिए दो अतिरिक्त राजस्व कमिश्नरों की नियुक्ति की है। इसके साथ ही लंबित मामलों के त्वरित निराकरण को प्राथमिकता दी गई है।
3. इस प्रशासनिक फेरबदल का छत्तीसगढ़ की जनता पर क्या असर पड़ेगा?
इस फेरबदल से प्रशासनिक कार्यों में तेजी और जनता को बेहतर सेवाएं मिलने की उम्मीद है।

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