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कहते हैं कि चुनौतियां उन्हीं को आजमाती हैं, जिनके भीतर कुछ अलग कर गुजरने का जज्बा होता है। कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो चुनौतियों से पार नहीं पा पाते और हार मान जाते हैं। लेकिन उत्तर प्रदेश के हमीरपुर के शीलेंद्र सिंह उन लोगों में से हैं, जो पत्थर से भी पानी निकाल दें। आईएएस शीलेंद्र सिंह के लिए परिस्थितियां कभी भी अनुकूल नहीं रहीं। घर की आर्थिक स्थिति ठीक ना होते हुए भी उन्होंने कभी अपने सपनों से समझौता नहीं किया।
अपनी आठवीं तक की पढ़ाई गांव में पूरी करने के बाद शीलेंद्र के सामने आगे की पढ़ाई जारी रखने की चुनौती थी। उन्हें अपने गांव से 3 किलोमीटर दूर पैदल चलकर राठ गांव आना पड़ता था। साधनों का अभाव और घर की स्थिति ठीक ना होने के बावजूद भी शीलेंद्र सिंह ने अपनी 12वीं तक की पढ़ाई अच्छी तरीके से पूरी की। गणित में ज्यादा रुचि होने के कारण उन्होंने आगे की पढ़ाई के लिए प्रयागराज जाने का फैसला किया।
...जब पहली बार बैठे थे ट्रेन में
शीलेंद्र सिंह के घर की आर्थिक स्थिति कैसी थी, इसका अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि अपने जीवन में शीलेंद्र पहली बार ट्रेन में तब बैठे, जब उन्होंने प्रयागराज जाकर पढ़ने का फैसला किया। उन्होंने वहां जाकर बीएससी की पढ़ाई पूरी की। फिर उन्होंने ने एमएससी की। वो पढ़ने में इतने होशियार थे कि अपने बैच के गोल्ड मेडलिस्ट थे। हिंदी मीडियम के विद्यार्थी होने की वजह से शीलेंद्र की अंग्रेजी बाकी बच्चों की तुलना में कमजोर थी। शीलेंद्र भी इस बात को अच्छे से जानते थे, लेकिन उन्होंने अपनी कमजोरी को ताकत में बदला और यूनिवर्सिटी में टॉप किया।
एमएससी के बाद उन्होंने तय किया कि वह सिर्फ सिविल सर्विस एग्जाम ही देंगे। एग्जाम की तैयारी करते वक्त रिश्तेदार उनके पिताजी को कई बार भड़काते कि आपका बेटा कुछ नहीं करेगा। वह प्रयागराज में रहकर सिर्फ अपना समय बर्बाद कर रहा है। शीलेंद्र सबकुछ सुनते, लेकिन कभी हार नहीं मानी और 1993 में एमपीपीएससी में टॉप करके ये साबित भी कर दिया।
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बच्चों से लगाव, पहुंच जाते हैं पढ़ाने
आईएएस शीलेंद्र सिंह आज के दौर में शिक्षा को सबसे महत्वपूर्ण अंग के रूप में मानते हैं। इसी के चलते वह समय-समय पर सरकारी स्कूलों में निरीक्षण करने पहुंच जाते हैं। वहां पहुंचकर वह हर चीज का जायजा लेते हैं। बच्चों से प्रश्न पूछते हैं, शिक्षकों की उपस्थिति के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं। यहां तक कि बच्चों को मिलने वाले खाने की गुणवत्ता को जानते हैं। इतना ही नहीं उन्होंने शिक्षा माफिया पर शिकंजा कसने के लिए कई दल बनाए हैं, जो यह जांच करेंगे की शिक्षा व्यवस्था सुचारू रूप से चल रही है या नहीं। शीलेंद्र सिंह ने चंदन नाम के गांव को गोद भी लिया है, जिसमें वह समय मिलने पर हायर सेकंडरी स्कूल के बच्चों को सामाजिक विज्ञान और गणित जाकर पढ़ाते हैं।
