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मध्यप्रदेश में पिछड़े वर्ग (OBC) के लिए 27% आरक्षण को लेकर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने एक अहम सर्वदलीय बैठक का आयोजन किया है। यह बैठक आज, 28 अगस्त को सुबह 11 बजे मुख्यमंत्री निवास पर बुलाई गई है। इसमें कांग्रेस, बीजेपी, सपा, और बसपा के प्रमुख नेता शामिल होंगे। इस बैठक का उद्देश्य मध्यप्रदेश में पिछले छह वर्षों से चल रहे 27% ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर विचार-विमर्श करना और समाधान के लिए एक मार्ग तैयार करना है।
बैठक में शामिल नेता
सर्वदलीय बैठक में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के साथ बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार, समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. मनोज यादव, और बसपा प्रदेश अध्यक्ष रमाकांत पिप्पल समेत अन्य प्रमुख नेता उपस्थित रहेंगे। बैठक का मुख्य उद्देश्य मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के जरिए रोके गए 27% ओबीसी आरक्षण को लेकर किसी समाधान पर पहुंचना है। इससे लाखों चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र मिल सकें।
जानें ओबीसी आरक्षण पर वर्तमान स्थिति
2019 में, कमलनाथ सरकार ने ओबीसी के लिए आरक्षण 14% से बढ़ाकर 27% करने का फैसला लिया था। उनका तर्क था कि मध्यप्रदेश में ओबीसी की जनसंख्या लगभग 48% है, इसलिए 27% आरक्षण देना न्यायसंगत होगा। इसके बाद, सरकार ने विधानसभा में एक अध्यादेश पेश किया। इसमें 27% ओबीसी आरक्षण को लागू करने की बात की गई।
हालांकि, इस पर विभिन्न याचिकाएं दाखिल की गईं। इसमें कहा गया कि आरक्षण की कुल सीमा 50% से अधिक हो जाएगी, जो सुप्रीम कोर्ट के जरिए स्थापित सीमा (इंदिरा साहनी केस, 1992) का उल्लंघन है। मई 2020 में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने 27% ओबीसी आरक्षण पर स्टे (रोक) आदेश दे दिया। इससे MPPSC और शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया प्रभावित हुई।
27% OBC आरक्षण सीएम मोहन यादव ने बुलाई सर्वदलीय बैठक
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MPPSC ने सुप्रीम कोर्ट में दिया नया आवेदन
एमपीपीएससी ने बुधवार (27 अगस्त) को सुप्रीम कोर्ट में एक नई अर्जी दाखिल की। इसमें उन्होंने ओबीसी वर्ग के चयनित अभ्यर्थियों की पिटीशन को खारिज करने की मांग की। MPPSC ने कोर्ट से आग्रह किया कि जिन काउंटर एफिडेविट्स को दाखिल किया गया था, उन्हें वापस लिया जाए और नया एफिडेविट दाखिल करने की अनुमति दी जाए। इसके साथ ही, MPPSC ने अदालत से अनुरोध किया कि पुराने एफिडेविट को रिकॉर्ड से हटा कर संशोधित एफिडेविट (Annexure A1) को स्वीकार किया जाए।
27% OBC आरक्षण पर 6 साल से लगी रोक
वर्ष 2019 से लेकर 2025 तक, 27% ओबीसी आरक्षण का लाभ पिछड़े वर्ग के अभ्यर्थियों को नहीं मिल सका है। लाखों अभ्यर्थी पहले से चयनित हो चुके हैं, लेकिन कोर्ट में पेंडिंग पिटीशन्स के कारण उन्हें नियुक्ति पत्र नहीं दिए गए हैं। हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने कई बार स्पष्ट किया है कि इस मामले में कोई रोक नहीं है, और यदि राज्य सरकार चाहे तो नियुक्तियां कर सकती है।
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जानें MPPSC की अर्जी में क्या कहा गया?
MPPSC ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अर्जी में कहा कि दाखिल किए गए हलफनामे में कुछ त्रुटियां थीं। इन्हें सुधारने की आवश्यकता है। इन त्रुटियों को सुधारकर एक नया एफिडेविट पेश करने की अनुमति मांगी गई है। उन्होंने इस त्रुटि के लिए माफी भी मांगी और अदालत से अनुरोध किया कि पुराने एफिडेविट को हटा कर नया एफिडेविट स्वीकार किया जाए।
ओबीसी आरक्षण 27 फीसदी
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