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डिंडौरी जिले में मंगलवार को कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में जनसुनवाई का आयोजन किया गया। इस दौरान बीजेपी के शहपुरा विधायक ओमप्रकाश धुर्वे ने कलेक्टर नेहा मारव्या पर गंभीर आरोप लगाए। विधायक ने कहा कि जनसुनवाई में अधिकारियों की ओर से न तो आवेदनों पर तारीख लिखी जाती है और न ही समस्याओं का समाधान किया जाता है। साथ ही, उन्होंने कलेक्टर पर ग्रामीणों से अभद्र व्यवहार करने का भी आरोप लगाया।
कलेक्टर पर ग्रामीणों से अभद्र व्यवहार का आरोप
विधायक ओमप्रकाश धुर्वे ने आरोप लगाया कि कलेक्टर ने ग्रामीणों से असंवेदनशील और अभद्र तरीके से पेश आते हैं। इस दौरान उन्होंने एक बैगा आदिवासी महिला, बुधिया बाई का उदाहरण दिया, जो अपने नाती की मौत के बाद सहायता राशि के लिए कलेक्ट्रेट कार्यालय के चक्कर लगा रही थीं। बुधिया बाई ने बताया कि वे एक महीने से मदद के लिए दर-दर भटक रही थीं, लेकिन जब वे विधायक के साथ कलेक्टर से मिलने गईं, तो उन्हें फटकार लगाई गई।
विधायक ने कलेक्टर पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह बैगा आदिवासी समुदाय के लोगों को डांट-फटकार कर उनका अपमान कर रही हैं, जो एक सरकारी अधिकारी के लिए बिल्कुल अस्वीकार्य है। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि कलेक्टर की जिम्मेदारी क्या है, यदि वह समस्याओं का समाधान नहीं कर पा रही हैं। क्या वह मुर्गा, बकरा खाने के लिए कलेक्टर बनी है? ऐसी कलेक्टर डिंडोरी जिले में रहने लायक नहीं है।
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कार्यों में कलेक्टर पर रुकावट डालने का आरोप
इस दौरान ओमप्रकाश धुर्वे ने कलेक्टर पर विकास कार्यों में बाधा डालने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि मेहदवानी ब्लॉक में संदीपनी विद्यालय के निर्माण कार्य को रुकवा दिया गया था। इसके अलावा नगर के सीवरेज लाइन का घटिया निर्माण काम कलेक्टर द्वारा फिर से शुरू करवा दिया गया, जिसे पहले जनप्रतिनिधियों ने रुकवा दिया था। विधायक ने कहा कि यह सब कलेक्टर की लापरवाही और निजी स्वार्थ का परिणाम है।
उन्होंने आरोप लगाया कि कलेक्टर ने ठेकेदार से मिलकर काम फिर से शुरू कराया, जबकि गुणवत्ता में कोई सुधार नहीं हुआ था। यह आरोप क्षेत्र के लोगों और जनप्रतिनिधियों के लिए चिंता का विषय बन गया है।
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विधायक ने मुख्यमंत्री से शिकायत की बात की
ओमप्रकाश धुर्वे ने इस पूरे मामले को लेकर मुख्यमंत्री तक पहुंचाने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि वे कलेक्टर की कार्यशैली को लेकर मुख्यमंत्री से शिकायत करेंगे। विधायक ने आरोप लगाया कि कलेक्टर ने शिक्षकों के नियमों के खिलाफ कई स्थानांतरण और किए हैं, जिसे वे उचित नहीं मानते।
इसके अलावा एक अन्य मामले में एक व्यक्ति ने शिकायत की थी कि उनकी पत्नी, जो डी.एड. और बी.एड. की डिग्री धारक हैं, उन्हें प्राथमिक शाला में अतिथि शिक्षक के रूप में नियुक्त किया गया था, लेकिन एक शिक्षक ने अपने रिश्तेदार को भर्ती कर लिया। इस मामले में भी कोई कार्रवाई नहीं हुई, जबकि विधायक ने इस शिकायत को भी मुख्यमंत्री के पास पहुंचाने की बात कही है।
कलेक्टर की कार्यशैली और प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल
इस विवाद ने कलेक्टर की कार्यशैली और जिले में प्रशासन की निष्क्रियता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। विधायक ओमप्रकाश धुर्वे के आरोपों ने कलेक्टर आईएएस नेहा मारव्या के खिलाफ माहौल बना दिया है और यह मामले को और जटिल बना रहे हैं।
विकास कार्यों में रुकावट, अधिकारियों की लापरवाही और जनसुनवाई के दौरान समस्याओं का समाधान नहीं होना, यह सब ऐसे मुद्दे हैं जिनसे न केवल प्रशासन की छवि पर असर पड़ता है, बल्कि जनता का विश्वास भी डगमग होता है।
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