छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के ताड़मेटला में 76 जवानों की नक्सल हमले में शहादत हुई थी। आज उस गांव और आसपास के इलाके ने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई है। चिंतागुफा स्वास्थ्य केंद्र को भारत सरकार के राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक प्रमाणपत्र से सम्मानित किया गया है। इसे 89.69 प्रतिशत का उत्कृष्ट स्कोर मिला है। यह उपलब्धि पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बन गई है।
चुनौतियों का बीच राष्ट्रीय स्तर के मानकों को किया पूरा
धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्र स्वास्थ्य केन्द्र चिंतागुफा ने स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में वह कर दिखाया है, जिसकी कल्पना भी मुश्किल थी। यह क्षेत्र बुनियादी संसाधनों से दूर है। सड़कें,नेटवर्क और बाजार जैसी सुविधाएं सीमित हैं। लंबे समय तक नक्सल प्रभाव ने विकास कार्यों और भवन निर्माण को रोके रखा था।
बारिश के मौसम में क्षेत्र टापू में बदल जाता है, जिससे पहुंचना कठिन हो जाता है। साल 2020 में स्वास्थ्य भवन और आवासीय सुविधाओं का निर्माण हुआ, जिससे सेवाओं का विस्तार हुआ। राज्य और जिला के अधिकारियों, डब्ल्यूएचओ कंसल्टेंट्स और स्थानीय लोगों के सहयोग से राष्ट्रीय स्तर के मानकों को पूरा करने की तैयारी हुई।
चिंतागुफा स्वास्थ्य केन्द्र के अंतर्गत पांच उप-स्वास्थ्य केन्द्र हैं। जिसमें 45 धुर नक्सल प्रभावित गांव आते हैं। चिंतागुफा स्वास्थ्य केंद्र में हर महीने औसतन 20 संस्थागत प्रसव, 1000 से अधिक ओपीडी और 100 से ज्यादा भर्ती मरीजों को स्वास्थ्य सेवाएं दी जा रही हैं। आयुष्मान आरोग्य मंदिर चिंतागुफा अब इस क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं का प्रतीक बन चुका है।
बता दें कि इस इलाके के गांव ताड़मेटला में देश की सबसे बड़ी नक्सल घटना हुई थी। जिसमें 76 जवान शहीद हुए थे। वह ताड़मेटला गांव भी इसी सेक्टर में आता है। सुकमा के कलेक्टर के अपहरण, बुरकापाल में बड़ा नक्सली हमला सब इसी इलाके की घटना है। कोंटा ब्लॉक का यह क्षेत्र घोर नक्सल प्रभावित है,जिसके अंदरूनी गांवों में आज भी नक्सलियों की दहशत है।
चिंतागुफा स्वास्थ्य केंद्र को किस सम्मान से नवाजा गया है, और इसे क्या स्कोर प्राप्त हुआ है?
चिंतागुफा स्वास्थ्य केंद्र को भारत सरकार के राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक (NQAS) प्रमाणपत्र से सम्मानित किया गया है। इसे 89.69 प्रतिशत का उत्कृष्ट स्कोर प्राप्त हुआ है।