भोपाल में बनाया गया 40 किलोमीटर Green corridor, ह्यूमन आर्गन भेजने के लिए किया गया था तैयार

भोपाल की ट्रैफिक पुलिस 40 किलो मीटर लंबा ग्रीन कारिडोर तैयार किया। इसमें 100 पुलिसकर्मी तैनात किए गए। यह कारिडोर चूना भट्‌टी स्थित बंसल अस्पताल से फंदा टोल नाके तक बनाया गया था...आइए जानते हैं क्यों तैयार किया गया कारिडोर

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Sandeep Kumar
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BHOPAL. पेशे से शिक्षक जिला सागर ग्राम देवरी के निवासी 54 वर्षीय हरिशंकर धिमोले का अंगदान भोपाल में हुआ। इससे दो लोगों को नया जीवन मिला है। शुक्रवार को ब्रेन हेमरेज के बाद धिमोले को सागर से आगामी उपचार के लिए भोपाल भेजा गया था। बेटे अनिल ने बताया कि पिता शिक्षक होने के साथ समाज को शिक्षा के प्रति जागरूक भी करते थे। वे शिक्षा को बहुत महत्व देते थे। उन्होंने अंगदान की इच्छा जताई थी। उनकी एक किडनी अस्पताल में भर्ती मरीज और दूसरी इंदौर के चोइथराम अस्पताल में भर्ती 59 वर्षीय पुरुष मरीज को मिली।दरअसल डीसीपी ट्रैफिक संजय सिंह को सूचना प्राप्त हुई कि बंसल हॉस्पिटल से चोइथराम हॉस्पिटल इंदौर तक बाय रोड ह्यूमन आर्गन ( human argon ) ले जाया जाना है। इसके बाद डीसीपी के आदेश अनुसार 100 यातायात पुलिस कर्मी बंसल हॉस्पिटल से फंदा टोल नाका तक तैनात किए गए है। बताया जा रहा है कि यह ग्रीन कारिडोर ( Green corridor ) 40 किलो मीटर लंबा था। बता दें कि यातायात पुलिस पहले भी कई बार इस तरह कारिडोर तैयार कर चुकी है।

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चार जिलों में पुलिस ने ऐसी संभाली व्यवस्था

ग्रीन कारिडोर बनाकर एंबुलेंस भोपाल से दोपहर 12.30 बजे रवाना हुई और 2.45 घंटे में इंदौर पहुंची। इसके लिए चार जिले इंदौर, देवास, सीहोर और भोपाल के पुलिस अधिकारियों ने व्यवस्था संभाली थी। सभी जगह पुलिस बल तैनात किया गया, ताकि एंबुलेंस को बिना जाम में फंसे इंदौर तक पहुंचाया जा सके। अस्पताल में डाक्टरों ने पहले से ही आपरेशन की तैयारी कर ली थी। जैसे ही किडनी अस्पताल लाई गई, डाक्टरों ने प्रत्यारोपण शुरू किया।

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एक घंटे में तय किया कि किडनी किसके पास जानी है?

डीन डा. संजय दीक्षित ने बताया कि हमारे पास सुबह 7.30 बजे मरीज की सूचना आई थी। इसके बाद एक घंटे में तय कर लिया था कि यह किडनी किसके पास जानी है। सुबह 10 बजे किडनी लाना तय हुआ। इसके लिए चर्चा कर वहीं के डॉक्टरों की टीम के साथ किडनी लाई गई। इससे समय की भी बचत हुई। यह पहली बार हुआ है, जब किडनी वहीं से आई और हमें लेने भी नहीं जाना पड़ा।

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एंबुलेंस भोपाल से इंदौर हुई थी रवाना

अस्पताल में डॉक्टरों ने पहले से ही ऑपरेशन की तैयारी कर ली थी। जैसे ही किडनी आई, प्रत्यारोपण शुरू किया । शिक्षक की दूसरी किडनी भोपाल के अस्पताल में भर्ती मरीज को दी गई। इससे दो मरीजों को जीवनदान मिला।

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Green Corridor human argon हरिशंकर धिमोले