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छत्तीसगढ़ के मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले के खूबसूरत जलप्रपात, जैसे अमृतधारा, रमदहा और कर्म घोंघा, लंबे समय से पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र रहे हैं। लेकिन अब पुलिस प्रशासन ने इन जलप्रपातों पर नहाने और सेल्फी लेने पर सख्त पाबंदी लगा दी है, जिससे पर्यटन उद्योग को बड़ा झटका लगने की आशंका है। पुलिस की चेतावनी के मुताबिक, नियम तोड़ने वालों के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर जेल भेजा जाएगा। इस कदम का मकसद भले ही पर्यटकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना हो, लेकिन इससे स्थानीय पर्यटन व्यवसाय और क्षेत्र की अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
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पर्यटन पर पड़ता प्रभाव
मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले के जलप्रपात हर साल हजारों पर्यटकों को आकर्षित करते हैं, जो स्थानीय होटल, रेस्तरां, गाइड और परिवहन सेवाओं पर निर्भर अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देते हैं। सख्त नियमों और जेल की चेतावनी से पर्यटकों की संख्या में कमी आ सकती है। खासकर युवा पर्यटक, जो वाटरफॉल्स पर नहाने और सोशल मीडिया के लिए सेल्फी लेने के लिए उत्साहित रहते हैं, अब इन गतिविधियों पर प्रतिबंध के कारण इस क्षेत्र को अपनी यात्रा सूची से हटा सकते हैं।
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टूर ऑपरेटर और होटल व्यवसायी चिंतित
स्थानीय टूर ऑपरेटर और होटल व्यवसायी चिंतित हैं कि इस तरह की सख्ती से पर्यटकों का रुझान पड़ोसी राज्यों जैसे मध्य प्रदेश या झारखंड के पर्यटन स्थलों की ओर बढ़ सकता है, जहां ऐसी पाबंदियां कम हैं। एक स्थानीय टूर गाइड, रमेश साहू ने बताया, "वाटरफॉल्स की वजह से ही पर्यटक हमारे यहां आते हैं। अगर वे नहाने या फोटो लेने जैसी चीजें नहीं कर पाएंगे, तो वे दूसरी जगहों का रुख करेंगे। इससे हमारी आजीविका पर असर पड़ेगा।"
सुरक्षा बनाम पर्यटन का संतुलन
पुलिस प्रशासन ने यह कदम जलप्रपातों पर होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए उठाया है। हाल के वर्षों में अमृतधारा और अन्य जलप्रपातों पर सेल्फी लेते या नहाते समय कई लोगों की जान जा चुकी है। हाल ही में अमृतधारा वाटरफॉल पर दो युवकों, कृष गुप्ता और मोहम्मद अरशद, को जलप्रपात के पास नहाते हुए पकड़ा गया और उनके खिलाफ कार्रवाई की गई। हालांकि, परिजनों के अनुरोध पर उन्हें चेतावनी देकर छोड़ दिया गया।
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पर्यटकों में बन सकता डर का माहौल
इस तरह की कार्रवाइयों से पर्यटकों में डर का माहौल बन सकता है। पर्यटन विशेषज्ञों का कहना है कि सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सख्ती के बजाय वैकल्पिक उपाय, जैसे सुरक्षा गार्ड की तैनाती, चेतावनी बोर्ड, और सुरक्षित दूरी से फोटो लेने के लिए डिज़ाइन किए गए स्पॉट बनाना, अधिक प्रभावी हो सकता है। इससे पर्यटकों का अनुभव बरकरार रहेगा और स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी नुकसान नहीं होगा।
स्थानीय अर्थव्यवस्था पर असर
जलप्रपातों पर सख्त नियमों का असर स्थानीय दुकानदारों, रेस्तरां मालिकों और गेस्ट हाउस संचालकों पर भी पड़ सकता है। ये पर्यटन स्थल स्थानीय लोगों के लिए रोजगार का प्रमुख स्रोत हैं। पर्यटकों की संख्या में कमी से छोटे व्यवसायों को नुकसान होगा, जिससे क्षेत्र की आर्थिक स्थिति प्रभावित हो सकती है। एक स्थानीय होटल मालिक ने कहा, "पिछले साल मानसून में पर्यटकों की भीड़ से हमारा कारोबार अच्छा चला था। लेकिन अब इस तरह की खबरें सुनकर लोग आने से कतराएंगे।"
पर्यटन और सुरक्षा के बीच संतुलन जरूरी
पर्यटन को बढ़ावा देने और सुरक्षा सुनिश्चित करने के बीच संतुलन बनाना जरूरी है। प्रशासन को चाहिए कि वह सख्ती के साथ-साथ पर्यटकों के लिए सुरक्षित और आकर्षक विकल्प प्रदान करे। उदाहरण के लिए, जलप्रपातों के पास सुरक्षित सेल्फी पॉइंट बनाए जा सकते हैं और नहाने के लिए नियंत्रित क्षेत्र निर्धारित किए जा सकते हैं। इसके अलावा, जागरूकता अभियान चलाकर पर्यटकों को सुरक्षा मानकों के बारे में शिक्षित करना भी एक बेहतर कदम हो सकता है।
सख्त नियमों से कम हो सकता आकर्षण
छत्तीसगढ़ के जलप्रपात प्राकृतिक सौंदर्य का खजाना हैं, लेकिन सख्त नियमों के कारण इनका आकर्षण कम हो सकता है। प्रशासन को चाहिए कि वह पर्यटकों की सुरक्षा और स्थानीय पर्यटन उद्योग के हितों के बीच संतुलन बनाए। अन्यथा, यह क्षेत्र अपनी पर्यटन क्षमता और आर्थिक लाभ दोनों से हाथ धो सकता है।
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