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Photograph: (The Sootr)
मध्यप्रदेश में 27% ओबीसी आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रही लड़ाई ने नया मोड़ ले लिया है। पहले जहां मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) ने सुप्रीम कोर्ट में काउंटर एफिडेविट दाखिल कर चयनित अभ्यर्थियों की याचिका को “खारिज करने” की मांग की थी, वहीं अब आयोग ने अपना रुख पलट लिया है।
सुप्रीम कोर्ट में एमपीपीएससी की ओर से नया आवेदन दाखिल किया गया है, जिसमें पुराने एफिडेविट को रिकॉर्ड से हटाने और संशोधित एफिडेविट दाखिल करने की अनुमति मांगी गई है। साथ ही आयोग ने अदालत से बिना शर्त माफी (Unconditional Apology) भी मांगी है। आपको बता दें कि आमतौर पर एफिडेविट में बदलाव करने की हर रिक्वेस्ट में अनकंडीशनल माफी का होता ही है, लेकिन एमपीपीएससी के बैकफुट में आने से ओबीसी वर्ग में अब उम्मीद की किरण जगी है।
पहले क्या कहा था एमपीपीएससी ने?
19 अगस्त 2025 को दाखिल अपने काउंटर एफिडेविट में एमपीपीएससी ने कहा था कि ओबीसी उम्मीदवारों की याचिका समयपूर्व है और इसे खारिज कर दिया जाना चाहिए। हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश के अनुसार 87% पदों का रिजल्ट घोषित किया जा चुका है और 13% पदों को रोकना न्यायोचित है।
याचिकाकर्ताओं के मौलिक अधिकारों के हनन की बात “काल्पनिक” है। यानी आयोग ने सीधे तौर पर चयनित अभ्यर्थियों की याचिका खारिज करने की मांग कर दी थी। इस पर अभ्यर्थियों और अधिवक्ताओं ने आयोग पर तटस्थता छोड़ने और ओबीसी विरोधी रुख अपनाने का आरोप लगाया था।
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मध्यप्रदेश ओबीसी आरक्षण केस: 5 पॉइंट्स में समझें पूरी खबरएमपीपीएससी का बदला रुख: मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) ने पहले सुप्रीम कोर्ट में काउंटर एफिडेविट दाखिल कर चयनित अभ्यर्थियों की याचिका को खारिज करने की मांग की थी। अब आयोग ने अपना रुख पलटते हुए पुराना एफिडेविट वापस लेने और नया एफिडेविट दाखिल करने की अनुमति मांगी है, साथ ही बिना शर्त माफी भी मांगी है। एफिडेविट में त्रुटियां: एमपीपीएससी ने बताया कि पुराने एफिडेविट में कुछ औपचारिक त्रुटियां थीं, जो अनजाने में हुईं। आयोग ने इस गलती के लिए माफी मांगी है और सुप्रीम कोर्ट से इन त्रुटियों को सुधारने की अनुमति मांगी है। ओबीसी आरक्षण का लाभ अभी भी अटका: 2019 से 2025 तक 27% ओबीसी रिजर्वेशन का लाभ पिछड़े वर्ग के अभ्यर्थियों को नहीं मिल पाया है। लाखों उम्मीदवार चयनित हो चुके हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में मामले के लंबित रहने के कारण उन्हें नियुक्ति पत्र नहीं दिए जा रहे हैं। राजनीतिक विवाद: इस मामले पर राजनीति भी गरमाई हुई है। प्रदेश सरकार ने 28 अगस्त को इस मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक बुलाने का निर्णय लिया है। हालांकि, कांग्रेस और ओबीसी वर्ग के नेताओं ने इस बैठक को केवल दिखावा बताया है। सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित:27 फीसदी ओबीसी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के कई आदेशों के बावजूद, सरकार और आयोग के बीच पेंच फंसा हुआ है, जिससे आरक्षण का लाभ अभ्यर्थियों को नहीं मिल पा रहा है। |
एफिडेविट वापस ले रहा है आयोग, मांगी भी माफी
ओबीसी महासभा की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पैरवी कर रहे अधिवक्ता वरुण ठाकुर ने बताया कि अब एमपीपीएससी ने अपने पुराने रुख से पीछे हटते हुए नया आवेदन दाखिल किया है। इसमें कहा गया है कि पुराने एफिडेविट में औपचारिक पैराग्राफ से जुड़ी त्रुटियां रह गई थीं। ये त्रुटियां अनजाने में हुईं। इसके लिए आयोग ने बिना शर्त माफी मांगी है और अदालत से पुराने एफिडेविट को रिकॉर्ड से हटाने का अनुरोध किया है। साथ ही नया संशोधित एफिडेविट (Annexure A1) दाखिल करने की अनुमति भी मांगी गई है। यह आवेदन सुप्रीम कोर्ट में आयोग की ओर से अधिवक्ता अनुराधा मिश्रा ने पेश किया। संशोधन कैसे आवेदन को सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को स्वीकार कर सकता है, अभी मिली जानकारी के अनुसार एमपीपीएससी ने अपना रुख बदलते हुए यह आवेदन कोर्ट कोर्ट में पेश करने की तैयारी कर ली है।
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27% आरक्षण का लाभ अब भी अटका
गौरतलब है कि 2019 से लेकर 2025 तक 27% ओबीसी आरक्षण का लाभ अभी तक पिछड़े वर्ग के अभ्यर्थियों को नहीं मिल पाया है। लाखों उम्मीदवार चयनित हो चुके हैं, लेकिन उन्हें सिर्फ इसलिए नियुक्ति पत्र नहीं दिए जा रहे कि मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। अभ्यर्थियों का कहना है कि हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट कई बार यह स्पष्ट कर चुके हैं कि नियुक्तियों पर कोई रोक नहीं है, फिर भी सरकार और आयोग के बीच पेंच फंसा हुआ है।
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राजनीति भी गरमाई
इस बीच, प्रदेश सरकार ने इस मुद्दे पर समाधान खोजने के लिए 28 अगस्त को सर्वदलीय बैठक बुलाने का फैसला किया है। हालांकि इस बैठक के विरोध में कांग्रेस सहित ओबीसी वर्ग क्या अधिवक्ताओं तक के बयान सामने आ चुके हैं और उनके द्वारा इस बैठक को सिर्फ दिखावा बताया जा रहा है। अब देखना होगा कि इस बैठक में ओबीसी आरक्षण को लेकर आगे की रणनीति तय की जाएगी।
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