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मध्य प्रदेश शासन ने डिंडौरी कलेक्टर, नेहा मारव्या (2011 बैच), का आठ महीने के भीतर ही तबादला कर दिया है। उन्हें अब अपर सचिव बना कर भोपाल भेजा गया है। उनकी जगह रायसेन जिला पंचायत की सीईओ अंजू पवन भदौरिया (2014 बैच की आईएएस) को डिंडौरी का नया कलेक्टर नियुक्त किया गया है। यह बदलाव कई सवालों और चर्चाओं का कारण बना है।
नौ महीने पहले, आईएएस मीटिंग में उन्होंने फील्ड पोस्टिंग में भेदभाव का मुद्दा उठाया था। अब उन्हें कलेक्टर के पद से हटा कर लूपलाइन में भेज दिया गया है और नए पद पर, विमुक्त, घूमंतू और अर्ध-घूमंतू जनजाति विभाग में संचालक बना दिया गया है। इसके अलावा, नेहा के कामकाज के तरीके पर विधायक ओमप्रकाश धुर्वे ने सवाल उठाए थे और मुख्यमंत्री से इसकी शिकायत भी की थी।
बता दें कि मध्यप्रदेश सरकार ने मंगलवार को 24 आईएएस अफसरों का तबादला कर दिया। इनमें 12 जिलों के कलेक्टर ( collector transfer ) बदले गए हैं, जिनमें पन्ना, पांढुर्णा, सिवनी, मुरैना, डिंडौरी, अलीराजपुर, निवाड़ी, भिंड, सिंगरौली, छिंदवाड़ा और रतलाम के कलेक्टर शामिल हैं।
लंबे समय से लगाए जा रहे थे तबादले के कयास
नेहा मारव्या के तबादले के कयास लंबे समय से लगाए जा रहे थे, विशेषकर तब जब स्थानीय बीजेपी विधायक ओमप्रकाश धुर्वे ने उनकी कार्यप्रणाली का विरोध किया था। विधायक ने कलेक्टर की कुछ कार्यशैली पर आपत्ति जताई थी, जिसके बाद यह फैसला लिया गया।
विधायक ने क्यों किया था कलेक्टर का विरोध?शहपुरा से बीजेपी विधायक और पूर्व कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश धुर्वे ने कलेक्टर नेहा मारव्या की कार्यप्रणाली पर दो प्रमुख कारणों से नाराजगी व्यक्त की थी:
इस विरोध का असर जल्द ही दिखाई दिया जब 21 अगस्त को जनजातीय कार्य विभाग ने कलेक्टर के सभी ट्रांसफर आदेशों को निरस्त कर दिया था। विधायक ने इसका खुलासा भी प्रेस कॉन्फ्रेंस में किया था। | |
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कौन हैं IAS नेहा मारव्या?
सोशल मीडिया पोस्ट के बाद मिली थी कलेक्टरी
कुछ सपने वक्त मांगते हैं और कुछ सपने धैर्य। मध्यप्रदेश कैडर की IAS नेहा मारव्या सिंह की कहानी भी ऐसे ही सपने की है, जिसने वक्त भी लिया और तमाम कठिनाइयों की परीक्षा भी ली। लेकिन जब मंजिल मिली तो वो केवल एक पद नहीं था, बल्कि 14 साल के 'वनवास' के बाद मिला 'न्याय' था।
22 अगस्त 1986 को उत्तर प्रदेश में जन्मीं नेहा मारव्या सिंह ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पैतृक जिले में पूरी की। बाद में उन्होंने प्रयागराज (इलाहाबाद) विश्वविद्यालय से बीटेक किया। पढ़ाई के बाद उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में जाने का निश्चय किया और 2010 में यूपीएससी परीक्षा पास कर ली। IAS चयन के बाद उन्हें मध्यप्रदेश कैडर मिला।
ट्रेनिंग और सामान्य प्रशासनिक जिम्मेदारियों के बावजूद उन्हें कलेक्टर बनने का अवसर नहीं मिला। एक IAS अधिकारी के लिए जिले की कमान संभालना सबसे बड़ी जिम्मेदारी होती है, लेकिन नेहा को इस मौके के लिए उन्हें एक दशक का लंबा इंतजार करना पड़ा।
2025 में हुई IAS सर्विस मीट से पहले उन्होंने एक सोशल मीडिया पोस्ट में अपना दर्द बयां किया, जो तेजी से वायरल हो गया। इस पोस्ट में उन्होंने 14 वर्षों से कलेक्टर पद से वंचित रहने की पीड़ा जाहिर की। यह पोस्ट ही वह मोड़ बनी, जिसने अंततः उन्हें डिंडोरी जिले का कलेक्टर बना दिया।
क्या था IAS नेहा मारव्या की पोस्ट में
