जहां न पहुंचे मुगल और अंग्रेज... वहां पहुंची साय सरकार
अबूझमाड़ ऐसा इलाका है जहां आज तक कोई हुकूमत नहीं पहुंच पाई है। लाख कोशिशों के बाद अब जाकर छत्तीसगढ़ की विष्णु देव साय की सरकार अबूझमाड़ के कुछ इलाकों तक पहुंच गई है।
छत्तीसगढ़ का अबूझमाड़ भारत के रहस्यमयी इलाकों में से एक है। अबूझमाड़ ऐसा इलाका है जहां आज तक कोई हुकूमत नहीं पहुंच पाई है। लाख कोशिशों के बाद अब जाकर छत्तीसगढ़ की विष्णु देव साय की सरकार अबूझमाड़ के कुछ इलाकों तक पहुंच गई है। दरअसल, ओरछा गांव के किनारे से एक कच्ची सड़क आगे बढ़ रही है। यह सड़क महाराष्ट्र के गढ़चिरौली से जुड़ेगी। अभी यहां सड़क निर्माण पहले चरण पर है। आने वाले दिनों में ओरछा से गढ़चिरौली और फिर गढ़चिरौली से नागपुर को जोड़ा जाएगा। अबूझमाड़ अब लोगों के लिए अबूझ नहीं रहा है। धीरे-धीरे यहां सड़कें और विकास पहुंच रहे हैं।
नक्सलियों का गढ़ माने जाने वाले अबूझमाड़ लोगों के लिए अभी भी अबूझ है, लेकिन साल 2024 में फोर्स ने अबूझमाड़ में अपना फोकस बढ़ाया और यहां कई बड़े ऑपरेशन लांच किए। अबूझमाड़ में फोर्स ने 70 से ज्यादा नक्सलियों को ढेर किया। इसके अलावा नारायणपुर जिले में कस्तुरमेटा, ईरकभट्टी, मसपुर, मोहांदी, होरादी, गारपा और कच्चापाल जैसे सात अतिसंवेदनशील इलाकों में फोर्स ने पुलिस कैंप खोल दिए हैं।
इन कैंपों के खुल जाने से अबूझमाड़ में विकास की राह आसान हुई है और अब अंदरूनी इलाकों में सड़कों का निर्माण शुरू हो पाया है। उम्मीद है कि 2025 में अबूझमाड़ के उन सभी स्थानों पर सड़क पहुंच जाएगी जहां अब तक सड़क नहीं पहुंच पाई थी। बस्तर आईजी सुंदरराज पी बताते हैं कि हमने बीते साल अबूझमाड़ में फोकस रखा था। 2025 में भी अबूझमाड़ पर पूरा फोकस होगा हम चाहते हैं कि यह अबूझमाड़ लोगों के लिए अबूझ न रहे।
अबूझमाड़ को रहस्यमयी इलाका इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह क्षेत्र नक्सलियों का गढ़ माना जाता है और यहां आज तक कोई हुकूमत पूरी तरह से नहीं पहुंच पाई थी। यह इलाका लंबे समय से बाहरी दुनिया से कटा हुआ था।
अबूझमाड़ में सड़क निर्माण का महत्व क्या है?
सड़क निर्माण से अबूझमाड़ के अंदरूनी इलाकों में विकास की राह आसान होगी। यह क्षेत्र बाहरी दुनिया से जुड़ सकेगा और लोगों के लिए अबूझमाड़ "अबूझ" नहीं रहेगा। 2025 तक इलाके में सड़कों का नेटवर्क पूरा होने की उम्मीद है।