दमोह के नौ वर्षीय समृद्ध खरे ने आंध्र प्रदेश में आयोजित राष्ट्रीय शतरंज प्रतियोगिता में पांचवा स्थान हासिल कर जिले का नाम रोशन किया। 28 राज्यों के 1200 बच्चों के बीच अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर अब समृद्ध मलेशिया में अंतरराष्ट्रीय शतरंज प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए तैयार हैं।
राष्ट्रीय प्रतियोगिता में दमोह के समृद्ध का जलवा
आंध्र प्रदेश में 17 से 22 जनवरी 2025 तक आयोजित राष्ट्रीय शतरंज प्रतियोगिता में 28 राज्यों के 1200 बच्चों ने भाग लिया। दमोह के नौ वर्षीय समृद्ध खरे ने अपनी बुद्धिमत्ता और कौशल का प्रदर्शन करते हुए प्रतियोगिता में पांचवा स्थान हासिल किया।
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मलेशिया में दिखाएंगे जौहर
राष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन के बाद समृद्ध खरे अब मलेशिया में आयोजित अंतरराष्ट्रीय शतरंज प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। यह प्रतियोगिता उनकी प्रतिभा को विश्व स्तर पर प्रदर्शित करने का मौका देगी।
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शतरंज के प्रति जुनून: 5 साल की उम्र से शुरू हुआ सफर
समृद्ध को पांच वर्ष की उम्र से ही शतरंज खेलने का शौक था। उनकी इस प्रतिभा को परिवार ने पहचाना और उन्हें प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए प्रेरित किया। इस जुनून ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचा दिया।
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प्रतियोगिता के दौरान मिला पुरस्कार
राष्ट्रीय शतरंज प्रतियोगिता में पांचवा स्थान हासिल करने पर समृद्ध को 4,000 रुपए का नकद पुरस्कार और शील्ड से सम्मानित किया गया। यह उनके लिए एक बड़ी उपलब्धि और प्रोत्साहन है।
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शहरवासियों का जोरदार स्वागत
शुक्रवार की रात जब समृद्ध दमोह लौटे, तो उनके स्वागत में मधुवन कॉलोनी में ढोल-नगाड़ों के साथ रैली निकाली गई। स्थानीय निवासियों और परिवारजनों ने फूलमालाओं से उनका भव्य स्वागत किया।
परिवार और स्कूल का सहयोग
समृद्ध के दादा गणेश श्रीवास्तव, जो तेंदूखेड़ा वन परिक्षेत्र में सर्किल ऑफिसर हैं, ने बताया कि शतरंज के प्रति समृद्ध का गहरा लगाव है। वर्तमान में समृद्ध डीपीएस स्कूल, दमोह में कक्षा तीसरी के छात्र हैं, जहां शिक्षकों और साथियों का भी उन्हें पूरा सहयोग मिलता है।
मध्य प्रदेश में कई प्रतियोगिताओं में प्रदर्शन
समृद्ध ने राष्ट्रीय प्रतियोगिता से पहले मध्य प्रदेश के विभिन्न जिलों में आयोजित शतरंज प्रतियोगिताओं में भाग लिया और अपनी कुशलता को साबित किया। उनकी इस मेहनत और लगन ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाया।
शतरंज के माध्यम से दमोह का नाम रोशन
समृद्ध की सफलता ने न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे दमोह जिले को गर्व महसूस कराया है। उनकी उपलब्धि इस बात का प्रमाण है कि छोटे शहरों के बच्चे भी बड़े सपने देख सकते हैं और उन्हें पूरा कर सकते हैं।
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