आईएएस सर्विस मीट के पहले दिन सीधी भर्ती से जुड़े आईएएस अधिकारियों के लिए बनाए गए वॉट्सऐप ग्रुप में एक अहम चर्चा हुई। जानकारी के अनुसार महाराष्ट्र में पदस्थ मप्र कैडर के आईएएस अधिकारी ज्ञानेश्वर पाटिल ने एक कांसेप्ट नोट पोस्ट कर सुझाव दिया कि सीधी भर्ती वाले आईएएस अधिकारियों को 14 वर्षों की सेवा में कम से कम चार साल की कलेक्टरी जरूर मिलनी चाहिए। उनका कहना था कि इस तरह की फील्ड पोस्टिंग न केवल अधिकारियों को जमीनी अनुभव देती है बल्कि उन्हें प्रदेश की सांस्कृतिक, सामाजिक और राजनीतिक स्थिति को भी बेहतर ढंग से समझने का अवसर मिलता है।
फिर छलका नेहा मारव्या का दर्द
इस सुझाव पर आईएएस नेहा मारव्या ने अपनी पीड़ा साझा करते हुए लिखा कि 14 वर्षों की नौकरी में उन्हें एक बार भी फील्ड पोस्टिंग का अवसर नहीं मिला। उन्होंने वॉट्सऐप ग्रुप पर अंग्रेजी में लिखा, मुझे साढ़े तीन साल पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में उप सचिव के पद पर रखा गया और उसके बाद से ढाई साल से राजस्व विभाग में बिना किसी काम के उप सचिव बना दिया गया है।
"9 महीने से सिर्फ ऑफिस आना-जाना हो रहा है"
IAS नेहा मारव्या ने अपनी स्थिति को बेहद निराशाजनक बताते हुए लिखा कि पिछले 9 महीने से उनका काम सिर्फ ऑफिस आना और दीवारों को देखते हुए समय बिताना भर रह गया है। उन्होंने अपनी स्थिति को "दीवारों में कैद" कहकर बयां किया और लिखा कि वह अकेलेपन का दर्द भली-भांति समझ सकती हैं।
जूनियर्स के लिए संकल्प
नेहा मारव्या ने अपने जूनियर अधिकारियों का हौसला बढ़ाते हुए लिखा, मैं अपने जूनियर्स को यह भरोसा दिलाती हूं कि कोई भी अकेला नहीं रहेगा। मैं हर संभव मदद करूंगी, चाहे मैं किसी भी पद पर रहूं। उन्होंने इस भावना के साथ अपने जूनियर्स का समर्थन करने का संकल्प लिया।
नेहा मारव्या का कार्यकाल
नेहा मारव्या ने 29 जनवरी 2025 को डिंडौरी कलेक्टर के रूप में पदभार ग्रहण किया था। उनके कार्यकाल के दौरान कई बदलाव और पहलुओं पर ध्यान दिया गया, लेकिन उनका कार्यशैली पर लगातार विवादों और विरोधों का सामना करना पड़ा। अब, उन्हें अपर सचिव बनाए जाने के बाद उनकी कार्यशैली की आलोचनाओं के बीच उनका डिंडौरी से भोपाल का तबादला किया गया है।
नेहा मारव्या की प्रोफाइल पर एक नजर
जब रोक दिया था कलेक्टर की कार का भुगतान
IAS Neha Marvya ने अपने प्रशासनिक करियर में कई बार बड़े फैसले लिए। शिवपुरी जिला पंचायत की सीईओ रहते हुए उन्होंने तत्कालीन कलेक्टर द्वारा उपयोग की जा रही निजी सफारी गाड़ी का भुगतान यह कहकर रोका दिया कि यह निर्धारित दर से अधिक था। उन्होंने बिना दबाव में आए चार महीने तक भुगतान नहीं होने दिया।
फिर मध्यप्रदेश राज्य रोजगार गारंटी परिषद में रहते हुए उन्होंने भर्ती घोटाले में CCF पद से रिटायर अफसर ललित बेलवाल के खिलाफ FIR की अनुशंसा की। इस पर तत्कालीन मुख्य सचिव के करीबी अफसरों और मुख्यमंत्री कार्यालय से भी टकराव हुआ और ​भी ऐसे मामले सामने आए।
कुल मिलाकर नेहा जिस भी पद पर रहीं, वहां नियमों के साथ काम किया। उनके कार्यकाल के दौरान कई फेरबदल हुए, लेकिन उन्होंने कभी समझौता नहीं किया। कृषि विभाग में रहते हुए बार-बार ड्राइवर बदलने के आरोपों को लेकर भी वे चर्चा में रहीं।
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आईएएस अंजू पवन भदौरिया लेंगी जगह
अब डिंडौरी की नई कलेक्टर के रूप में अंजू पवन भदौरिया (2014 बैच) नियुक्त की गई हैं। वे रायसेन जिला पंचायत की सीईओ के पद पर कार्यरत थीं। अंजू भदौरिया की नियुक्ति को लेकर उम्मीद की जा रही है कि वे डिंडौरी जिले में प्रशासनिक सुधार लाने में सक्षम होंगी। यह देखना होगा कि उनके आने से क्या बदलाव आते हैं और उनके कार्यकाल में जिले में कौन से सुधार होते हैं। mp ias news