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बसव राजू के एनकाउंटर के बाद फोर्स का अगला टारगेट माड़वी हिड़मा है। सीरिया देश के आतंकियों की तरह ही खतरनाक नक्सली हिड़मा को कई सालों से किसी ने नहीं देखा। जिस तरह हथियारों से लैस ISIS के बड़े आतंकी अपने आस-पास सैकड़ों आतंकियों के झुंड में सुरक्षित होते हैं, ठीक उसी तरह नक्सली हिड़मा भी हर वक्त 250 नक्सलियों के बीच हथियारों से लैस रहता है। हिड़मा ने अब तक कई जवानों की जान ली है। हिड़मा के नापाक इरादों का शिकार न जाने अब तक कितने ग्रामीण बन चुके हैं। आइए आपको बताते हैं कैसे हिड़मा ने बड़े-बड़े करतूतों को अंजाम दिया...
हिड़मा ने कई जवानों की ली जान
बस्तर की मिट्टी को खून से रंगने वाला नक्सली हिड़मा आज तक फोर्स की नजरों से बचा हुआ है। 2010 से लेकर 2023 तक हिड़मा ने कई जवानों की जान ली। सुकमा हो या दरभा हर मुठभेड़ के पीछे हिड़मा की ही कूटनीति थी। सूत्रों के मुताबिक, हिड़मा ने अब तक 40 से अधिक नक्सली हमलों को अंजाम दिया है। हिड़मा का दहशत सबसे अधिक बीजापुर, सुकमा और दंतेवाड़ा में रहा हैं।
2010 में हुए जवानों की शहादत कोई नहीं भुला सकता
2010 में हुआ वो बड़ा हादसा जिसे भूलना हर किसी के लिए नामुमकिन है। हिड़मा ने 2010 में एक बड़े नक्सली हमले को अंजाम दिया। इस हमले में हिड़मा ने एक साथ 76 जवानों की जान ले ली। बस्तर के इतिहास में यह सबसे भयावह हमला था। 2010 में हुए इस नक्सली हमले में जवानों की टीम नक्सली विरोध ऑपरेशन पर थी। इस दौरान CRPF की 62वीं बटालियन ताड़मेटला के जंगलों में सर्च ऑपरेशन पर थी।इसकी खबर हिड़मा को पहले ही लग गई थी, हिड़मा अपने नक्सलियों की टीम के साथ एम्बुंश पर था। इस दौरान घात लगाए बैठा हिड़मा 76 जवानों को मार डाला। 15 साल पहले हुए इस हमले में हिड़मा ने ऑटोमैटिक हथियार, IED और बारूदी सुरंगों का इस्तेमाल किया था। 76 जवानों की शहादत ने 2010 में पूरे देश को हिला दिया था।
2013, 17, 18 और 2023... हिड़मा ने कई बड़े हमले को अंजाम दिया
झीरम घाटी में हुए नक्सली हमले को याद कर आज भी सबकी रूह कांप उठती है। इस हमले में नक्सलियों ने कांग्रेस के काफिले को अपना टारगेट बनाया था। हमले की साजिश हिड़मा ने रची थी। कांग्रेस काफिले में हुए इस हमले में महेंद्र कर्मा समेत कई बड़े नेता मारे गए थे। इसके बाद 2017 में बुरकापाल में हिड़मा ने CRPF जवानों पर दोतरफा घात लगाकर हमला किया। इस हमले में हिड़मा ने 25 जवानों की जान ली।
2018 में हिड़मा ने रोड ओपनिंग पार्टी पर IED विस्फोट किया, जिसमें 4 जवान शहीद हो गए। 2020 में सुकमा के मुनपा में हिड़मा ने एक बार फिर से बड़ा हमला किया, जिसमें 17 जवान शहीद हो गए। यह घटना सबसे बड़ी इसलिए भी थी क्योंकि इसमें DRG, STF और CRPF जवानों पर हमला किया गया था। 2021 में एक बार फिर से बस्तर दहल उठा। सिलगेर-सुकमा सीमा में हिड़मा ने 22 जवानों की जान ले ली।
फोर्स का फोकस हिड़मा पर
बसव राजू की मौत के बाद अब फोर्स का फोकस हिड़मा को पकड़ना है। हालांकि, कई सालों से हिड़मा को ना तो किसी ने देखा है और ना ही उसकी मौजूदगी की कोई सूचना मिली है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हिड़मा बस्तर-तेलंगाना बॉर्डर में घने जंगलों के बीच डेरा डाला हुआ है।
FAQ
माड़वी हिड़मा को क्यों सबसे खतरनाक नक्सली माना जाता है?
माड़वी हिड़मा को सबसे खतरनाक नक्सली इसलिए माना जाता है क्योंकि वह अब तक 40 से अधिक बड़े नक्सली हमलों को अंजाम दे चुका है। वह हमेशा लगभग 250 हथियारबंद नक्सलियों के घेरे में रहता है और घने जंगलों में छिपकर रणनीति बनाता है। उसने 2010 में ताड़मेटला में 76 जवानों की जान ली थी, जो अब तक का सबसे बड़ा नक्सली हमला था।
हिड़मा ने 2010 से 2023 के बीच कौन-कौन से बड़े हमले किए?
हिड़मा ने कई बड़े हमलों को अंजाम दिया, जिनमें प्रमुख हैं: 2010 - ताड़मेटला हमला (76 जवान शहीद) 2013 - झीरम घाटी हमला (कांग्रेस नेताओं पर हमला) 2017 - बुरकापाल हमला (25 जवान शहीद) 2018 - रोड ओपनिंग पार्टी पर IED हमला (4 जवान शहीद) 2020 - मुनपा हमला, सुकमा (17 जवान शहीद) 2021 - सिलगेर हमला (22 जवान शहीद) 2023 में भी हमला, जिसकी पुष्टि सूत्रों के अनुसार हुई है।
फोर्स अब हिड़मा को पकड़ने के लिए क्या रणनीति अपना रही है?
बसव राजू की मौत के बाद सुरक्षा बलों का अगला टारगेट माड़वी हिड़मा है। फोर्स की रणनीति है कि वह बस्तर और तेलंगाना बॉर्डर के जंगलों में चल रही खुफिया कार्रवाई और सर्च ऑपरेशन के ज़रिए हिड़मा को ट्रैक कर सके। हालांकि वह इतने सालों से छिपा हुआ है कि उसकी कोई स्पष्ट तस्वीर या लोकेशन सामने नहीं आई है।
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