ग्रामीणों को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाना, शिक्षा के क्षेत्र में सुधार करना, खेती से जुड़ी योजनाओं का क्रियान्वयन करवाना, महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देना, आंगनबाड़ी और स्वसहायता समूहों के विकास, पर्यावरण संरक्षण जैसे कई जनहित कार्यों को सुचारू रूप से करवाना आईएएस शीलेंद्र सिंह की प्राथमिकताओं में शामिल है।
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युवाओं के भविष्य की करते हैं चिंता
आईएएस शीलेंद्र सिंह ने युवाओं को रोजगार और कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए मसाला पार्क की शुरुआत की है। इस मसाला पार्क में लोंग, इलाइची, तेज पत्ता और अन्य खड़े मसालों की खेती की गई है। इस पार्क के जरिए न केवल युवा वर्ग को रोजगार मिला है, बल्कि खेती को भी काफी बढ़ावा मिला है। इतना ही नहीं आईएएस शीलेंद्र सिंह ने देखा कि कई सरकारी संस्थानों, विद्यालय, कॉलेज और कॉलोनी में स्वच्छता कर्मियों का आभाव है जिसकी वजह से समय पर साफ सफाई नहीं हो पाती है। सफाई न हो पाने की वजह से गंदगी फैलती है और बीमारियां फैलती हैं। इसका समाधान खोजने के लिए उन्होंने स्वच्छता साथी योजना का शुभारंभ किया। इस योजना के तहत कोई भी व्यक्ति इस योजना के एप में जाकर क्यूआर कोड को स्कैन करके सफाई कर्मी को नियुक्त कर सकता है और सफाई करवा सकता है।
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बच्चों को नसीहत
शीलेंद्र सिंह बच्चों से कहते हैं कि हमारी भारतीय संस्कृति सबसे अच्छी है और हमें इसे बरकरार रखना है। हमारा झुकाव समाज के प्रति होना अति आवश्यक है। आज की युवा पीढ़ी को समय की कद्र करनी चाहिए और अपने निर्धारित लक्ष्य की प्राप्ति के लिए जी तोड़ मेहनत करनी चाहिए। सिंह बच्चों के परिजनों को भी संदेश देते हुए कहते हैं कि परिजनों को बच्चों पर अधिक दवाब नहीं डालना चाहिए। उन्हें बच्चों को फ्री छोड़ देना चाहिए ताकि बच्चे बेहतर प्रदर्शन कर सकें।
प्रोफाइल पर एक नजर
नाम: शीलेंद्र सिंह
जन्म दिनांक: 3 नवम्बर 1967
जन्म स्थान: उत्तरप्रदेश
एजुकेशन: एमएससी फिजिक्स
बैच: 2010 (मध्यप्रदेश)
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पदस्थापना
शीलेंद्र सिंह 2010 बैच के राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं। उन्हें 2017 में आईएएस अवॉर्ड हुआ। वे 31 मार्च 2025 की स्थिति में वे छिंदवाड़ा जिले के कलेक्टर हैं। इसके पहले वे भोपाल में सामाजिक न्याय एवं दिव्यांगजन विभाग में अपर सचिव, छतरपुर कलेक्टर, होशंगाबाद (नर्मदापुरम) के कलेक्टर के रूप में भी सेवाएं दे चुके हैं। वे एसडीओ छिंदवाड़ा, एडिशनल कलेक्टर खरगोन और बुरहानपुर में जिला पंचायत सीईओ भी रहे हैं। शीलेंद्र सिंह भले ही स्वभाव से थोड़े कठोर और गर्म मिजाज के हैं, लेकिन उनके काम करने के तरीके से हर कोई परिचित है। वे अपने साथी कर्मचारियों से कहते हैं कि समय की उपयोगिता को समझें और समय बर्बाद न करते हुए कार्यक्षेत्र में बेहतर से बेहतर काम करने का प्रयास करें।
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