ASI सर्वे का 97वां दिन : भोजशाला में 8 अवशेष मिले, नृसिंह अवतार की मूर्ति और देवी आकृतियां भी मिली

मध्‍य प्रदेश की धार भोजशाला में आज यानी बुधवार, 26 जून को केंद्रीय पुरातत्व विभाग की टीम ने 97वें दिन सर्वे कार्य किया। भोजशाला के पूर्व में मिट्टी हटाने के दौरान 8 अवशेष मिले। इसमें नृसिंह अवतार जैसी मूर्ति और तीन देव आकृतियां मिली हैं...

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Jitendra Shrivastava
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97th day ASI survey
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ASI सर्वे का 97वां दिन : धार भोजशाला में आज 97वें दिन केंद्रीय पुरातत्व विभाग की टीम ने उत्तरी-पूर्वी क्षेत्र में खुदाई का काम किया। खुदाई के दौरान तीन आकृति वाले पत्थर मिले हैं जिन्हें संरक्षित कर लिया गया है। जहां पहले खुदाई की गई थी वहां से मिट्टी हटाने के दौरान 8 अवशेष मिले हैं इसमें तीन अवशेष में देवियों की आकृतियां बनी हुई है। वहीं नृसिंह अवतार जैसी दिखने वाली मूर्ति भी है। 

प्रार्थना करती देवी की आकृति मिली

हिंदू पक्षकार गोपाल शर्मा ने बताया कि भोजशाला के उत्तरी पूर्व हिस्से में दिनभर मिट्टी हटाने का काम चला। आज मिले 8 अवशेषों में  से एक माता की आकृति है जिनके चेहरे पर सौम्यता झलक रही है यहां इनकी केवल गर्दन मिली है। ऐसा लगता है जैसे कोई देवी प्रार्थना कर रही है इन्हीं की कमर का हिस्सा भी मिला है। उन्होंने बताया कि पांच अन्य विशेष कहीं न कहीं मोल्डिंग किए हुए हैं। जिन पर आकृतियां बनी हुई है। देवी के अलावा दो और अवशेष प्राप्त हुए हैं। वह कहीं न कहीं दोनों नृसिंह अवतार की तरह दिखते हैं। अभी उनकी क्लीनिंग नहीं की गई है। इसी स्थान पर अधिक से अधिक अवशेष मिल रहे हैं।

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खुदाई की जगह लेबलिंग का काम किया

मुस्लिम पक्षकार अब्दुल समद ने बताया कि आज उत्तरी-पूर्वी क्षेत्र में खुदाई का काम चला। जहां पर खुदाई चल रही है वहां पर लेवलिंग भी की गई। उत्तरी पूर्वी हिस्से में खुदाई चल रही है। जहां से तीन आकृति के पत्थर मिले हैं। जिन्हें संरक्षित कर लिया गया है। दरगाह परिसर में जो ड्रेनेज का काम चल रहा था उसको पूरा कर लिया गया है। चेंबर बनाना बाकी है जो कल बना लिए जाएंगे.

दावा है कि ये 9वीं से 11वीं शताब्दी के बीच का निर्माण है 

पुरातत्व सर्वे करने वालों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि सर्वे और खुदाई के दौरान सैकड़ों अवशेष मिले हैं। हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां, खंभे, भित्ति चित्र तो मिले ही हैं। कुरान की आयतें लिखे शिलालेख भी हैं। अब तक मिले ढांचे और नक्काशी को देखकर यही समझ में आ रहा है कि यह परमार कालीन मंदिर रहा होगा। मूर्तियां, ढांचे, खंभे, दीवारें, भित्ति चित्र लगातार मिल रहे हैं। एक गर्भगृह के पास एक 27 फीट लंबी दीवार मिली है, जो पत्थर की जगह ईंटों की बनी है। पुरातत्वविदों का मानना है कि ईंटों से निर्माण मोहनजोदड़ो सभ्यता के समय होता था। दावा है कि ये सब परमार कालीन यानी 9वीं से 11वीं शताब्दी के बीच का निर्माण है। 

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