किस काली बिल्ली ने काटा सिंहदेव का रास्ता, गर्दिश में चले गए सितारे

BJP state president Kiran Singh Deo: बीजेपी संगठन के मुखिया के तौर पर किरण सिंहदेव को दूसरा मौका मिल गया। पहले वे मनोनीत अध्यक्ष थे और अब वे निर्वाचित अध्यक्ष बन गए हैं।

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Arun Tiwari
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इस बार खास खबर सियासत की। सियासत के गलियारों में इस समय बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष को लेकर काफी गर्मी है। गरमी इसलिए नहीं कि वे दोबारा अध्यक्ष बन गए हैं बल्कि चर्चा इस बात पर है कि आखिर उनको मंत्री की कुर्सी से उनको दूर किसने किया और न चाहते हुए भी उनको प्रदेश अध्यक्ष बनना पड़ा।

वैसे तो प्रदेश अध्यक्ष का पद बड़ा होता है लेकिन जब काम सब दिल्ली से चल रहा हो तो फिर करने को क्या ही रह जाता है। दूसरी बात प्रशासनिक गलियारों की है। यहां पर प्रशासन के दो बड़े पद पर बैठे अफसर रिटायरमेंट के पहले ही पुनर्वास की चिंता करने लगे हैं। राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों की ऐसी ही अनसुनी खबरें जानने के लिए पढ़िए द सूत्र का साप्ताहिक कॉलम सिंहासन छत्तीसी।  

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दूर हुई दिल्ली-रास्ता काट गई काली बिल्ली

बीजेपी संगठन के मुखिया के तौर पर किरण सिंहदेव को दूसरा मौका मिल गया। पहले वे मनोनीत अध्यक्ष थे और अब वे निर्वाचित अध्यक्ष बन गए हैं। लेकिन राजनीतिक गलियारों में एक बड़ी चर्चा है कि आखिर सिंहदेव का रास्ता किसने काट दिया। सूत्रों की मानें तो सिंहदेव की इच्छा मंत्री बनने की थी अध्यक्ष बनने की नहीं।

उनके मंत्री बनने का रास्ता लगभग साफ हो गया था लेकिन अचानक किस्मत का पहिया ऐसे घूमा की वे मंत्री बनने की जगह अध्यक्ष बन गए। सूत्रों के मुताबिक सिंहदेव अपनी इस ताजपोशी से खुश नहीं हैं। वैसे भी सत्ता और संगठन के जब सब काम दिल्ली से चल रहे हैं तो फिर अध्यक्ष के हिस्सा में आता ही क्या है। अब उनकी तलाश की जा रही है जिन्होंने काली बिल्ली बनकर ये रास्ता काटा है। यानी हाथ तो आया मुंह न लगा। 

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सीएम की टेंशन,पुनर्वास या पेंशन

मुख्य सूचना आयुक्त पद के लिए बड़ी दौड़ लगी हुई। बड़ी दौड़ इसलिए क्योंकि इस दौड़ में बड़े बड़े नाम शामिल हैं। जो रिटायर हुए वे तो इस दौड़ में शामिल हैं ही, वे भी दौड़ रहे हैं जो अभी काम कर रहे हैं यानी वे अभी रिटायर नहीं हुए हैं। वैसे तो इस रेस में 58 लोग शामिल हैं लेकिन जिन नामों ने इसको रोमांचक बनाया है उनमें मुख्य सचिव अमिताभ जैन, डीजीपी अशोक जुनेजा,पूर्व मुख्य सचिव आरपी मंडल और पूर्व डीजीपी डीएम अवस्थी शामिल है। सबका अपना अपना कद है और अपना अपना दबदबा।

अब सीएम की टेंशन इस बात को लेकर होगी कि वे किसके नाम पर मुहर लगाएं। जैन मुख्य सचिव हैं इसलिए उनका पलड़ा भारी माना जा सकता है लेकिन डीजीपी अशोक जुनेजा के सितारे हमेशा उनका साथ देते रहे हैं। पुनर्वास और पेंशन के इस चक्कर में लगता है कि मुख्य सूचना आयुक्त की कुर्सी को अभी और इंतजार करना होगा। 

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पढ़े लिखों का खेल-बिना पढ़े को जेल

शराब और उसमें नकली होलोग्राम का खेल इन दिनों छत्तीसगढ़ की सियासत में उबाल लाए हुए है। उबाल इसलिए क्योंकि अभी अभी पूर्व आबकारी मंत्री और कांग्रेस विधायक कवासी लखमा जेल चले गए। यह पूरा खेल पढ़े लिखों का रचाया हुआ था और जेल उस आदमी को हो गई जो खुद को अनपढ़ बताता है।

दरअसल नकली होलोग्राम का ये पूरा मामला आज का या कुछ साल पहले का नहीं है। यह कहानी डेढ़ दशक पहले ही शुरु हो गई थी। कुछ दस्तावेज सोशल मीडिया पर वायरल हैं। यह दस्तावेज साल 2010 के हैं। इनमें ये साफ जाहिर हो रहा है कि नकली होलोग्राम का खेल तब से चल रहा है। इन दस्तावेजों में उस समय मारे गए छापे और पकड़े गए नकली होलोग्राम की डिटेल है। यानी शराब से पैसों की कमाई सियासत से उपर चली गई है।

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