MP News: ग्वालियर कलेक्ट्रेट की जनसुनवाई में उस समय सभी अधिकारी हैरान रह गए जब एक मजदूर ने आधार कार्ड से शराब की सीमा तय करने की मांग रखी। मजदूर राजेंद्र ने कहा कि उसने शराब छोड़ दी है लेकिन अन्य मजदूर रोज की कमाई में से ज्यादातर हिस्सा शराब में खर्च कर देते हैं। उसने सुझाव दिया कि शराब की बिक्री को आधार से जोड़ा जाए और प्रति व्यक्ति को अधिकतम दो क्वार्टर ही दिए जाएं, ताकि मजदूर अपने परिवार के लिए अधिक पैसे बचा सकें। संयुक्त कलेक्टर ने इस पर आबकारी विभाग को बुलाकर चर्चा के निर्देश दिए।
शराब से तबाही और परिवार का संकट
राजेंद्र कुमार, जो पहले शराब का आदी था। उसने कहा कि अब शराब छोड़ दी है, लेकिन उसका अनुभव बताता है कि मजदूर अपनी तिहाड़ी का बड़ा हिस्सा शराब पर उड़ा देते हैं। 600 रुपए की कमाई में से 400 रुपए शराब में खर्च हो जाते हैं और घर वालों को मुश्किल से 100-200 रुपए ही मिल पाते हैं। उसने तर्क दिया कि यदि सरकार शराब बिक्री पर सख्त नियंत्रण लगाए तो मजदूरों के परिवारों की आर्थिक स्थिति में सुधार हो सकता है।
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संवेदनशीलता से लिया गया मामला
राजेंद्र का आवेदन संयुक्त कलेक्टर विनोद सिंह को सौंपा गया, जिन्होंने तुरंत आबकारी विभाग के अधिकारी को बुलाकर मामले पर चर्चा के निर्देश दिए। राजेंद्र का मानना है कि यदि शासन ऐसा नियम लागू करता है तो मजदूर की हर दिन दीपावली और ईद जैसी खुशी बन जाएगी क्योंकि वे अपने पूरे पैसे घर ला सकेंगे।
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107 में से 47 आवेदन दर्ज
जनसुनवाई में कुल 107 आवेदन आए, जिनमें से 47 को तत्काल दर्ज किया गया। बाकी 60 आवेदनों को संबंधित विभागों के जिला स्तरीय अधिकारियों को निराकरण के लिए सौंपा गया। एडीएम टीएन सिंह, संयुक्त कलेक्टर सुरेश कुमार बरहादिया, विनोद सिंह और एसडीएम सूर्यकांत त्रिपाठी ने समस्याएं सुनीं और सभी मामलों पर समयसीमा में कार्रवाई के निर्देश दिए गए।
मध्य प्रदेश | एमपी हिंदी न्यूज