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गांधी जयंती (Gandhi Jayanti) के दिन Rewa के सेमरिया से कांग्रेस विधायक अभय मिश्रा ने कलेक्ट्रेट परिसर में जिला प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोला। विधायक ने आरोप लगाया कि प्रशासन जानबूझकर उन्हें बैठकों (रीवा जिला प्रशासन की बैठक) और योजनाओं से दूर रख रहा है सिर्फ इसलिए क्योंकि वे कांग्रेस पार्टी से हैं। उनका विरोध कलेक्टर कार्यालय के सामने था, जहां उन्होंने मौन धरने पर बैठने का फैसला किया।
बैठक में नहीं बुलाने का आरोप
पूरे मामले की शुरुआत 25 सितंबर को हुई एक समीक्षा बैठक से हुई, जो कि ACS रश्मि अरुण शमी के नेतृत्व में आयोजित की गई थी। विधायक अभय मिश्रा का आरोप है कि उन्हें इस बैठक की जानकारी नहीं दी गई, न ही उन्हें पत्र भेजा गया, न ही फोन के जरिए सूचना दी गई। हालांकि, उन्होंने यह बताया कि अन्य सभी विधायक और जनप्रतिनिधि बैठक में आमंत्रित किए गए थे, लेकिन उन्हें जानबूझकर नजरअंदाज किया गया।
पहले भी बैठकों से रखा बाहर
विधायक अभय मिश्रा ने कहा कि यह पहला मौका नहीं है जब उन्हें बैठकों से बाहर रखा गया है। उन्होंने याद दिलाया कि 18 मई 2025 को रीवा के सर्किट हाउस में प्रभारी मंत्री की एक बैठक हुई थी, जिसमें कांग्रेस विधायक को बुलाया ही नहीं गया था। उस समय भी उन्होंने कांग्रेस जिलाध्यक्ष राजेंद्र शर्मा और अन्य नेताओं के साथ मिलकर सड़क पर बैठकर विरोध किया था। वे उस दौरान जमीन पर लेट गए थे, ताकि अपनी नाराजगी जाहिर कर सकें।
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जानबूझकर किसानों को परेशान कर रहे
विधायक ने सेमरिया क्षेत्र में हो रही समस्याओं को लेकर भी नाराजगी व्यक्त की। उनका कहना था कि क्षेत्र में खाद्यान्न वितरण, बिजली, पानी और अन्य बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी है। इसके साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि राजस्व विभाग के कर्मचारी जानबूझकर किसानों को परेशान कर रहे हैं। इन आरोपों से यह स्पष्ट होता है कि विधायक का गुस्सा न सिर्फ प्रशासनिक तंत्र के खिलाफ है, बल्कि वह अपने क्षेत्र की समस्याओं को लेकर भी गंभीर हैं।
कलेक्ट्रेट परिसर में जमीन पर लेट
धरने के दौरान विधायक अभय मिश्रा ने पहले शांतिपूर्वक कलेक्ट्रेट परिसर में बैठकर विरोध किया, लेकिन कुछ समय बाद वे जमीन पर लेट गए। यह दृश्य मीडिया के कैमरों में कैद हो गया और इसने प्रशासन और राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी। उनका यह विरोध प्रदर्शन क्षेत्रीय राजनीति में एक नया मोड़ लेकर आया है।
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क्या बोलीं कलेक्टर प्रतिभा पाल
इस पूरे मामले पर रीवा कलेक्टर प्रतिभा पाल का कहना था कि विधायक के आरोप पूरी तरह से निराधार हैं। आईएएस प्रतिभा पाल ने बताया कि सभी जनप्रतिनिधियों के साथ समान व्यवहार किया जाता है और किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जाता है। जिला प्रशासन ने विधायक के आरोपों को खारिज कर दिया है और मामले को तूल देने की कोशिश की निंदा की है।